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सीएनटी एक्ट में 108 साल में 26 संशोधन

रांची: छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी) में संशोधन को लेकर विपक्ष की ओर से लगातार सवाल उठाये जा रहे हैं. वहीं, सरकार सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन को लेकर विधानसभा में बिल लाने की तैयारी कर रही है. हालांकि 108 साल पुराने सीएनटी एक्ट में अब तक 26 संशोधन हो चुके हैं. इनमें वर्ष 1947, 1969 व […]

रांची: छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी) में संशोधन को लेकर विपक्ष की ओर से लगातार सवाल उठाये जा रहे हैं. वहीं, सरकार सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन को लेकर विधानसभा में बिल लाने की तैयारी कर रही है. हालांकि 108 साल पुराने सीएनटी एक्ट में अब तक 26 संशोधन हो चुके हैं.

इनमें वर्ष 1947, 1969 व 1996 का संशोधन महत्वपूर्ण है. वर्ष 1947 के संशोधन के तहत थाने व जिले वाला मामला जुड़ा, जिसमें एसटी की जमीन का हस्तांतरण उसी थाने में तथा एससी व बीसी की जमीन का हस्तांतरण उसी जिले में होने की बात है. इसके बाद भी जमीन का अवैध हस्तांतरण नहीं रुका.

छपरबंदी व हुकुमनामा के तहत जब आदिवासियों की जमीन उनके हाथ से निकलती रही. इसकी वापसी की प्रक्रिया टाइटल शूट के तहत लंबी होने लगी. इसके बाद 1969 के संशोधन 71(1) में बिहार शिड्यूल एरिया रेग्यूलेशन के तहत आदिवासियों की भूमि वापसी के लिए एसएआर कोेर्ट का प्रावधान किया गया. इसमें अनुसूचित जनजाति का कोई सदस्य आवेदन देकर अपनी जमीन वापसी की गुहार लगा सकता है. इसके बाद वर्ष 1996 में सीएनटी एक्ट की धारा 49 में संशोधन कर उद्योग व खनन के लिए अनुसूचित जनजातियों की भूमि अधिग्रहण का प्रावधान किया गया.

