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World NTD Day 2021 : 30 जनवरी को नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज दिवस, लोगों को जागरूक करने का प्रयास

World NTD Day 2021, Jharkhand News, Ranchi News, रांची : भारत के नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज (Neglected Tropical Disease ) के उन्मूलन को लेकर हर साल 30 जनवरी को एनटीडी दिवस मनाया जाता है. इस दौरान NTD से जुड़े रोग को हर हाल में खत्म करने पर जाेर दिया जा रहा है. झारखंड में वर्ष 2021 को कालाजार से मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है.

World NTD Day 2021, Jharkhand News, Ranchi News, रांची : भारत के नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज (Neglected Tropical Disease ) के उन्मूलन को लेकर हर साल 30 जनवरी को एनटीडी दिवस मनाया जाता है. इस दौरान NTD से जुड़े रोग को हर हाल में खत्म करने पर जाेर दिया जा रहा है. झारखंड में वर्ष 2021 को कालाजार से मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है.

क्या है नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज

नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीजमें लिम्फैटिक फाइलेरिया (हाथीपांव), विसेरल लीशमैनियासिस (कालाजार), लेप्रोसी (कुष्ठरोग), डेंगू, चिकुनगुनिया, सर्पदंश, रेबीज जैसे रोग शामिल होते हैं, जिनकी रोकथाम संभव है. मगर फिर भी इन रोगों के कारण देश के हजारों लोगों की हर साल या तो मृत्‍यु हो जाती है या फिर विकलांग हो जाते हैं.

2030 से पहले NTD उन्मूलन का लक्ष्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन के एनटीडी रोडमैप (2021-2030) के अनुसार, एनटीडी से मुकाबले के लिए अब पूरी तरह से तैयार है, तो ऐसे में झारखंड ने दोबारा अपनी प्रतिबद्धता प्रकट की है कि वह सुनिश्चित करेगा कि एनटीडी उन्मूलन के भारत के लक्ष्य पूरे हों. एनटीडी की चुनौती से निबटने के लिए राज्य के संकल्प के बारे में राज्य के वेक्टर बोर्न डिजीज अधिकारी डॉ एसएन झा ने कहा कि हम प्रतिबद्ध हैं कि भारत वर्ष 2030 से पहले एनटीडी उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त कर ले.

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कालाजार और हाथीपांव के उन्मूलन की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति

इधर, झारखंड में एनटीडी की रोकथाम और नियंत्रण को राष्ट्रीय रोग नियंत्रण कार्यक्रमों के माध्यम से प्राथमिकता दी जा रही है. इन रोगों में हाथीपांव, कालाजार, कुष्ठरोग, रेबीज, मिट्टी संचारित कृमिरोग और डेंगू शामिल है. इन नियंत्रण कार्यक्रमों को वैश्विक रणनीतियों पर चलाया जाता है और इनके लिए एक तय सालाना बजट भी रहता है. देश में कालाजार और हाथीपांव के उन्मूलन की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति हुई है. देश ने कालाजार के 97 प्रतिशत स्थानिक प्रखंडों में इस बीमारी को काफी कम कर दिया है. इन प्रखंडों में हर 10,000 की आबादी पर कालाजार के एक से भी कम मामले हो चुके हैं.

हाथीपांव रोग से ग्रस्त देश के 272 जिलों में से 98 जिलों में रोग संचरण को रोक दिया गया है और मास ड्रग ऐडमिनिस्ट्रेशन भी सफल परिणामों के बाद बंद कर दिया गया है. तीव्र भौगोलिक फैलाव की वजह से डेंगू चुनौती बना हुआ है, लेकिन वर्ष 2008 के बाद से देश से होने वाली मौतों की दर को एक प्रतिशत से कम पर रखा हुआ है. NTD समेत सभी बीमारियों के लिए जनस्वास्थ्य प्रणाली द्वारा सेवाएं दी जाती हैं.

हाथीपांव, कालाजार, मिट्टी से संचारित कृमिरोग एवं कुष्ठरोग के लिए प्लेटफॉर्म बनाये जा रहे हैं, ताकि जहां भी संभव हो मामलों का पता लगाने, वेक्टर कंट्रोल, मास ड्रग ऐडमिनिस्ट्रेशन आदि प्रयासों का समन्वय किया जा सके. वेक्टर कंट्रोल के लिए विभिन्न क्षेत्रों के बीच समन्वय मजबूत करने से डेंगू, हाथीपांव और कालाजार के मामलों में लाभ हुआ है.

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लोगों में जागरूकता की जरूरत

झारखंड में लिम्फैटिक फाइलेरिया (हाथीपांव) और कालाजार से प्रभावित जिले NTD जनस्वास्थ्य के लिए बड़ी चुनौतियां बने हुए हैं. लेकिन, राज्य इन रोगों के खिलाफ ठोस कदम उठा रहा है. एनटीडी के खिलाफ राज्य के प्रयासों के बारे में डॉ झा ने कहा कि कालाजार कीटनाशक छिड़काव के साथ ही सभी संबंधित घरों में स्टिकर, सार्वजनिक स्थानों में पोस्टर लगाकर लोगों में जागरूकता का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है.

Posted By : Samir Ranjan.

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