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रांची : पॉलीग्राफ टेस्ट में सच आया सामने, हत्या की बात कबूली

सात साल पहले की गयी थी मासूम की हत्या रांची : डोरंडा थाना क्षेत्र में सात साल पहले छह साल की मासूम बच्ची नन्ही परी (काल्पनिक नाम) की हत्या कर दी गयी थी. हत्याकांड के आरोपी शाहिद अख्तर और शहजादी खातून को सोमवार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. इसके बाद मंगलवार की […]

सात साल पहले की गयी थी मासूम की हत्या
रांची : डोरंडा थाना क्षेत्र में सात साल पहले छह साल की मासूम बच्ची नन्ही परी (काल्पनिक नाम) की हत्या कर दी गयी थी. हत्याकांड के आरोपी शाहिद अख्तर और शहजादी खातून को सोमवार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. इसके बाद मंगलवार की सुबह आक्रोशित लोगों ने आरोपियों के घर में तोड़फोड़ और पत्थरबाजी की. इस केस में खास बात यह रही कि पॉलीग्राफ टेस्ट और पुख्ता सबूत के कारण आरोपियों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया़
अनुसंधान की दिशा भटक गयी थी पुलिस : उल्लेखनीय है कि घटना के बाद पुलिस ने केस को गंभीरता से लिया था, लेकिन सुराग नहीं मिल रहे थे.
इसके बाद पुलिस ने कुछ लोगों के कहने पर एक युवक को बच्ची की हत्या के आरोप में जेल भेज दिया था. बाद में घटना की गंभीरता को देखते हुए केस के अनुसंधान की जिम्मेवारी सिटी एसपी को दी गयी थी. इस बीच कई सिटी एसपी ने केस का अनुसंधान डोरंडा थाना प्रभारी के सहयोग से किया, लेकिन सफलता नहीं मिली.
हालांकि जेल भेजे गये दोनों आरोपियों के अलावा कुछ अन्य लोगों पर पुलिस को शुरू से संदेह था. इसके बावजूद उनकी संलिप्तता काे लेकर ठोस साक्ष्य मिल रहे थे. क्योंकि केस में संदिग्ध आरोपी हमेशा एक दूसरे पर आरोप लगाते थे. इसके अलावा शाहिद के मोबाइल का सीडीआर का सही तरीके से विश्लेषण भी नहीं किया गया था. जबकि वह घटना के दौरान आसपास ही था, लेकिन पुलिस को गुमराह करने के लिए वह खुद को दूसरे स्थान पर बताता रहा. इस वजह से पुलिस के अनुसंधान की दिशा भटक गयी थी.
केस पर थी हाइकोर्ट की नजर : इधर, हाइकोर्ट ने जब केस को गंभीरता से लिया, तब पुलिस ने संदिग्ध लोगों का दोबारा पॉलीग्राफ टेस्ट कराया था. क्योंकि शाहिद और शहजादी के पहले पॉलीग्राफ टेस्ट में दोनों पर गहरा संदेह जाहिर किया गया था, लेकिन कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिले थे.
इसलिए पुलिस ने दोनों का एक बार फिर पॉलीग्राफ टेस्ट कराया. इस बार उनकी संलिप्तता के साक्ष्य मिल गये. इसके अलावा नये सिरे से शाहिद के मोबाइल के सीडीआर के विश्लेषण के आधार पर उसे दोषी पाया गया. जिसके बाद सोमवार को पूछताछ के लिए उसे बुलाया. चूंकि पुलिस उसके खिलाफ पहले से काफी साक्ष्य जुटा चुकी थी, इस वजह से वह पूछताछ में टूट गया और अपनी संलिप्तता स्वीकार करते हुए बोला कि घटना की मूल वजह शहजादी थी. इसके बाद उसे भी बुलाया गया. इस तरह दोनों ने हत्याकांड में अपनी संलिप्तता स्वीकार कर ली और दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया.
बेवजह बदनाम हो रहे थे दूसरे आरोपी
इससे पहले मंगलवार को ताेड़फोड़ की घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और लोगों को समझा कर मामले को शांत कराया. यह कहते हुए पुलिस आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई कर चुकी है. इसलिए अब आप लोगों को परेशान होने की आवश्यकता नहीं है. उल्लेखनीय है कि घटना को लेकर शुरू से स्थानीय लोगों में गुस्सा था. घटना के बाद भी दोनों आरोपियों पर किसी को संदेह नहीं था.
इसके उलट दोनों के कारण ही दूसरे संदिग्ध इतने साल तक बेवजह बदनाम हो रहे थे. इस कारण दोनों आरोपी लोगों के बीच में आराम से रह रहे थे. लेकिन मंगलवार की सुबह जब दोनों की गिरफ्तारी की जानकारी मिली, तब बच्ची को जानने वाले और दूसरे लोग आगबबूला हो गये और उनके घर पहुंच कर तोड़फोड़ करने लगे.

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