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Gyanvapi Masjid Verdict: ज्ञानवापी मामले पर कोर्ट में सुनवाई जारी, फैसले पर टिकी सबकी निगाहें

वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद विवाद पर आज यानी 26 मई को 2 बजे से जिला अदालत में सुनवाई जारी है. कोर्ट में ऑर्डर 7 रूल 11 के आवेदन पर सुनवाई चल रही है.

Varanasi gyanvapi Case: ज्ञानवापी मस्जिद-काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर विवाद पर जिला अदालत में सुनवाई जारी है. कोर्ट में आज यानी 26 मई को मुस्लिम पक्ष के ज्ञानवापी मस्जिद पर दावा करने वाले हिंदू पक्ष के दीवानी मुकदमे को खारिज करने की मांग वाले ऑर्डर 7 रूल 11 के आवेदन पर सुनवाई चल रही है.

विष्णु जैन ने कोर्ट में पेश की दलील

ज्ञानवापी मामले में सुनवाई के दौरान हिन्दू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने अपनी दलील पेश की हैं. कोर्ट में पूजा एक्ट अधिनियम पर बहस चल रही है.

कोर्ट ने दोनों पक्षों से मांगी सर्वे पर आपत्ति

ज्ञानवापी मामले की सुनवाई से पहले जज ने एडवोकेट कमिश्नर सर्वे की रिपोर्ट पर हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों से आपत्ति मांगी. इससे पहले ज्ञानवापी मस्जिद में मिले शिवलिंग की पूजा की इजाजत मांगने वाली याचिका को 25 को फास्ट ट्रैक कोर्ट को ट्रांसफर कर दिया गय. अब इसपर 30 मई को सुनवाई होगी. सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर द्वारा सिविल जज सीनियर डिवीजन (फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट) महेंद्र कुमार पांडेय की अदालत में मुकदमा ट्रांसफर कर दिया गया है.

शिवलिंग की पूजा का मामला फास्ट ट्रैक कोर्ट को ट्रांसफर

दरअसल, हिंदू पक्ष ने सिविल कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. इसमें ज्ञानवापी मस्जिद हिंदुओं को सौंपने और पूजा की मांग की गई थी, इस मामले में 25 मई को सुनवाई हुई. किरण सिंह के पैरोकार याचिकाकर्ता जितेंद्र सिंह बिसेन ने कहा कि न्यायालय ने भी यह मान लिया है कि इस विवाद का निपटारा जल्द से जल्द होना चाहिए. 30 मई सुनवाई की डेट न्यायालय ने तय की है. जल्द ही शिवलिंग जलाभिषेक के लिए हमारे सामने रहेंगे.

दरअसल, वाराणसी के मां शृंगार गौरी-ज्ञानवापी मामले की सुनवाई पूरी नहीं हो सकी की अब एक और याचिका दाखिल की गई. सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में मांग की गई है कि, मस्जिद परिसर में मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक लगे और उसे हिंदुओं के हवाले करने की मांग रखी गई है. यह याचिका विश्व वैदिक सनातन संघ की अंतरराष्ट्रीय महामंत्री किरण सिंह ने कोर्ट में दाखिल की है.

क्या है प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट

इस एक्ट के अनुसार 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता. यदि कोई इस एक्ट का उल्लंघन करने का प्रयास करता है तो उसे जुर्माना और तीन साल तक की जेल भी हो सकती है. यह कानून तत्कालीन कांग्रेस प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव सरकार 1991 में लेकर आई थी. यह कानून तब आया जब बाबरी मस्जिद और अयोध्या का मुद्दा बेहद गर्म था. धारा कहती है कि 15 अगस्त 1947 में मौजूद किसी धार्मिक स्थल में बदलाव के विषय में यदि कोई याचिका कोर्ट में पेंडिंग है, तो उसे बंद कर दिया जाएगा.

Prabhat Khabar News Desk
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