राजनगर.
राजनगर प्रखंड क्षेत्र के बान्दु गांव में सोमवार को माझी बाबा बुधु हांसदा की अगुवाई में नि:शुल्क ओलचिकी अध्ययन केंद्र की स्थापना की गयी. कार्यक्रम की शुरुआत ओत गुरु पं. रघुनाथ मुर्मू के चित्र पर माल्यार्पण और बिंदु चांदन प्रार्थना से हुई. सभी ने ओत गुरु पं. रघुनाथ मुर्मू के आदर्शों को अपनाने और ओलचिकी लिपि को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया. माझी बाबा बुधु हांसदा ने बताया कि ओत गुरु पं. रघुनाथ मुर्मू ने संताली समाज के लिए ओलचिकी लिपि का आविष्कार किया, ताकि लोग अपनी मातृभाषा को अपनी ही लिपि में पढ़-लिखकर शिक्षा प्राप्त कर सकें. यह केंद्र बच्चों को नि:शुल्क ओलचिकी शिक्षा प्रदान करेगा, जिससे वे अपनी भाषा, संस्कृति और परंपरा से जुड़ पायेंगे और पं. रघुनाथ मुर्मू के अधूरे सपनों को पूरा करने में योगदान देंगे.हमारी पहचान के लिए ओलचिकी सीखना जरूरी : पृथ्वी
पृथ्वी राज हांसदा ने कहा कि आज के युग में अपनी भाषा और लिपि की जानकारी होना आवश्यक है. शिक्षा जीवन को दिशा देती है और ओलचिकी लिपि सीखना हमारी पहचान बनाये रखने का माध्यम है. कार्यक्रम में विकास सोरेन, विक्रम मार्डी, परशुराम टुडू, धनाई सोरेन सहित कई गांवों के माझी बाबा एवं शिक्षा प्रेमी उपस्थित थे. यह पहल ग्रामीण क्षेत्र में संताली भाषा व लिपि के संवर्धन की दिशा में एक प्रेरणादायी कदम मानी जा रही है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

