रांची : भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने शनिवार को अदालत पर ही सवाल उठा दिया. उन्होंने कहा कि कानून यदि सुप्रीम कोर्ट ही बनायेगा, तो संसद भवन बंद कर देना चाहिए. हालांकि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उनके इस बयान से किनारा करते हुए इसे उनका निजी बयान करार दिया. दरअसल निशिकांत दुबे ने देश में गृह युद्ध के लिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को जिम्मेदार बताया है. उन्होंने कहा कि धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है. कोर्ट सीमाओं से बाहर जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट विधायिका द्वारा पारित कानूनों को रद्द करके संसद की विधायी शक्तियों को अपने हाथ में ले रहा है. यहां तक कि राष्ट्रपति को निर्देश भी दे रहा है, जो सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्तिकर्ता प्राधिकारी हैं.
निशिकांत दुबे ने उपयोग के कारण वक्फ प्रावधान को कमजोर करने पर की टिप्पणी
निशिकांत दुबे ने अधिनियम द्वारा ‘उपयोग के कारण वक्फ’ प्रावधान को कमजोर करने पर अदालत की आलोचनात्मक टिप्पणियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसने अयोध्या में राम मंदिर समेत मंदिरों से जुड़े मामलों में दस्तावेजी सबूत मांगे हैं, पर मौजूदा मामले में इसी तरह की आवश्यकता को नजरअंदाज करने का मार्ग चुना है.
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गोड्डा सांसद ने अनुच्छेद 368 का दिया हवाला
गोड्डा सांसद ने संविधान के अनुच्छेद 368 का हवाला देते हुए कहा कि कानून बनाना संसद का काम है और सुप्रीम कोर्ट का काम कानूनों की व्याख्या करना है. अदालत सरकार को आदेश दे सकती है, लेकिन संसद को नहीं. वहीं, भाजपा के एक अन्य सांसद दिनेश शर्मा ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आलोचनात्मक टिप्पणी की.
यह उनकी निजी टिप्पणी, पार्टी करती है खारिज : जेपी नड्डा
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इस प्रकरण में पार्टी का रुख स्पष्ट किया. उन्होंने एक्स पर लिखा, सांसद निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा का न्यायपालिका एवं चीफ जस्टिस पर दिये गये बयान से पार्टी का कोई लेना–देना नहीं है. यह इनका व्यक्तिगत बयान है. पार्टी ऐसे बयानों से न तो कोई इत्तेफाक रखती है, न ही कभी भी ऐसे बयानों का समर्थन करती है.
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