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डायन के आरोप में हुई 32 महिलाओं की हत्या अफसरों की लापरवाही से बढ़ रहा कुपोषण

चाईबासा : डायन के आरोप में बीते पांच साल में पश्चिमी सिंहभूम में 46 मामले थाना में दर्ज किये गये हैं. 46 में से 32 मामले हत्या के हैं. यानी इन पांच साल में 32 महिलाओं की हत्या डायन के आरोप में हुई है. इस तथ्य का खुलासा शनिवार को राज्य महिला आयोग की टीम […]

चाईबासा : डायन के आरोप में बीते पांच साल में पश्चिमी सिंहभूम में 46 मामले थाना में दर्ज किये गये हैं. 46 में से 32 मामले हत्या के हैं. यानी इन पांच साल में 32 महिलाओं की हत्या डायन के आरोप में हुई है. इस तथ्य का खुलासा शनिवार को राज्य महिला आयोग की टीम की ओर से अफसरों संग डायन बिसाही मामले की समीक्षा बैठक के दौरान खुलासा हुआ. परिसदन भवन में महिला मामलों की सुनवाई करने आयी टीम ने कुपोषण की भी समीक्षा की. समीक्षा में पाया गया कि अफसरों की कमी के कारण महिला व बाल कुपोषण में वृद्धि हो रही है. पोषण आहार बच्चों और महिलाओं तक समय पर नहीं पहुंच रहे हैं.

आयोग की अध्यक्ष कल्याणी शरण ने कहा इस मामले की रिपोर्ट सरकार को सौंपने की बात कही. आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि सरकार योजनाओं और राशि की कमी नहीं कर रही है. अफसर योजनाओं का लाभ लाभुकों तक नहीं पहुंचा रहे हैं. मौके पर आयोग की सदस्य रेणु देवी, शर्मिला सोरेन, पूनम प्रकाश, आरती राणा आदि अधिकारी उपस्थित थीं. महिला आयोग ने पांच मामलों की सुनवाई की, एक का निष्पादन: दहेज प्रताड़ना, घरेलू हिंसा आदि के 11 पुराने मामले महिला आयोग की टीम के समक्ष रखे गये.

इन 11 में से पांच मामले की आयोग की टीम ने सुनवाई की. एक मामले का ऑनस्पॉट निष्पादन किया गया. आयोग के समक्ष नये पांच मामले भी आये. जिसकी आयोग की टीम ने समीक्षा की. क्यों नहीं पहुंच रहा लाभुकों के पास पोषक आहार : लाभुकों का पोषक आहार क्यों नहीं मिल पा रहा है, इस सवाल पर आयोग की अध्यक्ष ने सीधे-सीधे बोलने से इनकार किया. आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि लाभुकों तक पोषक आहार नहीं पहुंचाने वाले अफसरों पर धिक्कार है. लेकिन, लोगों को भी जागरूक होकर अपने अधिकारों के लिए आगे आना होगा.

हड़िया दारू पीकर होती है डायन के नाम पर हत्या स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिलने से हो रही है समस्या
अध्यक्ष ने कहा कि अक्सर हड़िया दारू के नशे में डायन के नाम पर हत्याएं होती हैं. जबकि, इस हत्या के पीछे जमीन या कोई और विवाद होता है. अध्यक्ष ने कहा कि स्वास्थ्य सुविधाएं समय पर नहीं मिलने से भी अंधविश्वास समाज में पनप रहा है. स्वास्थ्य विभाग को अंधविश्वास के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाने का आयोग की टीम ने आदेश दिया.
अफसरों ने कमियां गिना जिम्मेवारियों से किया किनारा
समीक्षा के दौरान विभागीय कमियां बताकर अफसरों ने सीधे-सीधे अपनी जिम्मेवारियों से किनारा कर लिया. सीडीपीओ ने ममता वाहन तो सिविल सर्जन ने चिकित्सों की कमी का रोना-रोकर जवाबदेही से खुद को सीधे-सीधे बचा लिया. कुपोषित बच्चों, गर्भवती मांओं तक पोषाहार पहुंचाने का जिम्मेवार महकमा समाज कल्याण विभाग पूरी रिपोर्ट के साथ समीक्षा बैठक में नहीं पहुंचा था. आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि समाज कल्याण विभाग की अधिकारी को समग्र रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है. रिपोर्ट के बाद आयोग की ओर से इस पर टिप्पणी की जायेगी.

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