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झारखंड के हाईस्कूलों में हेडमास्टर बनने में लगे 16 साल, कई रिटायरमेंट के कगार पर पहुंचे

झारखंड के हाईस्कूलों के हेडमास्टर के लिए वर्ष 2006 में शुरू हुई नियुक्ति प्रक्रिया में 16 साल लग गये. हेडमास्टर बनने की राह देख रहे कई टीचर्स अब रिटायरमेंट के कगार पर पहुंच गये हैं. वर्ष 2019 में हाइकोर्ट द्वारा अभ्यर्थियों के पक्ष में निर्णय दिया गया. जिसके आधार पर अब नियुक्ति की जा रही है.

Jharkhand News: झारखंड के हाईस्कूलों में प्रधानाध्यापकों (हेडमास्टर) नियुक्ति प्रक्रिया शुरू होने के 16 साल और परीक्षा लेने के 15 साल बाद 13 प्रधानाध्यापकों की नियुक्ति होगी. वर्ष 2006 में जमा आवेदन के आधार पर वर्ष 2022 में नियुक्ति की जा रही है. जिनकी नियुक्ति होनी है, उनमें दो प्रधानाध्यापक इस वर्ष और दो अगले वर्ष सेवानिवृत्त हो जायेंगे. स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा इस संबंध में पत्र जारी किया गया है.

वर्ष 2006 में मांगा गया था आवेदन

विभाग की ओर से 13 अभ्यर्थियों को प्रधानाध्यापक पद पर योगदान देने को कहा गया है. राज्य के राजकीयकृत हाइस्कूल में प्रधानाध्यापक पद पर सीधी नियुक्ति के लिए वर्ष 2006 में आवेदन मांगा गया था. 257 प्रधानाध्यापकों की नियुक्ति के लिए परीक्षा ली गयी थी. इसके बाद झारखंड लोक सेवा आयोग द्वारा जारी रिजल्ट के आधार पर 257 चयनित अभ्यर्थियों की काउंसेलिंग शिक्षा विभाग द्वारा की गयी.

झारखंड हाईकोर्ट ने वर्ष 2019 में अभ्यर्थियों के पक्ष में दिया निर्णय

विभाग द्वारा काउंसेलिंग में 90 अभ्यर्थियों को ही मापदंड के अनुरूप पाया गया. इसके बाद विभाग द्वारा आयोग को पत्र लिखा गया. आयोग ने विभाग से 12 बिंदुओं पर मार्गदर्शन मांगा. इसके अनुरूप बाद में नियुक्ति के लिए दो अलग-अलग लिस्ट जारी की गयी. एक में 91 एवं दूसरे में 72 नामों की अनुशंसा की गयी. बाद में आयोग द्वारा कुल 163 अभ्यर्थियों का नाम जारी किया गया. जिन अभ्यर्थियों का चयन बाद में नहीं हो सका, उन्होंने हाइकोर्ट में याचिका दाखिल की. अभ्यर्थियों का कहना था कि नियुक्ति के लिए जारी विज्ञापन के प्रावधान के अनुरूप उनकी योग्यता है. विज्ञापन की शर्त में बाद में बदलाव किया गया है. वर्ष 2019 में हाइकोर्ट द्वारा अभ्यर्थियों के पक्ष में निर्णय दिया गया. जिसके आधार पर अब नियुक्ति की जा रही है.

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राज्य के 1800 हाईस्कूलों में मात्र 40 प्रधानाध्यापक

राज्य में 1800 हाइस्कूल में से मात्र 40 विद्यालय में स्थायी प्रधानाध्यापक हैं. राज्य गठन के बाद 1189 मध्य विद्यालय को हाइस्कूल में अपग्रेड किया गया, पर इनमें आज तक प्रधानाध्यापक की नियुक्ति नहीं हुई.

अभ्यर्थियों ने कहा : विचार के बाद करेंगे योगदान

जिन अभ्यर्थियों की नियुक्ति की गयी है, उनमें से कुछ कहना है कि योगदान को लेकर उन्होंने निर्णय नहीं लिया है. पहले यह देखेंगे कि उन्हें क्या लाभ मिलेगा. इतने कम समय के लिए नियुक्त होने का कोई मतलब नहीं है.

नयी पेंशन योजना का मिलेगा लाभ

शिक्षा विभाग द्वारा नियुक्ति को लेकर जारी पत्र में कहा गया है कि यह नियुक्ति नयी नियुक्ति मानी जायेगी. नियुक्त प्रधानाध्यापकों को नयी पेंशन योजना का लाभ मिलेगा. प्रधानाध्यापक को जिला शिक्षा पदाधिकारी के आदेश के अनुरूप योगदान देने को कहा गया है. प्रधानाध्यापकों को सभी प्रमाण पत्र जिला शिक्षा पदाधिकारी के माध्यम से अनुमोदन के लिए भेजने को कहा गया है. जिला शिक्षा पदाधिकारी प्रमाण पत्र माध्यमिक शिक्षा निदेशक को अनुमोदन के लिए भेजेंगे. जिन 13 प्रधानाध्यापकों की नियुक्ति की गयी है, उनमें से आठ 2025 तक सेवानिवृत्त हो जायेंगे.

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सभी सेवानिवृत्ति के कगार पर
नाम : सेवानिवृत्ति का वर्ष

मनोज कुमार सिंह : 2029
शांति सिंह : 2023
जोलेन सुशांति गुड़िया : 2023
अनंत कुमार झा : 2025
रमेश कुमार सिंह : 2022
प्रमोद कुमार : 2022
महेंद्र प्रसाद सिंह : 2025
निशा भारद्वाज : 2025
मिताली सरकार : 2030
डॉ उदय चंद्र झा : 2024
नीना सहाय : 2024
मेराजुल हक : 2026
करम सिंह महतो : 2027

Posted By: Samir Ranjan.

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