चांडिल.
ईचागढ़ विधानसभा की जीवनरेखा कही जाने वाली चांडिल-कांड्रा मुख्य सड़क इन दिनों तालाब जैसे गड्ढों की वजह से मौत का रास्ता बन चुकी है. यह सड़क न सिर्फ चांडिल को जिला मुख्यालय सरायकेला से जोड़ती है, बल्कि जमशेदपुर और आदित्यपुर जैसे औद्योगिक क्षेत्रों तक पहुंचने का प्रमुख मार्ग भी है. लेकिन चार किलोमीटर के इस खस्ताहाल हिस्से पर चलना, मानो जिंदगी को दांव पर लगाना है.हर दिन का सफर, हर पल का खतरा
दिन में तो जैसे-तैसे लोग बच-बचाकर निकलते हैं, लेकिन रात्रि में इस मार्ग से गुजरना आत्मघाती हो चुका है. गड्ढों की गहराई का अंदाजा लगाना भी मुश्किल हो गया है. लोग अब कहने लगे हैं कि सड़क पर गड्ढे हैं, या गड्ढों में सड़क है. बीते एक वर्ष में, इन जानलेवा गड्ढों की वजह से छह से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें कई बाइक सवार शामिल हैं. सड़क पर बाइक, छोटे वाहन, ट्रक सभी के लिए खतरा मंडरा रहा है.अधिकतर संस्थान भी इसी मार्ग पर
चांडिल प्रखंड मुख्यालय, कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय, एक निजी अस्पताल और एक स्कूल सभी इसी मार्ग के किनारे स्थित हैं. स्कूली छात्र-छात्राएं जान जोखिम में डालकर रोज स्कूल पहुंच रहे हैं. मरीजों को अस्पताल ले जाना किसी संघर्ष से कम नहीं है.
यातायात का प्रमुख मार्ग फिर भी उपेक्षित
यह सड़क प्रतिदिन हजारों वाहनों का बोझ झेलती है, जिनमें औद्योगिक क्षेत्र के कर्मचारी, छात्र और आम नागरिक शामिल हैं. इसके बावजूद प्रशासन और जनप्रतिनिधि मौन हैं.मरम्मत की बात अधर में लटकी
सूत्रों के मुताबिक, सड़क निर्माण की टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, लेकिन निबंधन प्रक्रिया अब तक अटकी हुई है. जब तक फाइलों से बाहर निकलकर काम जमीन पर नहीं उतरता, तब तक यह दुर्घटना की आशंका बनी रहेगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

