रांची. गुरुद्वारा श्री गुरुनानक सत्संग सभा, रातू रोड की ओर से गुरु अंगद देव जी महाराज के पावन प्रकाश पर्व को समर्पित दो दिवसीय महान गुरमत समागम का समापन रविवार को हुआ. अंतिम दीवान की शुरुआत सुबह 11 बजे स्त्री सत्संग सभा की शीतल मुंजाल के सा धरती भई हरीआवली जिथै मेरा सतिगुरु बैठा आइ शबद गायन से हुई. इसके बाद हुजूरी रागी जत्था भाई महिपाल सिंह ने सिमर सिमर सदा सुख पाओ…, तेग बहादुर सिमरिये घर नउ निध आवै धाई सब थांइ होए सहाई… जैसे शबदों के मधुर गायन से संगत को गुरुवाणी से जोड़ा. गुरुद्वारे के हेड ग्रंथी ज्ञानी जिवेंद्र सिंह ने गुरु अंगद देव जी की जीवनी पर प्रकाश डाला. गुरुजी का जन्म 1504 में फिरोजपुर (पंजाब) में बाबा फेरू मल और माता दया कौर के घर हुआ था. उन्होंने कहा कि गुरुजी का नाम लहणा था और वे व्यवसायी थे. गुरुजी को गुरुनानक देव जी के शिष्य भाई जोध से जित सेवियै सुख पाइए सो साहिब सदा समालियै… वाणी सुनकर आत्मिक शांति मिली और वे गुरुनानक देव जी की शिक्षाओं से जुड़े.
इन्होंने दी सेवा
लंगर सेवा में अशोक गेरा, सुरेश मिढ़ा, मोहन काठपाल, अनूप गिरधर, बिनोद सुखीजा, राजकुमार सुखीजा, हरीश मिढ़ा, नानक चंद अरोड़ा, महेंद्र अरोड़ा और जोड़े की सेवा में बसंत काठपाल, प्रेम मिढ़ा, लक्ष्मण अरोड़ा, पुरुषोत्तम सरदाना, तुषार मिढ़ा, गीता मिढ़ा की भागीदारी रही. प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी नरेश पपनेजा और सोशल मीडिया की सेवा जय गाबा, पीयूष थरेजा, साहिल सरदाना ने निभायी. दीवान में द्वारका दास मुंजाल, सुंदरदास मिढ़ा, केशव दास मक्कड़, हरगोविंद सिंह, भगवान सिंह बेदी, संतोष बेदी, लेखराज अरोड़ा, भगत सिंह मिढ़ा का सहयोग रहा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है