10.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

नौकरी चाहने नहीं, देनेवाले बनें : राष्ट्रपति डॉ प्रणब मुखर्जी

राष्ट्रपति डॉ प्रणब मुखर्जी ने झारखंड दौरे के अंतिम दिन रविवार काे खेलगांव में 88वें निखिल भारत बंग साहित्य सम्मेलन का उदघाटन करने के बाद बीआइटी मेसरा में दीक्षांत समारोह को संबोधित किया. निखिल भारत बंग साहित्य सम्मेलन में जहां अपने पुराने अनुभवाें काे शेयर किया, वहीं दीक्षांत समारोह में गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा की वकालत […]

राष्ट्रपति डॉ प्रणब मुखर्जी ने झारखंड दौरे के अंतिम दिन रविवार काे खेलगांव में 88वें निखिल भारत बंग साहित्य सम्मेलन का उदघाटन करने के बाद बीआइटी मेसरा में दीक्षांत समारोह को संबोधित किया. निखिल भारत बंग साहित्य सम्मेलन में जहां अपने पुराने अनुभवाें काे शेयर किया, वहीं दीक्षांत समारोह में गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा की वकालत के साथ ही विद्यार्थियाें काे राेजगार खाेजनेवाला नहीं, बल्कि नाैकरी देनेवाला बनने की सलाह दी. कहा कि भारत तेजी से आर्थिक उन्नति कर रहा है, लेकिन इस दौड़ में देश के 25 करोड़ से अधिक गरीबों की उपेक्षा नहीं होनी चाहिए. डॉ मुखर्जी शाम में दिल्ली लाैट गये.
रांची : बीआइटी मेसरा के 26वें दीक्षांत समारोह में दीक्षांत भाषण देते हुए राष्ट्रपति डॉ प्रणब मुखर्जी ने कहा : आज उद्यमिता को बढ़ावा देने की जरूरत है़ नये उत्पाद संबंधी गतिविधियाें को बढ़ावा दें. इसे व्यावहारिक बनाएं. युवाओं की सोच को उड़ान देने की जरूरत है़ अाप नौकरी खोजनेवाले नहीं, नौकरी देनेवाले बने़ं कुल 3200 नये स्टार्टअप के साथ भारत का स्थान इस मामले में अमेरिका व यूके के बाद तीसरा है. शासी निकाय के अध्यक्ष सीके बिरला ने भी इसका महत्व रेखांकित किया है़ आप खुद को सामाजिक निवेश का परिणाम मानें. याद रखें कि समाज से जो ऋण अापको मिला है, उसे सूद सहित लौटाना है.
गरीबों की उपेक्षा नहीं होनी चाहिए : राष्ट्रपति ने कहा कि भारत तेजी से आर्थिक उन्नति कर रहा है. 20 खरब अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था के साथ आज वह दुनिया की नौवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन कर उभरा है, लेकिन इस दौड में देश के 25 करोड़ से अधिक गरीबों की उपेक्षा नहीं होनी चाहिए. डॉ मुखर्जी ने कहा : अभी बेहतर रैकिंगवाले दुनिया भर के 200 संस्थानों में भारत के सिर्फ दो संस्थान शामिल हैं – इंडियन इंस्टीट्यूट अॉफ साइंस, बेगलुरु व आइआइटी दिल्ली. बीआइटी मेसरा को भी इस सूची में शामिल होना चाहिए. इसके प्रयास करने होंगे. एकीकृत बिहार में नालंदा व विक्रमशीला दुनिया भर में मशहूर थे. आज ऐसा क्यों नहीं हो सकता.

उच्च व तकनीकी संस्थानों में फैकल्टी की कमी के संबंध में राष्ट्रपति ने कहा राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय सहयोग व समन्वय से यह कमी पाटी जा सकती है़ इससे शोध संबंधी सहयोग में भी मदद मिलेगी़ देश में हुई तरक्की को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि आजादी के बाद देश ने काफी प्रगति की है़ शुरुआत में स्टील का उत्पादन एक मिलियन टन प्रतिवर्ष था, जो अब बढ़ कर 90 मिलियन टन हो गया है़ जहां एक लाख अॉटोमोबाइल बनते थे, वहां अब सालाना 3़ 8 मिलियन निर्माण के साथ हम दुनिया भर में छठे स्थान पर है़ं भारत दुनिया की नौवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. वहीं क्रय शक्ति के मामले में हम तीसरे स्थान पर है़ं यह प्रगति प्रभावशाली व हमारे लिए गर्व का विषय है़ इसे हासिल करने में बीआइटी जैसे इंजीनियरिंग संस्थान मददगार साबित हुए है़ं
Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel