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मूलभूत समस्याओं से वंचित मछुआरों का परिवार

आज औद्योगिक क्रांति युग में भी खलारी के सोनाडुबी नदी के दो किनारों पर बसे मछुआरों का परिवार मूलभूत समस्याओं से वंचित है.

आधारभूत सुविधाओं से वंचित हैं लगभग 20 घरों की नायक बस्ती में 250 लोग

प्रतिनिधि, खलारी

आज औद्योगिक क्रांति युग में भी खलारी के सोनाडुबी नदी के दो किनारों पर बसे मछुआरों का परिवार मूलभूत समस्याओं से वंचित है. रोजीरोटी के लिए 40 किलोमीटर दूर से खलारी के जेहलीटांड़ स्थित सोनाडुबी नदी किनारे लगभग 20 घर का बसा मछुआरों की नायक बस्ती मूलभूत समस्याओं से आज वंचित है. लगभग 60 के दशक में मछुआरों की टोली मछली मारने के लिए खलारी के सोनाडुबी नदी किनारे जेहलीटांड़ स्थित नायक बस्ती और उर्सुलाइन स्कूल स्थित लगभग 50 घर की मछुआ धौड़ा में बसा है. मछलियों का रोजगार मानकर खलारी में बसे मछुआरों की स्थिति दयनीय हो गयी है. दामोदर नदी और सोनाडुबी नदी में दो दशक पूर्व जल प्राणियों का वास था. आज पर्यावरण दूषित होने के कारण इन नदियों से मछलियों के साथ अन्य जल प्राणियों का अस्तित्व मिट गया है. नदियों का पानी दूषित होने व मछलियों का नहीं पनपने के कारण मछुआरों का रोजगार लगभग खत्म सा हो गया है. नायक बस्ती के मछुआरों का दो वक्त का खाना जुटाना भी मुश्किल हो रहा है.

सरकारी योजनाओं से वंचित है मछुआरों का नायक बस्ती

सुविधा विहीन लगभग 20 घरों की नायक बस्ती में 250 के करीब आबादी है. ऐसे में नायक बस्ती आज भी मूलभूत सरकारी योजनाओं से वंचित है. नायक बस्ती में जेहलीटांड़ से बांस के सहारे बिजली आया है. इस कारण महीना में महज 15 दिन सही से बिजली मिल पाता है. बस्ती में कुछ लोगों का ही शौचालय है, शिक्षा का अभाव है, रोजगार नहीं है, बस्ती में पहुंचने के लिए सड़क नहीं है, बस्ती में गली की सड़क भी अधूरी है, पानी पीने के लिए चापानल और कुआं भी नहीं है. सरकारी पानी की सफ्लाई तीन-चार दिन में चलता है. बस्ती में राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड सिर्फ आधे लोगों का बना है. विधवा पेंशन, वृद्धा पेंशन, प्रधानमंत्री आवास योजना आदि योजनाओं का लाभ से वंचित है.

आधे लोग मछलियों और आधे दिहाड़ी मजदूरी पर निर्भर

नायक बस्ती के लालजीत नायक, शुक्रमणि देवी, बॉबी देवी, बसंती देवी, मंजू देवी, श्यामजीत नायक, विजय नायक, श्रवण नायक, कपिल देव नायक, देवंती देवी सहित अन्य ने बताया कि बस्ती के आधे लोग मछलियों से जीविकोपार्जन कर रहे हैं, जबकि आधे लोग दिहाड़ी मजदूरी का काम कर रहे हैं.बताया कि पहले की भांति अब नदी तालाब में मछली नहीं मिलते हैं. नदी में मछली नहीं पनप रहे हैं. ऐसे में दूर-दराज क्षेत्र के राय, बचरा, पिपरवार क्षेत्र के नदी, तालाब व बंद खदान आदि जगहों में जाल से मछली पकड़ते हैं और अपना जीवकोपार्जन चलाते हैं.

गाडवॉल, जलमीनार, सड़क सहित अन्य बिंदुओं की मांग

सोनाडुबी नदी किनारे बसा नायक बस्ती के मछुआरों ने नदी में गाडवॉल निर्माण, लाइट, जलमीनार, सरकारी सुविधएं, सामुदायिक भवन, नदी की साफ-सफाई, सड़क एवं रोजगार सहित अन्य बिंदुओं का मांग करते हुए बताया कि बरसात में नदी का पानी घर में घुस जाते हैं, जिसके कारण कभी-कभी भूखे पेट रहना पड़ता है. बरसात में सड़क नही होने के कारण नदी किनारे का रास्ता बंद हो जाता है. मुख्य मार्ग सडक पर जाना मुश्किल हो जाता है. बताया कि नहाने से लेकर कपड़ा धोने के लिए नदी की बजबजाता गंदा पानी का इस्तेमाल करना पड़ता है.

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Prabhat Khabar News Desk
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