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झारखंड: पेट्रोल सब्सिडी योजना हो या उज्ज्वला योजना, घटती जा रही है लाभुकों की दिलचस्पी, जानें क्या है स्थिति

झारखंड सरकार की पेट्रोल सब्सिडी योजना या प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना लाभुकों की दिलचस्पी इनमें लगातार घटती जा रही है. जनवरी 2022 में 1.15 लाख लाभुक पेट्रोल सब्सिडी योजना से जुड़े थे, अब सिर्फ 22,444 लोग ही लाभ ले रहे हैं.

आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए चलायी जा रही झारखंड सरकार की पेट्रोल सब्सिडी योजना हो या केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, लाभुकों की दिलचस्पी इनमें लगातार घटती जा रही है. जनवरी 2022 में 1.15 लाख लाभुक पे ट्रोल सब्सिडी योजना से जुड़े थे, अब सिर्फ 22,444 लोग ही लाभ ले रहे हैं. इसी तरह झारखंड में 36.40 लाख लाभुकों को उज्ज्वला योजना से जोड़ कर सिलिंडर दिया गया था, लेकिन 7.44 लाख लोगों ने ही दोबारा सिलिंडर भराया. इसी तरह राज्य सरकार की मुख्यमंत्री पशुधन योजना का हाल भी बुरा है. इन योजनाओं की पड़ताल की प्रभात खबर की टीम ने.

पेट्रोल सब्सिडी योजना से बाहर हो गये 92 हजार

राज्य सरकार की ओर से शुरू की गयी पेट्रोल सब्सिडी योजना से 92 हजार से अधिक गरीब बाहर हो गये हैं. झारखंड सरकार ने जनवरी 2022 में राशन कार्डधारियों को पेट्रोल पर 25 रुपये प्रति लीटर सब्सिडी देने की योजना शुरू की है. इसके बावजूद सब्सिडी लेनेवालों की संख्या घटती जा रही है. राज्य में पेट्रोल की कीमत लगभग 100 रुपये होने के बावजूद राशनकार्डधारी योजना का लाभ नहीं ले रहे हैं. जनवरी 2022 में जब यह योजना शुरू की गयी थी, तब 1.15 लाख लाभुकों ने इसका लाभ लिया था.

चालू वित्तीय वर्ष के अप्रैल माह में इनकी संख्या घट कर 22,444 रह गयी है. सरकार ने पेट्रोल सब्सिडी योजना शुरू करने के बाद री-रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू की थी. योजना के लाभुकों को हर माह री-रजिस्ट्रेशन कराना है. इस योजना का लाभ ज्यादा-ज्यादा लोगों को मिले, इसके लिए लाभुकों के मोबाइल पर मैसेज भेज कर री-रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू की गयी है.

पहली बार 1.45 लाख लाभुकों ने दिया था आवेदन :

सरकार की ओर से जब (जनवरी-2022) पेट्रोल सब्सिडी योजना शुरू की गयी थी, तब 1,45, 197 लोगों ने सब्सिडी के लिए आवेदन दिया था. इसमें से 1,15,356 आवेदन स्वीकृत करने के बाद इन्हें 10 लीटर तक के पेट्रोल पर 25 रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी दी गयी. इसके बाद से लगातार लाभुकों की संख्या घटती जा रही है.

चालू वित्तीय वर्ष में 10 करोड़ का प्रावधान :

वित्तीय वर्ष 2023-24 में पेट्रोल सब्सिडी योजना के संचालन के लिए 10 करोड़ रुपये के व्यय का प्रावधान किया गया है. इसके माध्यम से योग्य राशन कार्डधारियों को 250 रुपये प्रतिमाह की दर से राशि उपलब्ध करायी जा रही है.

कब कितने लाभुकों ने उठाया लाभ

माह लाभुक

जनवरी – 22 1,15,356

जनवरी- 23 23,304

फरवरी- 23 23,508

मार्च- 23 22,859

अप्रैल- 23 22,444

खूंटी में सबसे कम लाभुक

सबसे ज्यादा पूर्वी सिंहभूम से राशन कार्डधारी योजना का लाभ उठा रहे हैं. यहां पर 4,754 लाभुक योजना का लाभ उठा रहे हैं. रांची में लाभुकों की संख्या 3,749 है. वहीं खूंटी जिला में सबसे कम सिर्फ 138 लाभुक ही योजना का लाभ उठा रहे हैं. मालूम हो कि यह योजना पेट्रोल की बढती कीमत से राहत के लिए शुरू कर गयी थी.

