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कैसे थे फादर कामिल बुल्के, आज भी इस जगह पर बसती हैं उनकी यादें

मेरे देश की भांति उत्तर भारत का मध्यवर्ग भी अपनी मातृभाषा की अपेक्षा एक विदेशी भाषा को अधिक महत्व देता है. इसके प्रतिक्रिया स्वरूप मैंने हिंदी पंडित बनने का निश्चय किया.

By Prabhat Khabar Print Desk
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फादर कामिल बुल्के
फादर कामिल बुल्के
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