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साढ़े तीन वर्षो से ऑपरेशन नहीं हुआ

रांची: पाकुड़ सदर अस्पताल में साढ़े तीन वर्षो से महिलाओं की सजर्री डिलिवरी भी नहीं हुई है. जिले के सिविल सजर्न डॉ शिव शंकर हरिजन ने बताया कि सजर्न तथा ऑपरेशन के लिए जरूरी अन्य स्टाफ व उपकरणों के नहीं होने संबंधी जानकारी दी विभाग को दी गयी है, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ […]

रांची: पाकुड़ सदर अस्पताल में साढ़े तीन वर्षो से महिलाओं की सजर्री डिलिवरी भी नहीं हुई है. जिले के सिविल सजर्न डॉ शिव शंकर हरिजन ने बताया कि सजर्न तथा ऑपरेशन के लिए जरूरी अन्य स्टाफ व उपकरणों के नहीं होने संबंधी जानकारी दी विभाग को दी गयी है, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ है.

कोडरमा सदर अस्पताल में भी ऑपरेशन (महिलाओं की सजर्री या सी-सेक्शन) गत 10 माह से बंद है. सिविल सजर्न कोडरमा डॉ एसएन तिवारी ने कहा कि यहां कोई स्त्री रोग विशेषज्ञ व सजर्न नहीं हैं. विभाग को इसकी जानकारी दी गयी है. सदर अस्पताल चतरा में ब्लड बैंक नहीं है. सिविल सजर्न चतरा डॉ सत्येंद्र प्रसाद सिंह के मुताबिक वहां सुरक्षित मामले में ही ऑपरेशन किया जा रहा है. जिस महिला की हिमोग्लोबिन तय मानक के अनुसार नहीं होता, उन्हें रेफर किया जाता है. झारखंड में सदर अस्पतालों में चिकित्सा व्यवस्था की ऐसी ही स्थिति है. इसी से पता चलता है कि जिले के अन्य पीएचसी-सीएचसी का हाल क्या होगा, इसकी कल्पना की जा सकती है.

क्या है कारण : सरकार गठन के बाद विभाग ने नवंबर-दिसंबर 2013 में ट्रांसफर-पोस्टिंग की अधिसूचना निकाली थी. आरोप है कि इसके जरिये सदर अस्पताल सहित अन्य रेफरल यूनिट में तैनात कई चिकित्सकों ने अपना तबादला बड़े शहरों में करा लिया. इससे वहां चिकित्सक नहीं रहे, जबकि विभाग को इसकी कोई चिंता ही नहीं है.

कितने चिकित्सक जरूरी : सदर अस्पताल व अन्य रेफरल यूनिटों में कम से कम एक सजर्न, एक स्त्री रोग विशेषज्ञ, एक शिशु रोग विशेषज्ञ व एक एनेस्थीसिस्ट का होना जरूरी है. साथ ही ब्लड बैंक भी आवश्यक है.

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