खरसावां. सेंट्रल सिल्क बोर्ड ने गुरुवार को सरायकेला-खरसावां जिले के कुचाई स्थित कोपलोंग में रेशम किसानों के बीच जागरुकता कार्यक्रम किया. केंद्रीय तसर अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, रांची की वैज्ञानिक डॉ अपर्णा कोप्पारपु ने किसानों को तसर रेशम कीट पालन व विकसित नयी तकनीक की जानकारी दी. किसानों को नयी तकनीक अपनाने की सलाह दी, ताकि अधिक उत्पादन हो. तसर किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए पहल करने की बात कही. रेशम प्रोडक्शन को नयी ऊंचाई देने के लिए ‘मेरा रेशम, मेरा अभिमान’ अभियान की शुरुआत की गयी है. एडवांस टेक्नोलॉजी खेतों तक पहुंचेगी. रेशम क्षेत्र का विस्तार होगा. यह अभियान आत्मनिर्भर रेशम भारत की दिशा में मजबूत कदम है. अग्र परियोजना पदाधिकारी नितिश कुमार ने तसर किसानों को तकनीकी जानकारी दी.
देश के 100 जिलों में चल रहा ‘मेरा रेशम, मेरा अभिमान’ कार्यक्रम
सेंट्रल सिल्क बोर्ड की ओर से देश के 100 जिलों में ‘मेरा रेशम, मेरा अभिमान’ कार्यक्रम चलाया जा रहा है. झारखंड के छह जिले सरायकेला-खरसावां, पश्चिमी सिंहभूम, गोड्डा, गिरिडीह, दुमका व देवघर में कार्यक्रम चलेगा. वैज्ञानिक डॉ अपर्णा कोप्पारपु ने बताया कि जिन क्षेत्रों में पहले से रेशम की खेती हो रही है, वहां के किसानों को नयी तकनीक से जोड़ना है.
किसानों में उपकरण वितरण:
कार्यक्रम में रेशम किसानों में कृषि उपकरण का वितरण किया. कुचाई के उप प्रमुख सुखदेव सरदार ने रेशम किसानों को प्रोत्साहित किया. कार्यक्रम के दौरान मरांगहातु, भुरकुंडा, कोपलांग, गाडाकुटी आदि क्षेत्र के रेशम किसान पहुंचे थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

