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Ranchi News : शतरंज यानी दिमागी संग्राम

शतरंज केवल एक खेल नहीं, बल्कि दिमाग की बारीकियों का संग्राम है. दो रंगों की 64 खानों वाली यह बिसात सदियों से लोगों को रणनीति, धैर्य और चतुराई का पाठ पढ़ा रही है.

शतरंज है बौद्धिक युद्ध का खेल

रांची(पूजा सिंह). शतरंज केवल एक खेल नहीं, बल्कि दिमाग की बारीकियों का संग्राम है. दो रंगों की 64 खानों वाली यह बिसात सदियों से लोगों को रणनीति, धैर्य और चतुराई का पाठ पढ़ा रही है. इसमें हर मोहरों की अपनी अलग अहमियत है, जैसे जिंदगी के अलग-अलग किरदार. राजा को बचाना और विरोधी राजा को मात देना, यही है इस खेल की असली चुनौती. हर साल 20 जुलाई को विश्व शतरंज दिवस मनाया जाता है. यही दिन 1924 में अंतरराष्ट्रीय चेस फेडरेशन की स्थापना का दिन है. संयुक्त राष्ट्र ने 2019 में इसे आधिकारिक तौर पर मान्यता दी. इसका उद्देश्य दुनियाभर में शतरंज को प्रोत्साहित करना, बच्चों में तार्किक सोच विकसित करना और देशों के बीच शांति व संवाद को बढ़ावा देना है. रांची में शतरंज के प्रति बच्चों का रुझान तेजी से बढ़ रहा है. कई स्कूलों और खेल संस्थानों में शतरंज को प्रतियोगिताओं का हिस्सा बनाया गया है. राजधानी में कई ऐसे क्लब और एकेडमी हैं, जहां बच्चे पेशेवर ट्रेनर्स से प्रशिक्षण ले रहे हैं. बच्चे न केवल जिला और राज्य स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग ले रहे हैं, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भी अपनी पहचान बना रहे हैं.

शतरंज से बच्चों को क्या मिलता है?

शतरंज खेलने से बच्चों में एकाग्रता, स्मरण शक्ति और समस्या सुलझाने की क्षमता बढ़ती है. कई स्कूलों में अब इसे पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जा रहा है. यह न केवल खेल है, बल्कि शिक्षा का भी एक सशक्त माध्यम बनता जा रहा है. शतरंज सिखाता है सोचो, समझो और फिर निर्णय लो.

कैसे खेलें और क्या होता है चेस बोर्ड

चेस बोर्ड के ऊपर कुल 64 खाने या वर्ग होते हैं, जिसमें 32 काले रंग ओर 32 सफेद रंग के होते हैं. प्रत्येक खिलाड़ी के पास एक राजा, वजीर, दो ऊंट, दो घोडे, दो हाथी और आठ प्यादे होते है. बीच में राजा व वजीर रहता है. बाजू में ऊंट, उसके बाजू में घोड़े ओर अंतिम कतार में दो-दो हाथी रहते हैं. उनकी अगली रेखा में आठ प्यादा रहते हैं.

भारत और शतरंज एक ऐतिहासिक रिश्ता

क्या आप जानते हैं कि शतरंज की जड़ें भारत में हैं? यह खेल मूलतः ‘चतुरंग’ नाम से गुप्त काल में शुरू हुआ था, जो बाद में ईरान और फिर यूरोप तक पहुंचा. आज भारत में विश्वस्तरीय खिलाड़ी हैं. विश्वनाथन आनंद, प्रग्गनानंद, गुकेश डी, कौनरु हम्पी, जो वैश्विक स्तर पर भारत का नाम रोशन कर रहे हैं. भारत, विश्व शतरंज मानचित्र पर एक प्रमुख ताकत बन चुका है.

शतरंज क्लब और एकेडमी की भूमिका

रांची में कई सक्रिय शतरंज क्लब और एकेडमी कार्यरत हैं जैसे झारखंड चेस एसोसिएशन, बिशप चेस एकेडमी, डीप ब्लू चेस क्लब आदि. ये संस्थान नियमित रूप से कोचिंग कैंप, ओपन टूर्नामेंट और इंटर-स्कूल प्रतियोगिताएं आयोजित करते हैं.

भारतीय शतरंज के महारथी और उपलब्धियां

आर. प्रग्गनानंद : मात्र 12 साल 10 महीने में ग्रैंडमास्टर बने, वर्ष 2023 में एफआइडीइ कैंडिडेट्स फाइनल तक पहुंचे. पूर्व विश्व चैंपियन मैग्नस कार्लसन को कई बार हराने वाले युवा सितारे.

विश्वनाथन आनंद : भारत के पहले ग्रैंडमास्टर (1988), पांच बार विश्व शतरंज चैंपियन (2000, 2007, 2008, 2010, 2012).“लाइटनिंग किड” के नाम से प्रसिद्ध, पद्मश्री, पद्मभूषण और पद्मविभूषण से सम्मानित. भारतीय शतरंज को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाने वाले पहले खिलाड़ी.

डी. गुकेश : विश्वनाथन आनंद के बाद सबसे युवा भारतीय ग्रैंडमास्टर (12 वर्ष की उम्र में). 2024 में कैंडिडेट्स टूर्नामेंट जीतने वाले पहले भारतीय बने. फिडे विश्व चैंपियनशिप 2024 के चैलेंजर. तेज गति से रैंकिंग में ऊंचाई की ओर बढ़ते खिलाड़ी.

कोनेरु हम्पी : भारत की पहली महिला ग्रैंडमास्टर, विश्व रैपिड चेस चैंपियन (2019). 2002 में सबसे कम उम्र की महिला ग्रैंडमास्टर बनी थीं. पद्मश्री और अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित. महिला शतरंज में भारत का सबसे बड़ा नाम.

