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World Hemophilia Day: चोट लगने पर खून बहना न रुके तो हो जायें सावधान, हीमोफीलिया के हो सकते हैं लक्षण

हीमोफीलिया बीमारी सामान्य रूप से पुरुषों में ही होती है. लेकिन इस बीमारी की कैरियर मां होती है. शादी से पहले हीमोफीलिया की जांच करा लेने से इस बीमारी को होने से रोका जा सकता है.

Lucknow: हीमोफीलिया एक अनुवांशिक बीमारी है. जिसमें मरीज के शरीर में खून का थक्का बनना बंद हो जाता है. इससे मरीज को चोट लगने या अन्य किसी कारण से यदि खून निकलना शुरू होता है तो वह बंद नहीं होता है. इस बीमारी में मरीज को विशेष ‘फैक्टर’ देने पड़ते हैं, जिससे उसके खून में थक्का बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. यह फैक्टर मरीज को कुछ अंतराल पर देने होते हैं.

सीआरसी गोरखपुर और हीमोफीलिया सोसायटी गोरखपुर के संयुक्त तत्वाधान में वर्ल्ड हीमोफीलिया (world hemophilia day) डे पर आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम में एम्स गोरखपुर की पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट की डॉ. महिमा मित्तल ने बताया कि हीमोफीलिया दो तरह का होता है. हीमोफीलिया ‘ए’ और हीमोफीलिया ‘बी’. हीमोफीलिया ए वाले मरीज को ‘फैक्टर 8’ चढ़ाना पड़ता है. जबकि हीमोफीलिया बी के मरीज को ‘फैक्टर 9’ चढ़ाना पड़ता है. फैक्टर चढ़ाने की प्रक्रिया मरीज के साथ जीवन भर चलती है. इस फैक्टर के कारण ही मरीज में खून का थक्का बनता है.

खेलकूद में सावधानी बरतना जरूरी

डॉ. महिमा मित्तल ने बताया कि हीमोफीलिया से ग्रसित बच्चों को कांटेक्ट खेल जैसे फुटबॉल आदि से बचाना चाहिए. लेकिन उनको घर में कैद भी नहीं रखना चाहिए, उनकी शारीरिक क्षमता के अनुसार उनको थोड़ा बहुत खेलने का मौका जरूर देना चाहिए. सावित्री हॉस्पिटल की डॉ. मधुमिता रंगारी ने कहा कि हीमोफीलिया के मरीजों की तबीयत बिगड़ते ही उन्हें तुरंत अस्पताल में पहुंचाने की जरूरत होती है.

डॉ. मधुमिता ने बताया कि हीमोफीलिया बीमारी सामान्य रूप से पुरुष में ही होती है. लेकिन इस बीमारी की कैरियर मां होती है. शादी से पहले हीमोफीलिया की जांच करा लेने से इसको रोका जा सकता है. हीमोफीलिया सोसायटी गोरखपुर की सचिव अंजू वर्मा ने बताया कि अपनी संस्था के माध्यम से वे लोग हीमोफीलिया से ग्रसित बच्चों की मदद कर रहे हैं. कार्यक्रम समन्वयक और वक्ता सीआरसी गोरखपुर के फिजियोथेरेपी विभाग के प्रवक्ता डॉ. विजय गुप्ता ने बताया कि जरूरत पड़ने पर बच्चों की बर्फ से सिकाई करनी चाहिए.

इस बीमारी का पता अधिकतर उस समय चलता है जब बच्चे का दांत निकलना शुरू होता है और उसका खून बहना बंद नहीं होता है. या फिर खेलते समय चोट के कारण खून निकलता है और वह बंद नहीं होता है. कार्यक्रम में सीआरसी गोरखपुर के रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर रवि कुमार, राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तीकरण संस्थान के निदेशक डॉ. हिमांग्शु दास, नागेंद्र पांडे, राजेश कुमार और राजेश यादव भी मौजूद थे.

हीमोफीलिया के लक्षण

  • नाक से लगातार खून बहता

  • मसूड़ों से खून निकलना

  • शरीर में आंतरिक रक्तस्राव

  • आंतरिक रक्तस्राव के कारण जोड़ों में दर्द-सूजन

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