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सीड ग्रेडर मशीन की खरीदारी की होगी जांच
रांची: कृषि विभाग द्वारा चालू वित्तीय वर्ष में खरीदी जानेवाली स्पाइरल ग्रेन/ सीड ग्रेडर मशीन की कीमत की जांच की जायेगी. कृषि विभाग ने जांच का जिम्मा विभाग की विशेष सचिव शुभ्रा वर्मा व बीएयू के कृषि अभियंत्रण विभाग के अधिकारी डीके रुसिया को दिया है. इस मशीन की ज्यादा कीमत पर खरीदे जाने की […]
रांची: कृषि विभाग द्वारा चालू वित्तीय वर्ष में खरीदी जानेवाली स्पाइरल ग्रेन/ सीड ग्रेडर मशीन की कीमत की जांच की जायेगी. कृषि विभाग ने जांच का जिम्मा विभाग की विशेष सचिव शुभ्रा वर्मा व बीएयू के कृषि अभियंत्रण विभाग के अधिकारी डीके रुसिया को दिया है. इस मशीन की ज्यादा कीमत पर खरीदे जाने की शिकायत सचिवालय में की गयी थी. शिकायत में कहा गया है कि यह 7100 रुपये प्रति यूनिट की दर से खरीदी जा रही है. जबकि बाजार में इसकी कीमत 3500 से 4500 रुपये के बीच है. खरीद गुजरात की कंपनी से हो रही है. इसमें गड़बड़ी की आशंका है.
शत-प्रतिशत अनुदान पर मिलनी है मशीन: राज्य के सभी कृषक मित्रों को कृषि विभाग शत-प्रतिशत अनुदान पर स्पाइरल ग्रेन/ सीड ग्रेडर मशीन देगा. कृषि विभाग इस पर करीब 10.50 करोड़ रुपये खर्च करेगा. इसके लिए सभी जिलों के कृषि पदाधिकारियों को आपूर्ति आदेश जारी कर दिया गया है. एक सीड ग्रेडर की कीमत 7100 रुपये तय की गयी है. इसका वितरण राष्ट्रीय कृषि विकास योजना तथा राज्य सरकार के फंड से किया जायेगा. 50 फीसदी राशि केंद्र और 50 फीसदी राशि राज्य सरकार देगी. गुजरात की कंपनी मेसर्स खेदूत एग्रो इंजीनियरिंग, राजकोट को आपूर्ति का आदेश दिया गया है. इससे सोयाबीन, तेलहन और तोरिया की ग्रेडिंग हो सकेगी.
15000 मशीनें दी जायेंगी
कुल 15000 सीड ग्रेडर मशीन वितरित करना है. कृषि विभाग ने जारी आपूर्ति आदेश में जिक्र किया है कि यह मशीन कृषक मित्रों को मुफ्त में दी जानी है. इसकी गुणवत्ता को लेकर विभाग ने आदेश जारी किया है. इसमें तीन प्रकार का फीडर प्लेट लगाया जायेगा. राज्य में हरेक दो राजस्व गांव पर एक कृषक मित्र हैं.
सोयाबीन व तेलहन की होनी है ग्रेडिंग : झारखंड में तेलहन और तोरिया का उत्पादन काफी कम है. सोयाबीन का उत्पादन नहीं के बराबर है. इस ग्रेडर से सोयाबीन व तेलहन की ग्रेडिंग होनी है. राज्य में सोयाबीन उत्पादन की परंपरा भी नहीं है. पूरे देश के टॉप 10 सोयाबीन उत्पादक राज्यों में भी झारखंड का स्थान नहीं है. राज्य में औसतन 400 हेक्टेयर में सोयाबीन की खेती होती है. पिछले पांच साल का औसतन उत्पादन भी करीब 300 टन के आसपास है.
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