वैशाली रमेश बाबू : एक भारतीय महिला ग्रैंडमास्टर जो अपनी बहन प्रग्गनानंद के साथ शतरंज की दुनिया में एक प्रमुख स्थान रखती हैं.

हरिका द्रोणावल्ली : महिला ग्रैंडमास्टर और इंटरनेशनल मास्टर. कई बार विश्व महिला शतरंज चैंपियनशिप सेमीफाइनलिस्ट. अर्जुन पुरस्कार विजेता. महिला टीम में भारत की प्रमुख स्तंभ.

विदित गुजराती : एक अन्य प्रमुख भारतीय शतरंज खिलाड़ी जिन्होंने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में सफलता हासिल की.

भारत का ग्रैंडमास्टर ग्राफ

2000 तक : 5 ग्रैंडमास्टर2020 तक : 65 ग्रैंडमास्टर

2025 में : 85 ग्रैंडमास्टर

शतरंज के प्रमुख एकेडमी :

शतरंज एकेडमी में झारखंड चेस एकेडमी जमशेदपुर और रांची शाखा समेत ने 500 से अधिक विद्यार्थियों को प्रशिक्षित किया है. 100 से अधिक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचे हैं. इसके अलावा रांची में 10 से अधिक चेस क्लब और चेस एकेडमी संचालित हैं, जहां पांच से 15 साल तक के बच्चों को प्रशिक्षण दिया जाता है. कई कोच घर-घर जाकर भी बच्चों को चेस की ट्रेनिंग दे रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता होती हैं ऑनलाइन : शतरंज एक ऐसा खेल है, जो अब ऑनलाइन भी प्रोफेशनली खेले जा रहे हैं. कई अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं ऑनलाइन आयोजित की जा रही हैं. विश्व चैंपियन डी गुकेश और मैग्नस कार्लसन जैसे दिग्गज खिलाड़ी भी भाग लेते हैं.

झारखंड के मास्टर खिलाड़ी :

कांके रोड के विराट जालान 13 वर्ष के हैं. पिछले तीन वर्षों में सात से अधिक राष्ट्रीय स्तर की चेस प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर अपनी प्रतिभा दिखा चुके हैं. संत जेवियर स्कूल डोरंडा में आठवीं कक्षा में पढ़ते हैं. विराट ने बताया कि 10 साल की उम्र से चेस के प्रति रुचि बढ़ी. वर्तमान में साउथ शिवकाशी में हैटसन चेस एकेडमी में चयन हो गया है. यहां ट्रेनिंग लेने जाना है.

चुटिया के रिशी राज महज पांचवीं कक्षा में पढ़ते हैं. अब तक 50 से अधिक चेस टूर्नामेंट में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके हैं. वह बताते हैं कि 2022 से चेस खेलना शुरू किये. जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में हिस्सादारी निभायी. 2022 में अंडर आठ में स्टेट चैंपियन रहा. इसके बाद 2023 और 2024 में दूसरे और तीसरे स्थान पर रहा. वर्तमान में संत मेरी स्कूल में पढ़ाई के साथ चेस पर फोकस करते हैं. झारखंड में चेस अच्छे स्थान पर पहुंच रहा है. रांची में हर जगह चेस टूर्नामेंट आयोजित किये जा रहे हैं. छोटी उम्र से बच्चे ज्यादा सीखना पसंद कर रहे हैं. झारखंड में चेस को और आगे बढ़ाने के लिए बाहर से कोच को बुलाकर ट्रेनिंग दी जानी चाहिए.

दीपक कुमार, नेशनल कोचझारखंड में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है. अगर बेहतर संसाधन, वरिष्ठ खिलाड़ियों का मार्गदर्शन और संघ का मजबूत सहयोग मिले, तो भविष्य के ग्रैंडमास्टर निकल सकते हैं. स्कूलों में शतरंज को अधिक बढ़ावा दिया जाना चाहिए और वरिष्ठ खिलाड़ियों को कोचिंग व मार्गदर्शन के जरिए युवाओं की मदद करनी चाहिए.

अभिषेक दास, कोचरांची में चेस को बढ़ावा देने के लिए कई टूर्नामेंट आयोजित किये जा रहे हैं. राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में प्रतिभागियों की भागीदारी बढ़ी है. पिछले 10 सालों में रांची में चेस के प्रति लोगों की सोच बदली है. यहां कई क्लब एकेडमी है, जहां प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

नवजोत अलंग, जेनरल सेक्रेटरी, आरडीसीए

राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं आयोजित कर शतरंज के विकास में आगे बढ़ रहे हैं. बच्चों की हिस्सादारी बढ़ गयी है. वर्तमान में अच्छे कोच की कमी है. इसलिए कुछ कोच को ट्रेनिंग देकर बेहतर से बेहतर परिणाम लाने का प्रयास किया जायेगा.

मनीष कुमार, राज्य सचिव, झारखंड राज्य शतरंज संघ

शतरंज के कुछ रोचक तथ्य

विश्व की सबसे लंबी चली शतरंज की बाजी 269 चालों तक गयी थी.

शतरंज के संभावित खेलों की संख्या ब्रह्मांड के परमाणुओं से भी ज्यादा है.

बॉबी फिशर (अमेरिका) और बोरिस स्पास्की (रूस) की 1972 की ”कोल्ड वॉर मैच” को अब भी सबसे ऐतिहासिक माना जाता है.

भारत में अब ‘शतरंज ओलंपियाड’ जैसे अंतरराष्ट्रीय आयोजन भी हो रहे हैं.

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