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Ranchi News : एकता और सामूहिकता का प्रतीक यूनियन क्लब

यूनियन क्लब बंग समुदाय की एकता और सामूहिकता का प्रतीक माना जाता है.

यूनियन क्लब एंड लाइब्रेरी का 161वां स्थापना दिवस

रांची. यूनियन क्लब बंग समुदाय की एकता और सामूहिकता का प्रतीक माना जाता है. शहर के बीचोंबीच स्थित यह क्लब आज अपनी विशिष्ट पहचान बनाये हुए है. क्लब के सदस्य सामाजिक कार्यों से लेकर सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजनों तक हर क्षेत्र में सक्रिय हैं, जहां बंग समुदाय की एकजुटता स्पष्ट दिखायी देती है. यह क्लब अब अपने 161वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है. इसकी स्थापना वर्ष 1864 में हुई थी. क्लब की खासियत यह है कि यहां हर सदस्य एक-दूसरे से गहराई से जुड़ा है. वर्तमान में 800 सदस्य जुड़े हुए हैं. यूनियन क्लब का इतिहास काफी पुराना है. इसकी शुरुआत 27 नवंबर 1864 को मेन रोड टैक्सी स्टैंड के समीप एक कमरे में केएन रॉय ने एक पब्लिक लाइब्रेरी के रूप में की थी. उस समय यहां कुछ मैगजीन रखी जाती थीं. वर्ष 1866 में छोटानागपुर क्लब की शुरुआत थड़पखना में हुई, जहां विभिन्न खेल गतिविधियां संचालित होती थीं. बाद में वर्ष 1896 में टाउन क्लब, यूनियन क्लब और छोटानागपुर क्लब एक साथ संचालित हुए. संत अन्ना के समीप एक ही कमरे में लाइब्रेरी और क्लब दोनों चलते थे. इसी कारण उस गली को यूनियन क्लब लेन कहा जाने लगा. वर्ष 1937-38 तक ये संस्थाएं साथ मिलकर चलती रहीं और वर्ष 1939 में तीनों का विलय कर पंजीकरण किया गया, जिसके बाद इसका नाम यूनियन क्लब एंड लाइब्रेरी रखा गया.

नेताजी की प्रतिमा है खास

इस वर्ष यूनियन क्लब में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 8.5 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया गया है. प्रतिमा का निर्माण मूर्तिकार अमिताभ मुखर्जी ने किया है. इसकी लागत 3.5 लाख रुपये है. प्रतिमा कल्याणी से तैयार होकर क्लब परिसर में स्थापित की गयी. फाइबर मटेरियल से बनी यह सफेद प्रतिमा आकर्षक है.

लाइब्रेरी में 43 हजार से अधिक किताबें

क्लब की लाइब्रेरी में बांग्ला साहित्य का समृद्ध संग्रह मौजूद है. यहां करीब 43 हजार से अधिक किताबें रखी गयी हैं, जो काफी पुरानी और विशेष हैं. हर वर्ष यहां पुस्तकों की संख्या बढ़ती जा रही है. वर्तमान में बांग्ला, हिंदी और अंग्रेजी की पुस्तकों में रविंद्रनाथ टैगोर, अंजीत कुमार गुप्ता, शरतचंद्र चटर्जी, बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय, ईश्वर चंद्र विद्यासागर, आशापूर्णा देवी, ताराशंकर बंदोपाध्याय, विभूति भूषण आदि की रचनाएं उपलब्ध हैं. यहां रविंद्रनाथ टैगोर की कविताओं का संग्रह और बांग्ला नाटकों की 3000 पुस्तकें रखी गयी हैं. टैगोर के हस्ताक्षर वाली एक पुस्तक भी लाइब्रेरी में सुरक्षित है.

आम लोगों के लिए निःशुल्क बांग्ला कक्षाएं

क्लब में निःशुल्क बांग्ला भाषा की कक्षाएं संचालित की जाती हैं. इसमें बंग-भाषी लोगों के साथ अन्य भाषाओं के लोग भी बांग्ला सीखने के लिए आते हैं. प्रशिक्षण के बाद निखिल भारत बंग साहित्य सम्मेलन के माध्यम से परीक्षा भी दिलायी जाती है. तीन शिक्षिकाएं यहां निःशुल्क बांग्ला पढ़ाती हैं. इसके अलावा बच्चों को कराटे, योगा, पेंटिंग आदि का प्रशिक्षण भी दिया जाता है. क्लब में बैडमिंटन, बिलियर्ड्स, कैरम, कार्ड जैसे खेलों की सुविधा उपलब्ध है. जल्द ही टेबल टेनिस और बिलियर्ड्स की कोचिंग की भी शुरुआत होने वाली है.

कोटयूनियन क्लब में समय के साथ काफी बदलाव आया है, लेकिन लोगों की एकता आज भी बरकरार है. यहां हर आयोजन काफी धूमधाम से मनाया जाता है.

श्वेतांक सेन, सेक्रेटरी————–यूनियन क्लब हमारे लिए गर्व का स्थान है. इससे जुड़े रहना हमें अच्छा लगता है. इससे बहुत पुरानी यादें जुड़ी हैं. क्लब समय के साथ काफी अपग्रेड हुआ है.

डॉ राम रंजन सेन, वरिष्ठ सदस्य

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