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अंतरिक्ष से पृथ्वी पर हमारी आवाज पहुंचने में लगते हैं 20 मिनट

रांची/देवघर : तक्षशिला विद्यापीठ के छात्र-छात्राओं के लिए शनिवार का दिन गौरवांवित करनेवाला था. झारखंड में पहली बार नासा व इसरो के वैज्ञानिक से कक्षा पांच से 12वीं तक के बाल वैज्ञानिक रूबरू हुए. तक्षशिला विद्यापीठ के ऑडिटोरियम में कार्यक्रम का आयोजन हुआ. सीआइआरटी (सेंट्रल फॉर इनोवेशन रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी) वेबनियर के सहयोग से ऑनलाइन […]

रांची/देवघर : तक्षशिला विद्यापीठ के छात्र-छात्राओं के लिए शनिवार का दिन गौरवांवित करनेवाला था. झारखंड में पहली बार नासा व इसरो के वैज्ञानिक से कक्षा पांच से 12वीं तक के बाल वैज्ञानिक रूबरू हुए. तक्षशिला विद्यापीठ के ऑडिटोरियम में कार्यक्रम का आयोजन हुआ. सीआइआरटी (सेंट्रल फॉर इनोवेशन रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी) वेबनियर के सहयोग से ऑनलाइन नासा के वैज्ञानिकों जी सालाजर व आर नारायणस्वामी और इसरो के वैज्ञानिकों पीएस डे, टी सुंदरमूर्ति से बच्चे मुखातिब हुए.

उन्हें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सैटेलाइट और रोबोट निर्माण सहित अंतरिक्ष के बारे में जानने का मौका मिला. कक्षा 11वीं की छात्रा प्रिया घोष ने नासा के साइंटिस्ट जी सालाजर से पूछा कि जब हम स्पेस में जाते हैं, तो हमारे शरीर एवं मन-मस्तिक में क्या-क्या परिवर्तन होता है? साइंटिस्ट जी सालाजार ने बताया कि अंतरिक्ष का ग्रेविटी शून्य होता है.
जब हम अंतरिक्ष में होते हैं, तो हमारी हड्डियों के ज्वाइंट का साइज बढ़ जाता है. इस वजह से व्यक्ति का कद भी बढ़ जाता है. अंतरिक्ष से पृथ्वी पर हमारी आवाज पहुंचने में 20 मिनट का वक्त लगता है. इस वजह से अंतरिक्ष में जानेवाले लोग मानसिक तौर पर थोड़ा टूट जाते हैं, लेकिन अंतरिक्ष में रहते-रहते आदत हो जाती है.
तक्षशिला विद्यापीठ के एमडी कृष्णानंद झा, डॉ एनसी गांधी, मोतीलाल द्वारी की उपस्थिति में सीआइआइटी के संस्थापक सह निदेशक देवाशीष घोष मौलिक के तकनीकी सहयोग से साइंटिस्ट से ऑनलाइन संवाद हो गया.

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