36.40 लाख में औसतन 7.44 लाख ग्राहक ही दोबारा भरा रहे सिलिंडर

राजेश कुमार, रांची

झारखंड में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की स्थिति ठीक नहीं है. हाल यह है कि झारखंड में 36.40 लाख ग्राहकों तक योजना भले ही पहुंच गयी है. लेकिन, ग्राहक दुबारा सिलिंडर भराने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं. स्थिति यह है कि कुल 36.40 ग्राहकों में से हर माह औसतन 7.44 लाख ग्राहक ही दोबारा सिलिंडर भरा रहे हैं. यह कुल औसत का लगभग 20.38 प्रतिशत ही है. गैस कंपनी के अधिकारियों ने कहा कि सामान्य ग्राहकों का हर माह औसत खपत नौ किलो प्रति ग्राहक हैं, जबकि उज्ज्वला योजना में हर माह औसत खपत 2.83 किलो प्रति ग्राहक है.

झारखंड में उज्ज्वला योजना के ग्राहक

आइओसीएल 1935404

एचपीसीएल 1003572

बीपीसीएल 701412

कुल ग्राहक 3640388

दूरी बनाने के पीछे यह है कारण

14.2 किलो घरेलू सिलिंडर का दाम वर्तमान में 1160.50 रुपये प्रति सिलिंडर पहुंच गया है. सब्सिडी के रूप में उज्ज्वला के ग्राहकों को 237.76 रुपये बैंक खाते में भेजा जाता है. इस प्रकार, ग्राहकों को गैस की वास्तविक कीमत 922.74 रुपये देनी पड़ रही है. गैस की कीमत अधिक होने के कारण लोग इससे दूरी बना रहे हैं.

185 लाभुकों को देनी थीं गायें, सिर्फ चार को मिली

गुमला जिले में वित्तीय वर्ष 2022-23 में ‘मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना’ के तहत संचालित योजनाओं की स्थिति संतोषजनक नहीं है. योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2022-23 में कुल 185 लाभुकों के बीच दो-दो गायों वितरण करने का लक्ष्य था. हालांकि, महज चार लाभुकों को ही योजना का लाभ मिला है. यही हाल अन्य योजनाओं का भी है. कई योजनाओं में तो उलब्धि शून्य है. जानकार बताते हैं कि योजनाओं की विफलता का मुख्य कारण विभाग द्वारा योजना का प्रचार प्रसार नहीं करना है.

जबकि, जिला पशुपालन पदाधिकारी का तर्क है कि किसी लाभुक के पास पूंजी का अभाव है, तो किसी के पास पशुओं को रखने के लिए शेड की सुविधा नहीं है. इस कारण पशुपालक किसान पशुपालन के प्रति रुचि नहीं ले रहे हैं. गौरतलब है कि पशुपालक किसानों को आर्थिक रूप से सबल बनाने के उद्देश्य से झारखंड सरकार की ओर से मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना संचालित की जा रही है. योजना के तहत पशुपालक महिला व पुरुष किसानों को गाय, बकरी, सूकर, मुर्गी अथवा बतख चूजा मुहैया कराने की योजना है.

इन योजनाओं की उपलब्धि शून्य

योजना लाभुक उपलब्धि

पांच गाय वितरण 06 शून्य

10 गाय वितरण 01 शून्य

500 पीस बॉयलर चूजा 43 शून्य

400 पीस लेयर चूजा 13 शून्य

किसी के पास पूंजी का अभाव है, तो किसी के पास शेड की सुविधा नहीं है. 90 और 75% राशि चयनित लाभुकों के बैंक खाते में डीबीटी भी की गयी है. पर लाभुक शेष 10 और 25% की राशि नहीं दे पा रहे हैं. – डॉ शंकर प्रसाद,

जिला पशुपालन पदाधिकारी, गुमला

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