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सौर ऊर्जा के प्रति जागरूक करने के लिए ‘उषा आंदोलन’ चलाएगी शिवराज सरकार, 8 करोड़ लोगों तक पहुंचाया जाएगा संदेश

सौर ऊर्जा अभियान के अंतर्गत मध्यप्रदेश सरकार ने पूरे प्रदेश की तस्वीर को बदलने का संकल्प लिया है.

भोपाल : देश के कोने-कोने में आज सौर्य ऊर्जा के संरक्षण के लिए अभियान चलाये जा रहे हैं, जिससे जनता में व्यापक जागरूकता पैदा की जा सके और उन्हें सौर ऊर्जा को अपनाने के लिए प्रेरित किया जा सके. भारत सहित सभी देशों को ऐसे अभियानों की आवश्यकता है, जिनसे प्रत्येक नागरिक ऊर्जा साक्षर बने और भविष्य को सुरक्षित बनाये. जहां राजस्थान, कर्नाटक, गुजरात, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश जैसे प्रमुख अक्षय ऊर्जा उत्पादक राज्यों की राज्य सरकारों को बड़े पैमाने पर जन जागरूकता अभियान चलाने की रणनीति तैयार करनी पड़ रही है. वहीं, ‘देश का दिल’ कहलाए जाने वाले मध्यप्रदेश ने सौर ऊर्जा साक्षरता को मिशन मोड में प्रारम्भ कर दिया है.

सौर ऊर्जा अभियान के अंतर्गत मध्यप्रदेश सरकार ने पूरे प्रदेश की तस्वीर को बदलने का संकल्प लिया है. आज देश में सौर ऊर्जा के शीर्ष दस उत्पादकों में मध्यप्रदेश भी एक राज्य बन गया है. सौर ऊर्जा उत्पादन को अगले स्तर पर ले जाने की अपनी प्रतिबद्धता की ओर जिस युद्ध-स्तर पर मध्यप्रदेश सरकार कदम बढ़ा रही है, उसे देख के यह विश्वास किया जा सकता है कि राज्य के ऊर्जा उत्पादन की कमी को बहुत ही कम समय में पूरा किया जा सकेगा.

सरकार ने उषा आंदोलन चलाने का ऐलान किया

इसी दिशा में, मध्यप्रदेश सरकार ने ऊर्जा साक्षरता अभियान (उषा) नामक एक जन-केंद्रित आंदोलन के कार्यान्वयन की घोषणा की है. यह महत्वाकांक्षी प्रयास ऊर्जा के प्रति जागरूक समाज के निर्माण के लिए दुनिया का सबसे बड़ा ऊर्जा साक्षरता अभियान है. इस बड़े पैमाने के अभ्यास के माध्यम से, मध्यप्रदेश सरकार का लक्ष्य, राज्य के 8 करोड़ से अधिक नागरिकों तक ऊर्जा संरक्षण और सौर ऊर्जा का सन्देश लेकर पहुंचना है. यह आंदोलन समाज के विभिन्न वर्गों के छात्रों, गृहिणियों, व्यापारियों और अन्य लोगों तक व्यापक रूप से पहुंचेगा.

ऊर्जा बचत का बताया जाएगा उपाय

राज्य सरकार का उद्देश्य ऊर्जा की बचत की आदत को विकसित करना है, जिससे इस आदत को सभी के व्यवहार का हिस्सा बनाया जा सके. यह अभियान सौर ऊर्जा को अपनाने के लाभों के बारे में नागरिकों को शिक्षित करने पर भी ध्यान केंद्रित करेगा. देश में ऊर्जा साक्षरता की दिशा में बढ़ाया गया यह एक अनूठा कदम है. इस अभियान के तीन घटक (जागरूकता, जानकारी और प्रदर्शन) हैं. इसके आधार पर ही स्कूलों, कॉलेजों के विद्यार्थियों एवं जन-साधारण को ऊर्जा, सौर ऊर्जा और उसकी बचत के विषय में जानकारी प्रदान की जाएगी. जन-साधारण तक ऊर्जा के उपयोग के प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष लाभ की जानकारी सुलभ रूप से पहुंचाने एवं अपनाने का कार्य ‘मिशन मोड़’ में किया जाएगा. राज्य सरकार के निर्णयानुसार इसका श्रेणीगत प्रशिक्षण भी दिया जाएगा.

नई पीढ़ी को किया जाएगा साक्षर

ऊर्जा संरक्षण और ऊर्जा उत्पादन वर्तमान में हमारी सबसे बड़ी ज़रूरत है. मध्यप्रदेश का ऊर्जा साक्षरता अभियान इन्हीं मुद्दों पर ध्यान देकर नई पीढ़ी को ऊर्जा साक्षर बनाने के साथ आम नागरिकों को ऊर्जा के उपयोग के प्रति संवेदनशील बनाने की ओर अग्रसर है. सोलर पार्क्स और सोलर प्लांट्स की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी कर, अनुमानित रूप से, अगले एक दशक में देश की ऊर्जा आवश्यकता के 50 प्रतिशत की पूर्ति सौर ऊर्जा द्वारा की जा सकेगी. सौर ऊर्जा, 21वीं सदी की ऊर्जा का सबसे प्रमुख माध्यम है. वर्तमान में मध्यप्रदेश में प्रतिदिन 5300 मेगा वॉट से अधिक सौर ऊर्जा का उत्पादन किया जा रहा है. प्रदेश सरकार इसी ओर प्रयासरत है कि मध्यप्रदेश ऊर्जा उत्पादन में एक आत्म-निर्भर राज्य बने और सभी राज्यों को इस दिशा में बढ़ने के लिए प्रेरित कर सके.

सरकारी कार्यालयों और आंगनवाड़ी केंद्रों पर लगेगा प्लांट

इस कड़ी में प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थल सांची शहर को ‘सोलर सिटी’ के रूप में विकसित करने के साथ, चयनित शासकीय कार्यालयों, आंगनवाड़ी भवनों, चिन्हित चिकित्सा केंद्रों का भी सौर ऊर्जाकरण के लिए प्लांट लगाया जाएगा. शिवराज सरकार ने ज़िले के बड़े शासकीय भवनों में शून्य निवेश आधारित रेस्को मॉडल पर रुफटॉप सयंत्रों की स्थापना भी करने का निर्णय लिया है, जो जल्द ही ज़मीनी रूप में देखा जाएगा.

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एशिया की सबसे बड़ी सोलर प्रोजेक्ट बनी रीवा अल्ट्रा मेगा सौर परियोजना

बीते दिनों में प्रदेश के लिए 750 मेगावाट क्षमता की रीवा अल्ट्रा मेगा सौर परियोजना एक ऐतिहासिक परियोजना साबित हुई है. यह एशिया की सबसे बड़ी सोलर पावर परियोजना है, जो मध्यप्रदेश के रीवा ज़िले में स्थापित की गई है. इस सोलर प्लांट से मध्यप्रदेश के लोगों और उद्योगों को आसानी से स्वच्छ अक्षय ऊर्जा उपलब्ध करवाई जा रही है. इस परियोजना के सीधे लाभ के रूप में सालाना लगभग 15 लाख टन कार्बन डाईऑक्साइड के बराबर कार्बन उत्सर्जन को कम किया जा सकेगा. इससे ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने के साथ ही पर्यावरण पर भी कोई नकारात्मक असर नहीं होगा.

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