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सीएम हेमंत के रिशतेदारों द्वारा शेल कंपनियों में निवेश मामले में रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज को नोटिस

झारखंड हाइकोर्ट ने सीएम हेमंत सोरेन के रिश्तेदारों व करीबियों द्वारा शेल कंपनियों में निवेश करने को लेकर की और रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज को प्रतिवादी बनाने का निर्देश दिया है. खंडपीठ को बताया गया है कि सीएम हेमंत सोरेन के रिश्तेदारों व करीबियों ने बड़े पैमाने पर शेल कंपनियों में निवेश किया है.

रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने सीएम हेमंत सोरेन के रिश्तेदारों व करीबियों द्वारा शेल कंपनियों में निवेश करने को लेकर दायर पीआइएल पर सुनवाई करते हुए रजिस्ट्रार अॉफ कंपनीज को प्रतिवादी बनाने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने नोटिस जारी कर प्रार्थी की अोर से प्रस्तुत की गयी कंपनियों के बारे में जानकारी मांगी है. इसके अलावा कोर्ट ने पूर्व में खारिज हो चुकी पीआइएल के आदेश को भी टैग करने का निर्देश दिया.

मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी. चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से मामले की सुनवाई हुई.

इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पक्ष रखते हुए खंडपीठ को बताया कि सीएम हेमंत सोरेन के रिश्तेदारों व करीबियों ने बड़े पैमाने पर शेल कंपनियों में निवेश किया है. पूर्व में 28 कंपनियों की सूची दी गयी थी. पूरक शपथ पत्र में लगभग 300 कंपनियों की सूची दी गयी है.

उन्होंने मनी लाउंड्रिंग एक्ट के तहत कार्रवाई करने के लिए उचित आदेश देने का आग्रह किया. मामले में सुप्रीम कोर्ट में सरकार के अपर महाधिवक्ता कृष्णा राज ठक्कर ने राज्य सरकार की अोर से पक्ष रखा. उन्होंने पीआइएल का विरोध करते हुए बताया कि पहले भी इस तरह की पीआइएल दायर की गयी थी, जिसे हाइकोर्ट जुर्माना लगाते हुए खारिज कर चुका है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी शिव शंकर शर्मा ने जनहित याचिका दायर की है.

महाधिवक्ता बोले :

पहले खारिज हो चुकी है ऐसी ही याचिका : महाधिवक्ता राजीव रंजन ने संवाददाता सम्मेलन कर बताया कि शेल कंपनी में पैसा निवेश करने से संबंधित मामले में सुनवाई हुई. प्रार्थी शिव शंकर शर्मा ने आठ अप्रैल 2021 को पीआइएल दायर की थी. वर्ष 2013 में दीवान इंद्रनील सिन्हा (अब स्वर्गीय) ने भी एक पीआइएल दायर की थी.

उस याचिका से दस्तावेज निकाल कर शिवशंकर शर्मा ने अपनी याचिका में संलग्न किया है. दीवान इंद्रनील सिन्हा की पीआइएल को सही नहीं मानते हुए हाइकोर्ट ने वर्ष 2013 में ही खारिज कर दिया था तथा प्रार्थी के खिलाफ 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था. दीवान इंद्रनील सिन्हा की याचिका के पैरवीकार अधिवक्ता राजीव कुमार ही थे.

Posted By: Sameer Oraon

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