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एशिया के पहले आदिवासी बिशप कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो का गुमला के इस गांव में हुआ था जन्म

एशिया के पहले आदिवासी बिशप तेलेस्फोर पी टोप्पो का निधन हो गया. एशिया के पहले आदिवासी बिशप बनने वाले टोप्पो वर्ष 2003 में कार्डिनल बने. 4 अक्टूबर को रांची जिले के मांडर स्थित एक अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली.

Cardinal Telesphore P Toppo News|दक्षिणी छोटानागपुर चर्च के विकास में अहम योगदान देने वाले तेलेस्फोर पी टोप्पो एशिया के पहले आदिवासी बिशप थे. झारखंड की राजधानी रांची से सटे गुमला जिले के चैनपुर के सुदूरवर्ती गांव में जन्मे तेलेस्फोर पी टोप्पो को 21 अक्टूबर 2003 को कॉलेज ऑफ कार्डिनल में शामिल किया गया. कैथोलिक कलीसिया के इतने बड़े पद पर पहुंचने वाले वह एशिया के पहले आदिवासी बिशप थे. जनवरी, 2004 में दो साल के लिए उन्हें कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीसीबीआई) का अध्यक्ष चुना गया था. बेल्जियम के पुरोहित के जीवन से प्रेरित होकर उन्होंने संत अल्बर्ट सेमिनरी में दाखिला लिया था. संत जेवियर कॉलेज रांची से अंग्रेजी में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद रांची विश्वविद्यालय से इतिहास में एमए की पढ़ाई की. फिर संत अल्बर्ट कॉलेज रांची में दर्शनशास्त्र की पढ़ाई की. दर्शनशास्त्र की पढ़ाई करने के लिए उन्हें रोम के पोनटिफिकल अर्बन यूनिवर्सिटी भेजा गया.

स्विट्जरलैंड में तेलेस्फोर पी टोप्पो का पुरोहित के रूप में हुआ अभिषेक

स्विट्जरलैंड के बसेल में 8 मई 1969 को बिशप फ्रांसिस्कुस ने एक पुरोहित के रूप में तेलेस्फोर पी टोप्पो का अभिषेक किया. युवा पुरोहित के रूप में तेलेस्फोर पी टोप्पो भारत लौटे. यहां रांची से सटे तोरपा में संत जोसेफ स्कूल में पढ़ाने लगे. उन्हें स्कूल का कार्यवाहक प्राचार्य भी बना दिया गया. तेलेस्फोर पी टोप्पो ने 1976 में लीवंस बुलाहट केंद्र तोरपा की स्थापना की. वह इसके पहले रिसर्चर एंड डायरेक्टर बने. 8 जून 1978 को कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो को दुमका का बिशप नियुक्त किया गया. बिशप बनने के बाद उन्होंने ‘प्रभु का मार्ग तैयार करो’ को अपना आदर्श वाक्य चुना.

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2003 में कार्डिनल बने तेलेस्फोर पी टोप्पो

वर्ष 2003 में जब उन्हें कार्डिनल बनाया गया, तो उन्होंने रांची में एक महागिरजाघर की स्थापना का सपना देखा. बाद में उस सपने को पूरा भी किया. बता दें कि कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो का जन्म गुमला जिले के चैनपुर के एक सुदूरवर्ती गांव झाड़गांव में 15 अक्टूबर 1935 को हुआ था. उनके पिता का नाम एंब्रोस टोप्पो और माता का नाम सोफिया खलखो था. एंब्रोस-सोफिया की 10 संतानें थीं. तेलेस्फोर पी टोप्पो इनमें आठवें नंबर पर थे. बुधवार (4 अक्टूबर) को उन्होंने राजधानी रांची के मांडर में स्थित लिवंस हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली. जैसे ही उनके निधन की खबर आयी, मसीही समाज में शोक की लहर दौड़ गई.

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