खरसावां.
एनएच-33 को खरसावां से जोड़ने वाली खरसावां-रडगांव सड़क इन दिनों पूरी तरह जर्जर हो चुकी है. बारिश के मौसम में हालात और बिगड़ गये हैं. सड़क पर जगह-जगह बड़े-बड़े गड्ढे बन गये हैं, और पिच की परतें उखड़कर गिट्टियों में तब्दील हो गयी हैं. स्थिति ऐसी हो गयी है कि बाइक सवारों का ब्रेक लगाना भी जान जोखिम में डालना बन गया है.चार साल पुरानी सड़क, हालात जैसे दशक पुरानी
करीब 30 किलोमीटर लंबी यह सड़क खरसावां को रडगांव के पास स्थित राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-33 (टाटा-रांची एनएच-33) से जोड़ती है. यह सड़क साल 2021 में पूरी तरह बनकर तैयार हुई थी, जिस पर करीब 52 करोड़ रुपये की लागत आयी थी. लेकिन निर्माण के महज चार साल के भीतर ही यह सड़क उखड़ने लगी है.गड्ढे ही गड्ढे, हादसों की दावत
खासकर रायजेमा घाटी से लेकर रडगांव तक का सड़क बुरी तरह से प्रभावित है. सड़क पर फैली गिट्टियों और उखड़ी पिच के कारण बाइक स्किड करने की घटनाएं आम हो गयी हैं, जिससे आए दिन हादसे हो रहे हैं.लोगों को हो रही भारी परेशानी
खरसावां से बड़ी संख्या में लोग रांची, बुंडु, तमाड़ जैसे क्षेत्रों में इसी मार्ग से जाते थे. लेकिन अब जर्जर सड़क के कारण लोगों ने रास्ता बदल लिया है. अब लोग सरायकेला, कांड्रा और चौका होकर रांची पहुंच रहे हैं, जिससे उन्हें करीब 50 किलोमीटर अधिक दूरी तय करनी पड़ रही है.स्थानीय लोगों की मांग
स्थानीय लोगों का कहना है कि जिस सड़क के निर्माण में 8 साल लगे और करोड़ों रुपये खर्च हुए, उसकी यह हालत गुणवत्ता पर सवाल खड़ा करती है. उन्होंने सड़क के राइडिंग क्वालिटी में सुधार के लिए अविलंब योजना लेने और मरम्मत कार्य शुरू करने की मांग की है.मुख्य बातें
पूर्व में यह सड़क आरइओ के तहत थी, जिसे 2013 में पीडब्लूडी को हस्तांतरित किया गया.इसके बाद चौड़ीकरण और जीर्णोद्धार की मंजूरी मिली. 2021 में सड़क निर्माण कार्य पूरा हुआ, लेकिन गुणवत्ता की कमी और भारी वाहनों के दबाव के चलते यह सड़क जल्दी ही खराब हो गयी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

