प्रवचन :: अनुभवों की परिपक्वता से दिखता है जीवन का असली स्वरूप हमारा पुनर्जन्म होता है तथा उच्च चेतना विकसित होती है. चूंकि हम प्रकृति के प्रत्यक्ष संपर्क में आते हैं, इससे हमारी संकुचितता दूर हो जाती है. जिस प्रकार आध्यात्मिक जीवन तथा ध्यान में हमारा सामना ऐसे ही व्यक्तित्वों तथा परिस्थितियों से होता है. यात्रा तथा आंतरिक जीवन दोनों में ही हम खतरा उठाते हैं परंतु इससे हमें लाभ ही होता है. पहला कदम उठा लेने के बाद ही व्यक्ति इसके गूढ़ार्थ को समझ पाता है.एक पथिक, घुमक्कड़ मध्ययुगीन, कल्पनाशील सत्य तथा ज्ञान के अन्वेषक के रूप में यात्रा करने से शरीर, मन, इच्छाशक्ति तथा उद्देश्य की दृढ़ता विकसित होती है. जीवन स्वतंत्र तथा साहसपूर्ण कार्यों तथा कठिनाइयों से भरा है. अनुभवों की परिपक्वता द्वारा जीवन का असली स्वरूप दिखलाई पड़ने लगता है. एक ही दिन में हमारा सामना क्रोध आनंद, उदासी, उत्कृष्टता, भ्रांति, निराशा, खुशी, आश्चर्य तथा शांति के अनुभवों से होता है. इस प्रकार चोट अथवा नुकसान का भय, अवहेलना, अपमान घट जाते हैं.
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प्रवचन :: अनुभवों की परिपक्वता से दिखता है जीवन का असली स्वरूप हमारा पुनर्जन्म होता है तथा उच्च चेतना विकसित होती है. चूंकि हम प्रकृति के प्रत्यक्ष संपर्क में आते हैं, इससे हमारी संकुचितता दूर हो जाती है. जिस प्रकार आध्यात्मिक जीवन तथा ध्यान में हमारा सामना ऐसे ही व्यक्तित्वों तथा परिस्थितियों से होता है. […]
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