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उत्तर प्रदेश में बनाए जाएंगे पांच हजार से अधिक अमृत सरोवर, गांवों के लिए साबित होंगे वरदान

अमृत सरोवर ऐसे बनाए जाएं कि बहुउपयोगी सिद्ध हों. वहां पर बड़ा चबूतरा बनाया जाए. बड़ा बोर्ड लगाया जाए. वहां पर सामुदायिक भवन व शौचालय बनाने के प्रयास किए जाएं, ताकि गांव में बारात को ठहराने आदि के लिए भी उपयोगी सिद्ध हों.

केंद्रीय राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन और लक्ष्य के अनुरूप ग्रामीण विकास मंत्रालय, पांच अन्य मंत्रालयों और राज्य सरकारों के सहयोग से देश में 50,000 से अधिक अमृत सरोवरों का निर्माण कराया जाएगा. इस योजना के दूरगामी परिणाम हासिल होंगे. साध्वी निरंजन ज्योति योजना भवन लखनऊ में उत्तर प्रदेश के जिला अधिकारियों व मुख्य विकास अधिकारियों के साथ इस संबंध में आयोजित वर्चुअल बैठक की अध्यक्षता कर रही थीं.

साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा कि जिलाधिकारी, ब्लॉक वाइज व जिले पर इस संबंध में बैठक बुलाएं तथा ब्लॉक वाइज प्रधानों की भी बैठक की जाए और इस योजना को मूर्तरूप दिया जाए. इसमें अधिक से अधिक जनसहभागिता सुनिश्चित किया जाए और पूरी टीम भावना से काम किया जाए. यह अमृत सरोवर तालाब ही नहीं, बल्कि गांव के लिए पानी उपलब्ध कराने तथा पानी की रिचार्जिग के लिए वरदान साबित हों, ऐसे ठोस व प्रभावी प्रयास इस हेतु किए जाएं. इनको एक दर्शनीय स्थल के रूप में विकसित किया जाए. इनके निर्माण में जो मानक और गाइडलाइंस निर्धारित की गई हैं, उनका भी पालन सुनिश्चित किया जाए.

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इन तालाबों में गांव के सीवरेज का पानी कतई नहीं जाएगा. इनका नामकरण शहीदों के नाम से किया जाएगा तथा यहां पर 15 अगस्त को एक उत्सव जैसे माहौल में झंडारोहण की व्यवस्था की जाएगी. यह आदर्श तालाब के रूप में विकसित होंगे तथा आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरक की साबित होंगे।कहा कि सभी जिला अधिकारी इस योजना को मूर्तरूप देने में अपनी अग्रणी भूमिका का निर्वहन करें और संबंधित वेबसाइट और ऐप से भी इनकी कार्ययोजना की विधिवत जानकारी हासिल कर लें.

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उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि अमृत सरोवर गांवों के लिए वरदान साबित होंगे. अमृत सरोवर बनाना सरकार का एक क्रांतिकारी कदम है. यह पर्यटन के रूप में भी विकसित होंगे. अमृत सरोवर जल संरक्षण के लिए बहुत ही उपयोगी साबित होंगे. अमृत सरोवर उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा क्षेत्र में बनाए जाएंगे. इनके निर्माण में जनसहभागिता होना बहुत जरूरी है. स्वाधीनता सेनानियों या उनके पारिवारिक सदस्यों या पद्म पुरस्कार से सम्मानित लोगों द्वारा इनकी शुरुआत जाएगी.

यह अमृत सरोवर स्विमिंग पूल और पर्यटन के रूप में एक मॉडल बनेंगे. इनकी देखभाल के लिए अमृत सखी के रूप में एक महिला को नियुक्त किए जाने का उनका प्रयास रहेगा. अमृत सरोवर के पास चबूतरा, सामुदायिक भवन, वृक्षारोपण सामुदायिक शौचालय आदि की भी व्यवस्था नियमानुसार किए जाने के निर्देश उप मुख्यमंत्री ने दिये. उन्होंने कहा कि प्रदेश के 80 लोकसभा क्षेत्रों में लगभग 5600 अमृत सरोवरों का निर्माण किया जाएगा. सभी सम्बंधित अधिकारी इस चुनौती को स्वीकार करते हुए पूरी क्षमता के साथ ऐसा करके दिखाएं कि उत्तर प्रदेश का नाम देश में इस मामले में सर्वोपरि रहे.

केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि राष्ट्रीय महत्व की इस योजना को पूरी गतिशीलता के साथ संचालित किया जाना है और 15 अगस्त 2022 तक इसमें काफी अधिक मात्रा में काम पूरा करने के प्रयास किए जाएंं. उन्होंने कहा कि इसकी डीपीआर बनाने में कोई कोताही न बरती जाए. इन सरोवरों को एक स्विमिंग पूल की तरह इस तरह से विकसित किया जाए कि इसमें लोग तैराकी कर आगे के लिए भी बढ़ सकें. इनके निर्माण में जन सहभागिता सुनिश्चित की जाए और जन आंदोलन के रूप में इस कार्य को किया जाए. उन्होंने कहा कि उनकी देखभाल के लिए अमृत सखी के रूप में एक महिला की तैनाती करने का भी प्रयास किया जाए, ताकि उसे रोजगार भी मिल सके.

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अमृत सरोवर ऐसे बनाए जाएं कि बहुउपयोगी सिद्ध हों. वहां पर बड़ा चबूतरा बनाया जाए. बड़ा बोर्ड लगाया जाए. वहां पर सामुदायिक भवन व शौचालय बनाने के प्रयास किए जाएं, ताकि गांव में बारात को ठहराने आदि के लिए भी उपयोगी सिद्ध हों. उन्होंने आशा व्यक्त की कि अधिकारी पूरी तत्परता से काम करते हुए इसे समय से पूरा करेंगे. इन सरोवरों के पास पीपल, नीम, बरगद, जामुन आदि के पेड़ लगाए जाएं. इन तालाबों से जो मिट्टी निकलेगी, उसका उपयोग ग्राम पंचायत कर सकेगी. सबसे पहले इसकी कार्य योजना ग्राम स्तर से तैयार होगी. इसकी हर स्तर पर गहन मानिटरिंग की जाए तथा काम शुरू होने, काम के दौरान व काम की समाप्ति की सभी फोटोग्राफ्स वहां पर डिस्प्ले किए जाएंगे.

अधिकारी वर्क साइट पर हर हाल में जाएंगे. पीने के पानी के साथ-साथ वाटर रिचार्जिंग के लिए इन सरोवरों को उपयोगी बनाया जाए. अमृत सरोवरो के डॉक्यूमेंटेशन का कार्य बहुत ही अच्छी तरीके से किया जाए. इसका डॉक्यूमेंटेशन राष्ट्र, राज्य और जिला स्तर के साथ-साथ ब्लॉक स्तर पर भी करने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए.

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