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विधानसभा उपचुनाव : उपचुनाव में दिखेगा राज्यसभा चुनाव का साइड इफैक्ट

राज्यसभा चुनाव के बाद झारखंड की राजनीति की दिशा बदल रही है़ भाजपा और आजसू गठबंधन की जमीन तैयार हो रही है़ पिछले विधानसभा चुनाव में दोनों ही दल एक-दूसरे के खिलाफ मैदान में उतरे थे,

रांची : राज्यसभा चुनाव के बाद झारखंड की राजनीति की दिशा बदल रही है़ भाजपा और आजसू गठबंधन की जमीन तैयार हो रही है़ पिछले विधानसभा चुनाव में दोनों ही दल एक-दूसरे के खिलाफ मैदान में उतरे थे, नुकसान दोनों को हुआ़ राजनीति भांप अब राज्यसभा चुनाव में साथ आये है़ं. इधर यूपीए का एक वोट लेकर एनडीए कुछ खास नहीं कर पायी, लेकिन उपचुनाव में इस जीत को भुनायेगी़ यूपीए को अपनी दुमका व बेरमो सीट बचाने की चुनौती होगी़ इधर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की पहल पर एनडीए पार्ट-2 की पटकथा शुरू हो गयी है. भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं ने एनडीए की एकजुटता को आगे भी जारी रखने का संकेत दिया है.

राज्यसभा चुनाव में एनडीए की एकता का असर दुमका और बेरमो सीट के लिए आगामी उपचुनाव में देखने को मिल सकता है. वहीं सुदेश महतो ने भी कहा है कि राज्य में एनडीए को मजबूत करने की दिशा में पहल होगी़ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से दुमका सीट छोड़ने की वजह से खाली हुई है. वही विधायक राजेंद्र सिंह के निधन के बाद से बेरमो सीट खाली पड़ी है.विधानसभा की दुमका व बेरमो सीट यूपीए के खाते की भाजपा के साथ आजसू के गठबंधन की तैयार हो रही जमीन

उपचुनाव में गठबंधन की होगी परीक्षा

झारखंड में दो विधानसभाओं में होनेवाले उपचुनाव में यूपीए गठबंधन की परीक्षा होगी. दुमका विधानसभा सीट जहां झामुमो के पास थी. वहीं बेरमो विधानसभा की सीट कांग्रेस के पास थी. ऐसे में यूपीए के समक्ष अपने फोल्डर की सीट बचाने की चुनौती होगी. वही एनडीए अपनी एकजुटता दिखाते हुए इन दोनों सीटों पर सेंधमारी की कोशिश करेगा.

बेरमो : यूपीए ने उतारा था प्रत्याशी, विपक्ष पार्टी का वोट बिखरा था

पिछले विधानसभा चुनाव में महागठबंधन एकजुट होकर चुनाव लड़ा था. राज्य में झामुमो, कांग्रेस व राजद की ओर से अलग-अलग सीटों पर समझौते के तहत प्रत्याशी खड़े किये गये थे, वहीं दूसरी तरफ आजसू के साथ गठबंधन नहीं होने की वजह से भाजपा अकेले चुनाव लड़ी थी. बेरमो विधानसभा सीट पर जहां महागठबंधन की ओर से राजेंद्र सिंह को कांग्रेस प्रत्याशी रूप में चुनाव मैदान में उतारा था.

वहीं दूसरी तरफ आजसू, भाजपा व झाविमो के प्रत्याशी अलग-अलग चुनाव लड़े थे. वोट का बिखराव होने की वजह से कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र सिंह लगभग 89 हजार मत लाकर विजयी हुए थे. इस चुनाव में भाजपा को 63,500, आजसू को 16,500 और झाविमो को दो हजार मत मिले थे.

वर्तमान में झाविमो का अस्तित्व खत्म हो चुका है. पार्टी का विलय कर बाबूलाल मरांडी भाजपा के साथ हैं. वहीं प्रदीप यादव व बंधु तिर्की कांग्रेस के साथ. इधर राज्यसभा चुनाव में आजसू ने भाजपा का साथ देकर एनडीए की एकजुटता दिखायी है. नये समीकरण बनने के बाद उपचुनाव रोचक होता दिख रहा है.

आलमगीर आलम बोले : भाजपा ने हॉर्स ट्रेडिंग कर जुटाये 31 वोट

रांची. कांग्रेस विधायक दल के नेता सह मंत्री आलमगीर आलम ने भाजपा पर राज्यसभा चुनाव में हॉर्स ट्रेडिंग कर 31 वोट लाने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले भाजपा के विधायक कहा करते थे कि कांग्रेस को अपना उम्मीदवार वापस ले लेना चाहिए. ऐसा नहीं होने से हॉर्स ट्रेडिंग को बढ़ावा मिलेगा. चुनाव परिणाम आने के बाद एकदम उलट परिणाम देखने को मिला. कांग्रेस ने किसी तरह हॉर्स ट्रेडिंग नहीं किया. कांग्रेस उम्मीदवार को पार्टी के 17 विधायकों के साथ-साथ माले के एक विधायक का समर्थन मिला.

वहीं दूसरी तरफ भाजपा को 31 मत मिले. जबकि उसके पास बाबूलाल मरांडी को मिलाकर विधायकों की संख्या 26 थी. अगर आजसू के दो और सरयू राय व अमित यादव के एक-एक वोट को जोड़ लिया जाये, तब भी उन्हें 30 वोट मिलना चाहिए था. चुनाव परिणाम के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि भाजपा ने हॉर्स ट्रेडिंग कर यूपीए फोल्डर एक मत लिया.

दीपक प्रकाश ने कहा : अपने कुचक्र में सफल नहीं हो सकी कांग्रेस

रांची. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने राज्यसभा चुनाव में मिली जीत के बाद प्रदेश कार्यालय पहुंच कर डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. उन्होंने कहा कि डॉ मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय हमारे प्रेरणा पुरुष हैं. इनके विचारों और आदर्शों पर करोड़ों ध्येयनिष्ठ कार्यकर्ता मां भारती की सेवा में जुटे हैं.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार अंत्योदय के लक्ष्य को पूरा करते हुए राष्ट्रीय एकात्मता को मजबूत कर रही है. उन्होंने अपनी जीत कार्यकर्ताओं को समर्पित करते हुए कहा कि मैं पार्टी को इस अवसर के लिए हृदय से आभार प्रकट करता हूं. कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमेशा राज्य को अस्थिर करने में जुटी रहती है. जोड़-तोड़ की राजनीति कांग्रेस की परंपरा है. पर इस चुनाव में कांग्रेस अपने कुचक्र में सफल नही हो सकी. कांग्रेस को लोकतंत्र और लोकतांत्रिक मूल्यों पर भरोसा नहीं है

Post by : pritish sahay

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