सरायकेला.
श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन कथा वाचक रत्नाकर नायक ने भगवान श्रीकृष्ण के अवतार, कंस वध, पुतना वध और बाल लीलाओं का वर्णन किया. उन्होंने कहा कि राजा उग्रसेन और रानी पद्मावती का पुत्र कंस मथुरा का एक दुष्ट शासक था. नारद मुनि ने कंस को भविष्यवाणी की थी कि देवकी का आठवां पुत्र उसकी मृत्यु का कारण बनेगा. इसलिए उसने अपनी बहन को बंदी बनाकर उसके सभी बच्चों को मारने का निश्चय किया. लेकिन श्रीकृष्ण बच गये. जब कंस को पता चला कि देवकी का पुत्र श्रीकृष्ण है तो उसने राक्षशी पुतना को उसे मारने के लिए भेजा, परंतु बाल गोपाल ने पुतना का वध कर दिया. वहीं किशोर उम्र में उन्होंने कंस की हत्या कर वापस उग्रसेन को उनका राज वापस लौटाया और मथुरा की प्रजा को अत्याचार से मुक्त कराया. अंत में कथावाचक को सम्मानित किया गया. मौके पर राजा सिंहदेव, राजेश मिश्रा, गणेश सतपथी, सुमित महापात्र, बादल दुबे, कोल्हु महापात्र, परशुराम कवि और शंकर सतपथी व अन्य उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

