रांची :कोलेबिरा उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी नमन विक्सल कोंगारी जीत गये हैं. 1984 में निर्दलीय प्रत्याशी वीर सिंह मुंडा से 9563 वोटों के अंतर से हारी कांग्रेस ने विधानसभा के दूसरे उपचुनाव में झारखंड पार्टी को उससे ज्यादा 9658 मतों से हरा दिया है. इस तरह कांग्रेस ने वर्ष 2018 में वर्ष 1984 में हुए उपचुनावों का बदला ले लिया है.
संयुक्त बिहार के कोलेबिरा विधानसभा में आजादी के बाद से अब तक सिर्फ दो उपचुनाव हुए. 1984 में और 2018 में. 1984 में कांग्रेस उम्मीदवार को एक निर्दलीय उम्मीदवार ने करीब 10 हजार मतों के अंतर से हरा दिया था. 1977 में झारखंड पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले वीर सिंह मुंडा ने 1984 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर कांग्रेस को करारी शिकस्त दी. 2018 के उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी नमन विक्सल कोंगारी ने झारखंड पार्टी के विधायक एनोस एक्का की पत्नी को बुरी तरीके से पराजित कर 34 साल पहले की हार का बदला ले लिया है.
एनोस एक्का झारखंड पार्टी के टिकट पर लगातार तीन बार चुनाव जीते. वर्ष 2005 से वह कोलेबिरा से निर्वाचित हो रहे थे. एक पारा शिक्षक की हत्या के मामले में कोर्ट ने एनोस को दोषी पाया और उन्हें जेल जाना पड़ा. इसलिए यहां उपचुनाव कराने पड़े. एनोस ने अपनी पत्नी मेनोन एक्का को उम्मीदवार बनाया, लेकिन कांग्रेस के नमन विक्सल कोंगारी ने उन्हें पराजित कर दिया. 10 राउंड की गिनती खत्म होने के बाद मेनोन एक्का चौथे स्थान पर चल रही हैं.
बना रहा ट्रेंड
कोलेबिरा विधानसभा का 1952 से चला आ रहा ट्रेंड अब तक बरकरार है. उपचुनाव की बात करें, तो जिस पार्टी के विधायक की सीट खाली हुई, उस पार्टी को यहां जीत नहीं मिली. 1984 में कांग्रेस को अपनी सीट गंवानी पड़ी थी, 2018 में झारखंड पार्टी को अपने ही गढ़ में करारी शिकस्त मिली है.
महिला विधायक चुनने का रिकॉर्ड भी इस बार नहीं टूटा. ऐसी उम्मीद थी कि गोमिया और सिल्ली की तरह मेनोन एक्का भी अपने पति की सीट बचा लेंगी, लेकिन परिणाम वैसा नहीं रहा. मेनोन यदि जीत जातीं, तो वह कोलेबिरा की पहली महिला विधायक बनने का रिकॉर्ड बनातीं, लेकिन ऐसा नहीं हो सका. कोलेबिरा की जनता ने महिला को विधायक नहीं चुनने का इतिहास कायम रखा.