रांची. क्रिसमस कैंडल क्रिसमस के अवसर पर जलायी जानी वाली कैंडल है. आगमन की शुरुआत के साथ ही इन्हें अलग-अलग अवसर पर जलाया जाता है. प्रभु यीशु को ज्योति का प्रतीक माना जाता है. ये कैंडल उसी ज्योति को दर्शाते हैं. आगमन के चार सप्ताह के दौरान चार अलग-अलग कैंडल जलायी जाती है. इनमें हर सप्ताह एक मोमबत्ती जलाने का रिवाज है. पहली मोमबत्ती आशा का प्रतीक होता है. दूसरे सप्ताह में जलाये जानी वाली मोमबत्ती शांति का प्रतीक है. ये दोनों मोमबत्ती बैगनी रंग के होते हैं. तीसरे सप्ताह में गुलाबी रंग की मोमबत्ती जलायी जाती है. यह कैंडल आनंद का प्रतीक है. माना जाता है कि लोग यीशु के जन्मपर्व के करीब आ गये हैं इसलिए यह आनंद को इंगित करती है. चौथा कैंडल यीशु के प्रेम का प्रतीक है. संत पॉल्स कैथेड्रल के पेरिश प्रिस्ट रेव्ह जोलजस कुजूर बताते हैं कि कुछ चर्च समुदायों में एक और कैंडल जलाने का रिवाज है जो चारो कैंडल के बीच में होती है. यह यीशु का प्रतिनिधित्व करती है.
बाजार में उपलब्ध है विभिन्न तरह के कैंडल
क्रिसमस के अवसर पर बाजारों में की तरह के कैंडल उपलब्ध है. ये कैंडल 10 रुपये से लेकर 150 रुपये तक की कीमत में उपलब्ध है. क्रिसमस बाजारों में हरे रंग की क्रिसमस ट्री की बनावट वाले कैंडल उपलब्ध है. ये 40 से 60 रुपये में मिल रहे हैं. ग्लास में रखे कैंडल जो देखने में काफी आकर्षक लगता है. 150 रुपये तक की कीमत में उपलब्ध है. इसके अलावा कई और डिजाइन और रंग में कैंडल मिलते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

