34.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

Millets:गरीबों का भोजन रहा मोटा अनाज अमीरों में क्यों हो रहा लोकप्रिय, क्या बोले BAU VC डॉ ओंकार नाथ सिंह

बीएयू के कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि झारखंड के कई जिलों में मड़ुआ (रागी) और गुन्दली की परंपरागत खेती होती है, जबकि पलामू में ज्वार की खेती प्रचलित है. बीएयू के वैज्ञानिकों ने मड़ुआ(रागी) की चार तथा गुन्दली की एक उन्नत प्रभेद और पैकेज प्रणाली विकसित की है.

International Year of Millets 2023: रांची के बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) के कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि हमारे पूर्वजों के भोजन की आदतों में मिलेट्स (मोटा अनाज) शामिल था. आज ये लगभग गायब हो चुका है. इसे पहले गरीबों का भोजन कहा जाता था. अब ये अमीरों के भोजन की आदतों में तेजी से प्रचलित हो रहा है. मिलेट्स हमारे मुख्य आहार के विकल्प नहीं हो सकते, लेकिन पोषण सुरक्षा के लिए इन्हें भोजन की आदतों में शामिल करने की जरूरत है. बीएयू के प्रबंध पर्षद कक्ष में मिलेट्स क्रॉप्स (फसलों) से जुड़े विशेषज्ञों की उच्चस्तरीय बैठक में वे बोल रहे थे.

पोषण सुरक्षा के लिए मिलेट्स अहम

बीएयू के कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने विश्वविद्यालय के अधीनस्थ सभी कॉलेजों में जागरूकता अभियान चलाने एवं पोस्टर-प्रदर्शनी लगाने का निर्देश दिया. उन्होंने राज्य के विभिन्न जिलों में कार्यरत कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से जिले में जागरूकता अभियान, कौशल विकास एवं प्रत्यक्षण कार्यक्रम आयोजित करने की बात कही. उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों के भोजन की आदतों में मिलेट्स (मोटा अनाज) शामिल था. जो आज लगभग गायब हो चुका है. इसे पहले गरीबों का भोजन कहते थे, जो अब अमीरों के भोजन की आदतों में तेजी से प्रचलित हो रहा है. मिलेट्स हमारे मुख्य आहार चावल एवं गेहूं का विकल्प नहीं हो सकता, लेकिन लोगों की पोषण सुरक्षा के लिए इसे हमारे भोजन की आदतों में शामिल करने की आवश्यकता है.

भोजन की आदतों में मिलेट्स को दें बढ़ावा

कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि झारखंड के कई जिलों में मड़ुआ (रागी) और गुन्दली की परंपरागत खेती होती है, जबकि पलामू में ज्वार की खेती प्रचलित है. बीएयू के वैज्ञानिकों ने मड़ुआ(रागी) की चार तथा गुन्दली की एक उन्नत प्रभेद और पैकेज प्रणाली विकसित की है. राज्य में मिलेट्स क्रॉप्स की खेती के आच्छादन को बढ़ाने और लोगों की भोजन की आदतों में मिलेट्स को बढ़ावा देने के लिए व्यापक कार्यक्रम चलाने की आवश्यकता है.

Also Read: BAU Ranchi News: वैज्ञानिक निष्कर्ष निकालने में कितना अहम है सांख्यिकी, वर्कशॉप में बोले BAU के वैज्ञानिक

मिलेट्स वर्ष में वार्षिक कार्ययोजना पर विमर्श

मिलेट्स (मोटा अनाज) विशेषज्ञ डॉ अरुण कुमार द्वारा गुरुवार को बीएयू के प्रबंध पर्षद कक्ष में आयोजित बैठक में वर्ष 2023 में जनवरी से दिसंबर माह तक की वार्षिक कार्ययोजना विचार-विमर्श के लिए रखी गयी. बैठक में अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष में बीएयू के द्वारा आयोजित की जाने वाले कार्यक्रमों के संचालन पर विस्तार से चर्चा हुई. इसमें मिलेट्स क्रॉप्स के आच्छादन क्षेत्र में विस्तार के लिए सभी संभव प्रयासों पर जोर दिया गया.

मिलेट्स उत्पादों से दूर होगा बच्चों का कुपोषण

जाने-माने मिलेट्स विशेषज्ञ एवं पूर्व अध्यक्ष (अनुवांशिकी एवं पौधा प्रजनन) डॉ जेडए हैदर ने जलवायु परिवर्त्तन की स्थिति में मिलेट्स क्रॉप्स को बेहतर विकल्प बताया. उन्होंने मिलेट्स उत्पाद की बेहतर पैकेजिंग और राज्य सरकार के मिड-डे मील में शामिल कर बच्चों में कुपोषण दूर करने की सलाह दी. राज्य सरकार के सहयोग एवं बीएयू के तकनीकी मार्गदर्शन में मिलेट्स फसलों को लोकप्रिय करने पर जोर दिया. बैठक में आरयू के उपकुलपति डॉ एके सिन्हा, डॉ एस कर्माकार, डॉ पीके सिंह, डॉ सोहन राम, डॉ मनिगोपा चक्रवर्ती, डॉ रेखा सिन्हा, डॉ मिलन चक्रवर्ती, डॉ शीला बारला, डॉ योगेन्द्र प्रसाद एवं डॉ सबिता एक्का आदि मौजूद थे.

2023 अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष घोषित

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष घोषित किया है. इसे भारत के नेतृत्व में वैश्विक स्तर पर मनाया जा रहा है. भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय तथा कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग व भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली से बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू), रांची को इस बाबत दिशा-निर्देश प्राप्त हुआ है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें