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जंगल व पहाड़ों के बीच दिखता है प्रकृति का अद्भुत नजारा

नववर्ष पर सातकोठा में जुटते हैं सैलानी, प्रखंड मुख्यालय से 14 किमी दूर स्थित है यह जगह

जलडेगा. जलडेगा प्रखंड मुख्यालय से लगभग 14 किलोमीटर दूर कोनमेरला पंचायत के खरवागढ़ा गांव के समीप स्थित प्रसिद्ध पर्यटन स्थल सातकोठा में नववर्ष पर मेला सा माहौल देखने को मिलता है. जंगलों व पहाड़ों के बीच से बहती लुड़गी नदी की तेज जलधारा जब प्रकृति द्वारा निर्मित बड़े-छोटे सात कुंडों से होकर गुजरती है, तो वह पर्यटकों के मन-मस्तिष्क को स्वतः ही आकर्षित कर लेती है. बताया जाता है कि नदी की लगातार तेज धारा के कारण इन सात कुंडों का निर्माण हुआ, जिसके चलते इस स्थल का नाम सातकोठा पड़ा. वर्तमान में भी जलधारा से छोटे-छोटे नये कुंड बनते जा रहे हैं. नव वर्ष पर यहां सैकड़ों की संख्या में सैलानी पहुंचते हैं और पिकनिक के साथ-साथ प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद उठाते हैं.

नव वर्ष पर लगता है मेला

जलडेगा प्रखंड के एकमात्र पर्यटन स्थल सातकोठा में पिछले कई वर्षों से स्थानीय ग्रामीणों द्वारा समिति गठित कर मेला का आयोजन किया जाता रहा है. इस वर्ष भी मेला आयोजित किया जा रहा है. समिति में श्याम सुंदर भोगता, सहदेव भोगता, आसारू भोगता समेत दर्जनों ग्रामीण शामिल हैं. मेले के दौरान यहां पिकनिक मनाने वालों की भारी भीड़ उमड़ती है तथा कई प्रकार की दुकानें भी लगायी जाती हैं.

सातकोठा जाने का रास्ता

सातकोठा पहुंचने के लिए जलडेगा-सिमडेगा मुख्य पथ के गांगुटोली से दादी बेड़ा लाडो चौक होते हुए मनोहर डाउन पहुंचने से पहले एक कच्ची सड़क खरवागढ़ा गांव की ओर जाती है. इसी मार्ग से सातकोठा जाया जा सकता है. फिलहाल इस सड़क का निर्माण कार्य जारी है, जिससे आवागमन में सुविधा होने की उम्मीद है.

पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग

सातकोठा प्रखंड का एकमात्र पर्यटन स्थल होने के कारण नववर्ष पर लोगों में विशेष उत्साह देखने को मिलता है. ग्रामीणों का कहना है कि यदि यहां बुनियादी सुविधाएं विकसित की जाये, तो सैलानियों की संख्या और बढ़ सकती है. गांव के जेठू भोगता ने बताया कि लंबे समय से खरवागढ़ा गांव से सातकोठा तक सड़क निर्माण की मांग की जा रही थी, जो अब पूरी हो रही है. अब्दुल अंसारी ने सड़क के साथ शेड निर्माण की आवश्यकता बतायी. जयराम बड़ाइक ने सड़क निर्माण की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने की मांग की. अर्जुन भोगता ने पेयजल के लिए चापानल की जरूरत बतायी. वहीं आसारू भोगता, इसरायल तोपनो समेत अन्य ग्रामीणों ने कहा कि सातकोठा को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए सड़क के साथ-साथ शेड, चापानल और अन्य सुविधाओं पर भी गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए.

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Prabhat Khabar News Desk
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