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झारखंड राज्य बिजली बोर्ड से अलग होकर चार कंपनियां बनीं, पर अभी भी करोड़ों का नुकसान जारी

बिजली वितरण निगम द्वारा बिजली बिल के रूप में 350 से 400 करोड़ रुपये राजस्व की वसूली की जाती है. इसमें सरकार द्वारा दी जानेवाली सब्सिडी भी शामिल है. झारखंड बिजली वितरण निगम के पास इस समय 48 लाख से अधिक उपभोक्ता हैं. इनमें 85 प्रतिशत को बिल निर्गत किया जाता है.

Jharkhand News: वर्षों में यह परिवर्तन हुआ कि झारखंड राज्य बिजली बोर्ड (जेएसइबी) का बंटवारा कर दिया गया. चार अलग-अलग कंपनियां बन गयी हैं. झारखंड विद्युत बोर्ड को घाटे से उबारने के लिए सरकार ने जनवरी 2014 में बिजली बोर्ड का बंटवारा किया. इसके बाद झारखंड ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड, झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड, झारखंड ऊर्जा संचरण निगम लिमिटेड और झारखंड ऊर्जा उत्पादन निगम जैसी कंपनियां बनायी गयीं. झारखंड ऊर्जा विकास निगम होल्डिंग कंपनी है, जो तीनों कंपनियों पर नियंत्रण रखती है. बाकी तीनों कंपनियों को अपने लिये खर्च की व्यवस्था स्वयं करनी है, लेकिन तीनों कंपनियों की निर्भरता आज भी सरकार पर बरकरार है.

350 से 400 करोड़ राजस्व की वसूली, 141 करोड़ का घाटा

बिजली वितरण निगम द्वारा बिजली बिल के रूप में 350 से 400 करोड़ रुपये राजस्व की वसूली की जाती है. इसमें सरकार द्वारा दी जानेवाली सब्सिडी भी शामिल है. झारखंड बिजली वितरण निगम के पास इस समय 48 लाख से अधिक उपभोक्ता हैं. इनमें 85 प्रतिशत को बिल निर्गत किया जाता है. इसमें औद्योगिक और कॉमर्शियल से लेकर घरेलू उपभोक्ता तक शामिल हैं, पर इनमें आधे उपभोक्ता बिल का भुगतान ही नहीं करते. बोर्ड द्वारा 400 करोड़ प्रति माह की ही वसूली हो पाती है. निगम द्वारा बिजली खरीद के मद में 480 करोड़ रुपये प्रति माह खर्च किये जाते हैं. बिजली एनटीपीसी, डीवीसी जैसी कंपनियों से ली जाती है. वहीं कर्मचारियों के वेतन व पेंशन मद में प्रति माह 37 करोड़ रुपये खर्च होते हैं. साथ ही ऑपरेशन व मेंटनेंस मद में प्रति माह 24 करोड़ खर्च होते हैं. कुल 541 करोड़ खर्च होते हैं, जबकि इसके एवज में 400 करोड़ ही मिल पाता है. यानी हर माह 141 करोड़ का घाटा निगम को होता है.

“4.38 में खरीद कर “6.25 प्रति यूनिट बिक्री

झारखंड बिजली वितरण निगम द्वारा औसतन एनटीपीसी, डीवीसी व अन्य कंपनियों से बिजली खरीदी जाती है. अलग-अलग कंपनियों से अलग-अलग दर पर बिजली खरीदी जाती है. निगम द्वारा औसतन 4.38 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदी जाती है और घरेलू उपभोक्ताओं को 6.25 रुपये प्रति यूनिट बेची जाती है. हालांकि इसके बाद भी निगम को राजस्व में घाटा उठाना पड़ता है.

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डीवीसी कमांड एरिया में बिछाया जा रहा है नेटवर्क

झारखंड की एक बड़ी समस्या यह है कि डीवीसी के कमांड एरिया धनबाद, बोकारो, गिरिडीह, रामगढ़, हजारीबाग, कोडरमा और चतरा जैसे जिलों में डीवीसी द्वारा ही बिजली आपूर्ति की जाती है. आज भी डीवीसी के बकाये को लेकर विवाद होता है. केंद्र सरकार ने डीवीसी के बकाये को लेकर राज्य सरकार के खाते से राशि काट ली थी. अब सरकार डीवीसी कमांड एरिया में अपना नेटवर्क बिछाना चाहती है. 1129.09 करोड़ की लागत से रामगढ़, बड़कागांव, गोला, बरही,बिष्णुगढ़, दुग्धा, पुटकी, महुदा, पेटरवार, हंटरगंज, गावां, निरसा और सिमिरिया में नेटवर्क पर काम हो रहा है. कई जगह काम पूरे हो चुके हैं. दूसरी ओर पतरातू में एनटीपीसी द्वारा निर्माणाधीन 4000 मेगावाट के पावर प्लांट से इन सभी ग्रिड को जोड़ने की योजना पर काम हो रहा है. जिससे डीवीसी के सभी इलाकों में झारखंड बिजली वितरण निगम अपने नेटवर्क से आपूर्ति करने में सक्षम हो सके. सरकार ने भी इसे प्राथमिकता पर लिया है.

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