Rourkela News: सेक्टर-19 में रिटायर पुलिसकर्मी से पांच लाख रुपये लूट की वारदात की गुत्थी राउरकेला पुलिस ने सुलझा ली है. आठ हफ्ते की कड़ी मेहनत के बाद पुलिस ने इस वारदात में शामिल एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया तथा उसकी निशानदेही पर पांच लाख रुपये बरामद किये हैं. शिकायतकर्ता सुशील मांझी को सोमवार को जिला पुलिस मुख्यालय में बुलाकर खुद एसपी नीतेश वाधवानी ने आरोपियों के पास से बरामद रुपये सौंपे. जिसे पाकर श्री मांझी भावनात्मक हो गये और कहा कि मेहनत के रुपये वापस मिलने पर उन्हें बेहद खुशी हो रही है.
मधुसूदन मार्ग का निवासी है आरोपी
इधर, एसपी श्री वाधवानी ने मीडिया को बताया कि वारदात के बाद पुलिस की अलग-अलग टीमें तफ्तीश में जुटी थीं. सेक्टर-19 थाना प्रभारी के नेतृत्व में विशेष टीम बनायी गयी थी. फिलहाल एक आरोपी राजेश एंथोनी उर्फ डेविड (32) को गिरफ्तार किया गया है. वह प्लांट साइट थाना अंतर्गत मधुसूदन मार्ग का निवासी है. डेविड के खिलाफ प्लांट साइट थाना में ही आधा दर्जन मामले दर्ज हैं. इसके अलावा रेल थाना में भी एक मामला दर्ज है.
नौ जनवरी को सेवानिवृत्त पुलिसकर्मी से हुई थी पांच लाख की लूट
नौ जनवरी, 2025 को सुबह 11:30 बजे एसबीआइ सेक्टर-19 शाखा से पांच लाख रुपये की नकदी निकालकर जाते समय सेवानिवृत्त पुलिसकर्मी सुशील मांझी से बाइक सवार बदमाशों ने रुपयों से भरा बैग छीन लिया था और फरार हो गये थे. जिसके बाद सेक्टर-19 पुलिस ने तफ्तीश शुरू की थी. दिनदहाड़े हुई इस वारदात के कारण लोगों में दहशत का माहौल देखा गया था.आठ हफ्ते की मेहनत के बाद डेविड तक पहुंची पुलिस
वारदात के बाद तफ्तीश में जुटी पुलिस ने घटनास्थल पर लगे सीसीटीवी कैमरों को खंगालकर कुछ साक्ष्य जुटाये थे. जिसके आधार पर आगे की जांच चली. इसमें पता चला कि इसी तरह की वारदात छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड और पश्चिम बंगाल में भी अंजाम दी गयी थी. नतीजतन पुलिस ने मिलते जुलते अपराधों के बारे में भी जानकारी एकत्रित की. राउरकेला के अलावा झारखंड, छत्तीसगढ़, और पश्चिम बंगाल में भी पुलिस टीम ने जाकर जांच की. जिसके बाद पुलिस डेविड तक पहुंचने में कामयाब रही. डेविड की निशानदेही पर बिहार के कटिहार से रुपयों की बरामदगी सुनिश्चित की गयी.वारदात के पीछे बिहार का कटिहार गैंग
तफ्तीश में पुलिस ने पाया कि इस तरह के अपराध संगठित रूप से किये जा रहे हैं, जिसका सरगना बिहार के कटिहार का है. तार कटिहार से जुड़ने के बाद इनके तरीकों का बारीकी से मुआयना किया गया. पता चला कि 30 से अधिक वारदात इसी तरह झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल में अंजाम दी गयी हैं. इन सभी वारदातों से जुड़े 45 सीसीटीवी फुटेज को पुलिस ने खंगाला और साक्ष्य हासिल किये.झारखंड में हुई वारदात से मिले थे सुराग
सेक्टर-19 की वारदात के बाद एसपी नीतेश वाधवानी ने इस तरह की वारदातों को जब खंगाला, तो पता चला कि झारखंड के कई जिलों में ऐसी घटनाएं हुई हैं. लिहाजा उन्होंने गुमला, सिमडेगा, चाईबासा और रांची पुलिस से संपर्क साधा. रांची की वारदात से पुलिस को अहम सुराग मिले. जिसके बाद सीसीटीवी कैमरों से हासिल तस्वीरों का मिलान करने पर गैंग के बारे में पता चला. यहां से पुलिस ने जब आगे की जांच की, तो गिरोह के स्थानीय लिंक का पता चला और डेविड तक पुलिस पहुंची.इस तरह से वारदात को देते थे अंजाम
एसपी नीतेश वाधवानी ने बताया कि वारदात को अंजाम देने के लिए गिरोह का एक सदस्य बैंक के अंदर रहकर शिकार को तलाशता है. जो भी ग्राहक ज्यादा रकम निकालते हैं, उनपर नजर रखकर उस ग्राहक के बारे में गिरोह के दूसरे साथी को इशारों से खबर करता है, जो बैंक के गेट के पास रहता है. इसके बाद गिरोह का दूसरा साथी उसी तरीके से इशारों में बाइक सवार साथी को बता देता है. जिसके बाद वारदात को अंजाम दिया जाता है. यह गिरोह इतना शातिर है कि चार-पांच वारदातों को अंजाम देकर शांत हो जाता है. इसके बाद लूटे गये रुपयों को कटिहार भेजा जाता है. एक के बाद एक वारदात अंजाम देकर अचानक शांत हो जाना इनके खास तरीके में शामिल है.हथियार का नहीं करते हैं इस्तेमाल
गिरोह इस मायने में भी अलग है कि लूट की किसी भी वारदात में हथियारों को इस्तेमाल नहीं किया जाता. पूरी वारदात को गिरोह के सदस्य इस तरीके से अंजाम देते हैं कि रंगेहाथ कभी पकड़ में नहीं आते.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है