7.9 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

बरेली को देश की आजादी से पहले खान बहादुर खान ने दिलाई थी ‘स्वतंत्रता’, 257 क्रांतिकारियों को हुई थी फांसी

बरेली के खान बहादुर खान ने अपने क्रांतिकारियों के साथ देश को पहले भी आजादी दिलाई थी. मगर, यह आजादी करीब 10 महीने 5 दिन तक रही थी. बरेली अंग्रेजी हुकूमत से आजाद हो गया था. मगर, 6 मई 1858 को अंग्रेजों ने एक बार फिर बरेली पर कब्जा कर लिया.

Azadi Ka Amrit Mahotasava In Bareilly: मुल्क (देश) आजादी की 75 वीं वर्षगांठ पर आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. बरेली के खान बहादुर खान ने अपने क्रांतिकारियों के साथ देश को पहले भी आजादी दिलाई थी. मगर, यह आजादी करीब 10 महीने 5 दिन तक रही थी. बरेली अंग्रेजी हुकूमत से आजाद हो गया था. मगर, 6 मई 1858 को अंग्रेजों ने एक बार फिर बरेली पर कब्जा कर लिया.

जंग-ए-आजादी की लड़ाई में रुहेलखंड

क्रांतिकारियों को गिरफ्तार कर मुकदमा चलाया गया. इसके बाद 24 फरवरी 1860 को खान बहादुर खान को पुरानी कोतवाली में फांसी दी गई, जबकि 257 क्रांतिकारियों को कमिश्ननरी के बरगद के पेड़ पर फांसी पर लटका दिया गया था. क्रांति की छाप इस बरगद की हर साख और पत्ते पर नजर आती थी. यह पेड़ गिर गया, लेकिन उसकी जड़ों में खड़ा शहीद स्तंभ क्रांति की याद दिलाता है. जंग-ए-आजादी की लड़ाई में रुहेलखंड के क्रांतिकारियों ने सबसे बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था.

शहीद स्तम्भ इस बात का है गवाह

यह शहर क्रांतिकारियों का बड़ा गढ़ था. 1857 की लड़ाई में खान बहादुर खान के नेतृत्व में आजादी के दीवानों ने सर पर कफ़न बाँध कर अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. बरेली में आजादी की तमाम निशानियां अभी भी मौजूद हैं. इसमें एक कमिश्नरी का एक बरगद का पेड़ भी था. पेड़ से लटका कर 257 आजादी के दीवानों को फांसी पर लटका दिया गया था. कमिश्नरी में बना शहीद स्तम्भ इस बात की गवाही देता है. ये शहीद स्तम्भ देश की आजादी में क्रांतिकारियों के बलिदान की याद दिलाता है.

देश के साथ सुलग रहा था रुहेलखंड

जंग-ए-आजादी का बिगुल 1857 में फूंका गया था. उस समय बरेली सहित पूरा रुहेलखंड में क्रांति की आग में सुलग रहा था, तभी रुहेला सरदार खान बहादुर खान के साथ पंडित शोभाराम और तमाम क्रांतिकारी दिन में क्रांति की आग लिए सड़कों पर निकल पड़े. इन क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी सरकार की नीव हिला दी. जिसके चलते अंगेजी सरकार ने 6 मई 1858 को तमाम क्रांतिकारियों को गिरफ्तार कर लिया.

बरेली की पुरानी जेल में किया दफन

रुहेला सरदार खान बहादुर खान को फांसी देने के बाद भी अंग्रेजों का खौफ समाप्त नहीं हुआ था. उन्हें डर था कि कहीं लोग खान बहादुर खान को फांसी दिए जाने वाली जगह पर इबादत न शुरू कर दें. इसलिए अंग्रेजों ने खान बहादुर खान को बेड़ियों समेत पुरानी जिला जेल में दफन कर दिया था. काफी प्रयास के बाद 2007 में खान बहादुर खान की कब्र को जेल से बहार निकालकर आजाद किया गया.

रुहेला सरदार के वंशज थे खान बहादुर खान

उत्तर प्रदेश के बरेली में क्रांति का बिगुल बजाने वाले खान बहादुर खां रुहेला सरदार हाफिज रहमत खां के पोते थे. उनका जन्म 1791 में हुआ था, पिता जुल्फिकार अली खां के इंतकाल के बाद वे बरेली के भूड़ मोहल्ले में आकर बस गए थे. वह ब्रिटिश सरकार में सदर न्यायाधीश भी रहे थे.

रिपोर्ट : मुहम्मद साजिद

Prabhat Khabar News Desk
Prabhat Khabar News Desk
यह प्रभात खबर का न्यूज डेस्क है। इसमें बिहार-झारखंड-ओडिशा-दिल्‍ली समेत प्रभात खबर के विशाल ग्राउंड नेटवर्क के रिपोर्ट्स के जरिए भेजी खबरों का प्रकाशन होता है।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel