खलारी. एक पखवारा बाद नेम और निष्ठा का पर्व छठ शुरू होनेवाला है, लेकिन खलारी के ऐतिहासिक एसीसी छठ तालाब का बहुप्रतीक्षित जीर्णोद्धार अधूरा ही रह गया है. इस वर्ष भी छठव्रतियों को शैवाल और जलीय घास से भरे दूषित तालाब में उतर कर अर्घ्य देना होगा. स्थानीय लोगों की वर्षों पुरानी मांग थी कि तालाब की सफाई, गहरीकरण और बांध की मरम्मत कर उसे छठ पूजा और अन्य धार्मिक कार्यों के लिए उपयुक्त बनाया जाये. इसके मद्देनजर दो योजनाओं पर कुल 59 लाख रुपए खर्च होने के बावजूद तालाब की मुख्य समस्या जस की तस बनी हुई हैं. एक योजना सीसीएल सीएसआर फंड से 20 लाख रुपये की थी, जबकि दूसरी योजना जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट (डीएमएफटी) से 39 लाख रुपये की थी. डीएमएफटी योजना का नाम था ‘एसीसी छठ तालाब का जीर्णाेद्धार, सौंदर्यीकरण एवं मिट्टी हटा कर बांध की मरम्मत कर तालाब का निर्माण’. लेकिन न तो तालाब की मिट्टी हटायी गयी और न ही बांध की मरम्मत की गयी. केवल नया छठ घाट बनाया गया. बांध की मरम्मत नहीं होने से बरसात में तालाब में पर्याप्त पानी भी जमा नहीं हो सका.
तत्कालीन एसीसी कंपनी ने बनाया था तालाब
यह ऐतिहासिक तालाब सोनाडुबी नदी को बांधकर तत्कालीन एसीसी कंपनी द्वारा बनाया गया था, ताकि कारखाने के थर्मल पावर प्लांट के लिए जलस्रोत तैयार किया जा सके. कंपनी के जाने के बाद तालाब की देखभाल बंद हो गयी और समय के साथ इसमें पहाड़ी की मिट्टी भरती गयी तथा बांध क्षतिग्रस्त हो गया.
पूरे प्रकरण की हो स्वतंत्र जांच
स्थानीय लोगों का कहना है कि पूरे प्रकरण की स्वतंत्र जांच होनी चाहिए और प्राक्कलन से मुख्य कार्य क्यों हटाया गया, यह स्पष्ट होना चाहिए. साथ ही बचा हुआ कार्य शीघ्र प्रारंभ कर पूरे तालाब की सफाई, गहरीकरण और बांध की मरम्मत की जाये, ताकि आने वाले पर्व-त्योहारों में श्रद्धालुओं को कोई कठिनाई न हो.
59 लाख खर्च के बावजूद अधूरा रहा एसीसी छठ तालाब का जीर्णोद्धार
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