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Ranchi News : अंडमान और दार्जिलिंग के गिरजाघरों में बढ़ी क्रिसमस की रौनक

नीले समुंदर और नारियल के वृक्षों की हरियाली से सजे द्वीप समूह अंडमान और निकोबार, क्रिसमस के समय और खूबसूरत हो जाता है.

सादरी गीतों पर होता है क्रिसमस सेलिब्रेशन, चावल और चीनी से बनाते हैं पकवान

अंडमान में क्रिसमस सेलिब्रेशन

प्रवीण मुंडा, रांचीनीले समुंदर और नारियल के वृक्षों की हरियाली से सजे द्वीप समूह अंडमान और निकोबार, क्रिसमस के समय और खूबसूरत हो जाता है. द्वीप के मसीही बहुल क्षेत्रों में क्रिसमस कैरोल्स गूंजने लगते हैं. अंडमान में बड़ी संख्या में छोटानागपुर के ईसाई आदिवासी समुदाय के लोग हैं. ये यहां कई पीढ़ियों से रह रहे हैं. कल्याण गुड़िया ने बताया कि इस बार भी पुरानी परंपरा को निभाते हुए बीते 13 दिसंबर को अंडमान के मायाबंदर में क्रिसमस गैदरिंग हुई. इसमें जीइएल चर्च छोटानागपुर और असम की अंडमान क्षेत्र की नौ मंडलियों के विश्वासी शामिल हुए. दिन भर क्रिसमस गीतों पर लोग झूमते नजर आए. यहां मांदर की थाप पर सादरी भाषा में जन्मपर्व पर लोग झूमते नजर आते हैं. इस उत्सव में पारंपरिक अरसा, मिठाई आदि से इसमें और मिठास भर दी है. इस गैदरिंग में रोमन कैथोलिक अन्य चर्च के विश्वासी और बर्मा के लोगों ने भी हिस्सा लिया. इसके कुछ दिनों के बाद प्रकाश यात्रा निकाली गयी. इस प्रकाश यात्रा को भी अंडमान में मौजूद अलग अलग चर्च समुदायों ने मिलकर खास बनाया. रोमन कैथोलिक चर्च धोबीडेरा से निकलकर मायाबंदर मुख्य बाजार होते हुए करीब 10 किलोमीटर की यात्रा तय कर वापस चर्च परिसर में समाप्त हुई. यात्रा में शामिल हुए लोग अपने हाथों में कैंडल लिए हुए थे. सजे हुए वाहनों में लोग तरह तरह की वेशवूषा में शामिल होते हैं. कोई लाल रंग की पोशाक में सांता बनता है तो कई युवती मरियम का वेश नजर आती है. कोई जोसेफ का रूप लेता है तो कोई स्वर्गदूत बनता है. यह प्रकाशयात्रा इस द्वीप के उत्सवी माहौल को और बढ़ा देता है. पर 24 दिसंबर की सुबह से क्रिसमस का उल्लास अपने चरम पर होता है. घर, चर्च, बाजार आदि क्रिसमस स्टार, ट्री से सजे हुए हैं. रात आठ बजे से ही चर्च में कैरोल सिगिंग शरू हो जाती है. रात 11 बजे से प्रार्थना शुरू होती है. प्रार्थना के बाद चर्च परिसर में ही लोग जमे रहते हैं. शैलो डांस, कैरोल आदि सुबह तक होते हैं. 25 दिसंबर की सुबह से लोग एक दूसरे के घरों में जाकर क्रिसमस की बधाई देते और चावल व चीनी से बने पकवान का आनंद लेते हैं.

दार्जिलिंग के छोटे से चर्च में सादगी से मनाते हैं क्रिसमस

दार्जिलिंग के बागडोगरा में सादरी भाषा में क्रिसमस के गीत गूंज रहे हैं. जनम लेलै यीशु राजा…., शीत पानी झरे सहित अन्य गीतों से चाय बगान का क्षेत्र झूम रहा है. यहां आगमन की शुरुआत के साथ ही क्रिसमस को लेकर तैयारियां होने लगी थी. घर, चर्च व मोहल्लों को सफाई व सजाने का काम शुरू हो गया था. जीइएल चर्च बागडोगरा के प्रवेश द्वार के पास क्रिसमस ट्री सजाया गया है. चर्च के अंदर भी साज सजावट की गयी है. महिला पादरी रेव्ह रेचेल ने बताया कि बीते 14 दिसंबर को यहां पहली बार क्रिसमस गैदरिंग का आयोजन हुआ. लोगों ने अपने घरों से पकवान बनाकर लाया और एक-दूसरे के साथ शेयर किया.

बागडोगरा चर्च को सजाने का जिम्मा यहां के युवाओं ने लिया था. इस बार वे अपने इनोवेटिव आइडिया के साथ आए थे और छोटे से चर्च को कम संसाधनों में बेहद खूबसूरती से सजाया है. एक सेल्फी प्वाइंट भी बनाया गया है. यहां रहनेवाले लोग आर्थिक रूप से बहुत सक्षम नहीं है. कोई चाय बागान में काम करता है, तो कोई ड्राइवर का और कोई टीचर हैं. यहां के लोग बहुत मिलनसार है. कई तरह की समस्याओं के बावजूद क्रिसमस का त्योहार इनके लिए खुशियों का पैगाम लेकर आया है. गौरतलब है कि 1880 के आसपास ही छोटानागपुर के लोग असम, बंगाल और भूटान के चाय बागानों में काम करने के लिए ले जाये गये थे. अब उन क्षेत्रों में इनकी तीसरी और चौथी पीढ़ी रह रही है.

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Prabhat Khabar News Desk
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