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788 श्रमिकों में 27.7 प्रतिशत ही झारखंडी, 23 सौ नियोक्ताओं ने अब तक कराया है निबंधन: रिपोर्ट

27 मार्च को श्रम विभाग के पोर्टल में दर्ज आंकड़े के मुताबिक, 27.7 प्रतिशत ही झारखंड निवासी निजी कंपनियों में काम कर रहे हैं. फिलहाल अलग-अलग जिलों से मामूली सूचना पोर्टल पर डाले जा रहे हैं.

सरकार निजी क्षेत्र में काम करनेवाले झारखंड के निवासियों का आंकड़ा जुटा रही है. राज्य में निजी क्षेत्र में स्थानीय उम्मीवारों के नियोजन संबंधी बिल पास होने के बाद कंपनियों को श्रम विभाग के पोर्टल में इससे संबंधित जानकारी देनी है. इसमें नियोक्ता यानि कंपनियों को उनके संस्थान में 40 हजार से कम वेतन पर काम करनेवाले श्रमिकों का पूरा ब्योरा और पता देना है.

27 मार्च को श्रम विभाग के पोर्टल में दर्ज आंकड़े के मुताबिक, 27.7 प्रतिशत ही झारखंड निवासी निजी कंपनियों में काम कर रहे हैं. फिलहाल अलग-अलग जिलों से मामूली सूचना पोर्टल पर डाले जा रहे हैं. आंकड़े के अनुसार, राज्य के अलग-अलग जिलों में निजी क्षेत्र में कार्यरत श्रमिकों के संबंध में जो जानकारी दी गयी है, उसमें कुल 788 श्रमिकों का ब्योरा है. इसमें 205 झारखंड के निवासी हैं. हालांकि पोर्टल में इससे संबंधित आंकड़े हर दिन अपडेट किये जा रहे हैं. जानकारी के मुताबिक अब तक 23 सौ नियोक्ताओ ने पोर्टल पर निबंधन कराया है.

पांच हजार से ज्यादा नियोक्ता हैं राज्य में

एक आंकड़े के मुताबिक, राज्य में पांच हजार से ज्यादा नियोक्ता हैं, जिनको इस संबंध में जानकारी देनी है. राज्य सरकार ने इसके लिए एक पोर्टल बनाया है, जिसमें नियोक्ता और नियोजन के इच्छुक लोगों को निबंधन कराना है. इससे संबंधित जानकारी देनी है. फिलहाल इसकी रफ्तार बहुत कम है. अब तक जो जानकारी सरकार तक आयी है, उसे एक नमूने के तौर पर ही माना जा सकता है.

कौन है झारखंड निवासी

राज्य में फिलहाल कार्मिक विभाग की अधिसूचना के अनुसार, झारखंड निवास की मान्यता मिलेगी. इसके लिए झारखंड निवास का प्रमाण पत्र हासिल करना होगा. फिलहाल 1932 खतियान या 1985 का मामला नहीं है. केवल झारखंड निवासी का प्रमाण पत्र आवश्यक होगा.

कंपनियों के लिए तीन वर्षों का है टाइम बांड, उपायुक्त को दंड का अधिकार

सरकार द्वारा पारित अधिनियम के आधार पर तैयार की गयी नियमावली के अनुसार कंपनियों को अपने संस्थान में झारखंड निवासी को 75 प्रतिशत रखने का प्रावधान तीन वर्षों के अंदर लागू करना है. इस अधिनियम के अनुपालन के लिए उपायुक्त की अध्यक्षता में जिला स्तर पर एक जांच समिति होगी. इसमें उपविकास आयुक्त, संबंधित अंचल के अंचलाधिकारी और विधायक या विधायक द्वारा नामित व्यक्ति के साथ जिला के नियोजन पदाधिकारी होंगे. इस प्रावधान का उल्लंघन करनेवाले नियोक्ता पर 10 हजार से लेकर अधिकतम 50 हजार के दंड का प्रावधान है.

विधानसभा की कमेटी कर रही है जांच

विधानसभा की एक विशेष समिति राज्य में निजी क्षेत्रों में 75 प्रतिशत झारखंडियों के नियोजन को लेकर जांच कर रही है. कमेटी ने अब तक दो बैठक की है और तीन जिलों का स्थल निरीक्षण किया है. कमेटी ने श्रम विभाग से जिलावार रिपोर्ट मांगी है. कमेटी में नलिन सोरेन संयोजक, प्रदीप यादव, नारायण दास, सुदिव्य कुमार और भूषण बाड़ा सदस्य बनाये गये हैं. कमेटी ने श्रम विभाग से जानकारी मांगी है कि अब तक कितने नियोक्ता ने निबंधन कराया है.

झार नियोजन पोर्टल के 27 मार्च के आंकड़े

जिला- पोर्टल में कुल दर्ज श्रमिक- झारखंड के निवासी- अन्य

बोकारो- 56-0-56

चतरा – 23-10-12

देवघर-01-00-01

धनबाद- 137-6-131

दुमका-142-47-95

गढ़वा-23-0-23

गिरिडीह- अप्राप्त

गोड्डा – अप्राप्त

गुमला- 26-0-26

हजारीबाग- अप्राप्त

जामताड़ा- 01-01-00

खूंटी- अप्राप्त

कोडरमा- 99-51-48

लातेहार- 48-00-48

लोहरदगा- 30-3-28

पाकुड़- 27-01-26

पलामू- 10-09-01

पश्विमी सिंहभूम- अप्राप्त

रामगढ़- अप्राप्त

रांची- 29-22-7

साहेबगंज- 35-28-7

सरायकेला-खरसांवा- 26-4-4

सिमडेगा-2-2-0

कुल – 738-205-516

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