एसटी के साथ एससी व पिछड़ों के लिए भी हैं एक्ट में प्रावधान
छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 11 नवंबर 1908 को लागू किया गया था. यह अधिनियम वास्तव में बंगाल काश्तकारी अधिनियम 1885 की ही कार्बन कॉपी है, जिसमें अनुसूचित जनजाति (एसटी) के संदर्भ में कुछ प्रावधान जोड़े गये हैं. छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट में कुल 271 धाराएं हैं. इन धाराओं के कार्यान्वयन संबंधी प्रकिया को लेकर समय-समय पर अलग-अलग अधिसूचनाओं द्वारा उप नियमों की घोषणा की गयी, जिसे संकलित कर छोटानागपुर टेनेंसी रूल्स 1959 का नाम दिया गया है. सारे प्रावधानों के आलोक में देखा जाये, तो छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम को 19 अध्यायों में बांटा गया है. अधिनियम के कुछ ऐसे प्रावधान हैं, जो अनुसूचित जनजाति से संबंधित हैं. इन्हीं के आधार पर यह धारणा बन गयी है कि यह अधिनियम केवल अनुसूचित जनजातियों से संबंधित प्रावधान वाला है. वास्तव में इसमें अनुसूचित जाति व पिछड़े वर्ग के रैयतों से संबंधित प्रावधान भी हैं.
होता रहा है एक्ट में संशोधन : अभय मिश्रा
हाइकोर्ट के अधिवक्ता अभय मिश्रा के अनुसार सीएनटी एक्ट बनने के 108 वर्षों के बाद सामाजिक आर्थिक प्रक्षेत्र में काफी बदलाव आया है. इसको लेकर समय-समय पर एक्ट में संशोधन किया गया है. वर्ष 1908 में जब सीएनटी एक्ट लागू किया गया, उस वक्त 90 फीसदी लोगों की आजीविका का साधन कृषि था. सरकारी राजस्व का मुख्य स्रोत भी. इन्हीं कारणों से लगान संबंधी कई प्रावधान काफी कठोर थे. उस समय जमींदारी व जागीरदारी व्यवस्था लागू थी तथा रैयत व जमींदारों के बीच जमीन को लेकर अक्सर झगड़े होते थे. इन झगड़ों के तात्कालिक निदान के लिए कई प्रावधान लाये गये. दूसरे शब्दों में कहें, तो जमींदार व रैयत के अधिकार व दायित्व परिभाषित किये गये.
सीएनटी-एसपीटी एक्ट में सरकार क्या करना चाहती है संशोधन
1. सीएनटी-एसपीटी की धारा क्रमश: 21 एवं 13 में संशोधन
वर्तमान प्रावधान : सीएनटी-एसपीटी की धारा क्रमश: 21 एवं 13 में पूर्व से प्रावधान है कि रैयत स्वयं के उपयोग के लिए अपनी रैयती भूमि पर कृषि कार्य कर सकता है. इसके अतिरिक्त रैयती भूमि का उपयोग कृषि कार्य के लिए गोदामों, पंप हाउसों, मकान, तालाब, बांस-बाड़ी आदि गैर कृषि कार्य में भी कर सकता है.
क्या है संशोधन का प्रस्ताव : संशोधन के बाद पूर्व की शर्तों के अतिरिक्त गैर कृषि कार्यों यथा मैरेज हॉल, होटल आदि में भी रैयती भूमि का उपयोग करने का नियम बनाया गया है. इसमें मालिकाना हक भी उसी आदिवासी परिवार के पास रहेगा. वे अपनी जमीन पर दुकान, होटल, मैरेज हॉल आदि बनवा पायेंगे.
2. सीएनटी एक्ट की धारा 49 में संशोधन
वर्तमान प्रावधान : सीएनटी एक्ट की धारा 49 में पूर्व से प्रावधान है कि औद्योगिक परियोजना एवं खनन के लिए रैयती भूमि का हस्तांतरण किया जा सकता है.
क्या है संशोधन का प्रस्ताव : संशोधन के बाद पूर्व की शर्तों के अतिरिक्त रेखीय परियोजनाओं यथा सड़क, केनाल, रेलवे, केबुल, ट्रांसमिशन, वाटर पाइप्स के लिए रैयती भूमि का हस्तांतरण किया जा सकता है. जनोपयोग सेवा यथा पाइप लाइंस, स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, पंचायत भवन, अस्पताल, आंगनबाड़ी के लिए भी रैयती भूमि का हस्तांतरण किया जा सकता है. हस्तांतरण के बाद यदि भूमि का उपयोग परियोजना के लिए पांच वर्षों के अंदर नहीं किया जाता है, तो वह भूमि पुन: बिना कोई मुआवजा वापस किये पूर्व रैयतों को वापस हो जायेगी.
3. सीएनटी एक्ट की धारा 71 ए में संशोधन
वर्तमान प्रावधान : सीएनटी एक्ट की धारा 71 में पूर्व से प्रावधान है कि अनुसूचित जनजाति की भूमि के अवैध हस्तांतरण की वापसी एसएआर कोर्ट के माध्यम से की जाती है. धारा 71 एक के द्वितीय प्रावधान के तहत अनुसूचित जनजाति की भूमि गैर अनुसूचित जनजाति को हस्तांतरित करने के एवज में क्षतिपूर्ति देने का प्रावधान है.
क्या है संशोधन का प्रावधान : संशोधन के बाद एसएआर कोर्ट के माध्यम से अनुसूचित जनजाति की अवैध हस्तांतरण भूमि की वापसी का प्रावधान रहेगा. परंतु द्वितीय व तृतीय परंतुक विलोपित कर दिया जायेगा, जिससे मुआवजा देकर भूमि को अंतरिति द्वारा अपने पास रखने का विकल्प समाप्त हो जायेगा.

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