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जानिये झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स को, यहां हैं ये विभाग, ऐसे समझें इलाज की व्यवस्था

राजीव पांडेय राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) राज्य का सबसे बड़ा अस्पताल है. यह अस्पताल झारखंड का गौरव भी है. स्वास्थ्य से जुड़ीअधिकांश योजनाओं का क्रियान्वयन इसी अस्पताल से शुरू होता है. राज्य सरकार भी देश के पटल पर अपनी छवि इसी अस्पताल के जरिये प्रस्तुत करती है. वहीं, राज्य के सुदूर ग्रामीण इलाकों […]

राजीव पांडेय
राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) राज्य का सबसे बड़ा अस्पताल है. यह अस्पताल झारखंड का गौरव भी है. स्वास्थ्य से जुड़ीअधिकांश योजनाओं का क्रियान्वयन इसी अस्पताल से शुरू होता है. राज्य सरकार भी देश के पटल पर अपनी छवि इसी अस्पताल के जरिये प्रस्तुत करती है.
वहीं, राज्य के सुदूर ग्रामीण इलाकों के लोग भी यही सोच कर आते हैं कि रिम्स आने पर उनकी जान बच जायेगी. इसके बावजूद लोगों को रिम्स पहुंचनेऔर यहां इलाज कराने में खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. उम्मीद है कि ‘प्रभात खबर’ द्वारा प्रकाशित की जा रही यह रिपोर्ट से राज्य केविभिन्न जिलों से आनेवाले मरीजों के लिए यह गाइड का काम करेगी, जिससे रिम्स में आनेवालों को कोई परेशानी न हो.
रांची : राजेंद्र मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (आरएमसीएच) की स्थापना वर्ष 1958 में हुई थी. उस समय के तत्कालीन दीवान कर्नल पीताबंर नाथ ने जमीन की तालाश की और 214 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर अस्पताल और मेडिकल कॉलेज की स्थापना की गयी. वर्ष 1960 में एमबीबीएस की 150 सीटों पर पहले साल विद्यार्थियों का नामांकन हुआ. झारखंड अलग राज्य का गठन होने के बाद वर्ष 2002 में राजेंद्र मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (आरएमसीएच) का नाम बदल कर राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) हो गया.
रिम्स को एम्स के तर्ज पर डॉक्टर और चिकित्सा सेवाओं की सुविधाएं शुरू की गयीं. चिकित्सा सेवाओं में वृद्धि होने के कारण मरीजों की संख्या बढ़ती गयी. मौजूदा समय में रिम्स के ओपीडी में रोजना करीब 2200 से ज्यादा मरीज इलाज कराने आते हैं. जबकि विभिन्न विभागों के इनडोर में 1500 भर्ती रहते हैं.
राज्य सरकार से रिम्स को 378 करोड़ रुपये का फंड हर साल मिलता है, लेकिन रिम्स प्रबंधन का कहना है कि वर्तमान सेवाओं व सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए इतने बजट से काम नहीं चल पा रहा है. रिम्स प्रबंधन ने राज्य सरकार से चार साल के अंतराल में 1500 करोड़ देने का आग्रह किया है. वर्ष 2019 में 500 करोड़, वर्ष 2020 में 400 करोड़, वर्ष 2021 में 300 करोड़ व वर्ष 2022 में 300 करोड़ अतिरिक्त देने की मांग की गयी है.
रिम्स पहुंचने पर क्या करें
रिम्स पहुंचने पर अगर मरीज गंभीर है, तो इमरजेंसी में भर्ती करायें. भर्ती होने के लिए यहां पंजीयन काउंटर है. अगर मरीज को ओपीडी मेंदिखाना है, तो इमरजेंसी के प्रवेश द्वार के सामने ओपीडी पंजीयन काउंटर है. वहां से पर्ची कटाने पर आप ओपीडी में दिखा सकते हैं.
ओपीडी कॉप्लेक्स में कहां कौन सा विभाग
ग्राउंड फ्लोर : मेडिसिन, शिशु विभाग, आंख, नाक-कान-गला का ओपीडी
फर्स्ट फ्लोर : सर्जरी, हड्डी, न्यूरो सर्जरी, स्त्री एंड प्रसूति, त्वचा व न्यूरोलॉजी का ओपीडी, एड्स के मरीजाें का एआरटी सेंटर
सुपरस्पेशियलिटी विंग के विभागों की स्थिति
ग्राउंड फ्लोर : कार्डियोलॉजी, कार्डियोलॉजी इमरजेंसी, इको, इसीजी व हार्ट सर्जरी की ओपीडी, पीडियेट्रिक सर्जरी का ओपीडी
फर्स्ट फ्लोर : यूरोलॉजी विभाग का ओपीडी
250 तक की जांच मुफ्त होती है
रिम्स में ओपीडी व भर्ती मरीजों का 250 रुपये की जांच मुफ्त है. इसके ऊपर की जांच के लिए मरीज को पैसे देने पड़ते हैं. वहीं, बीपीएल
मरीजों की सभी जांच मुफ्त है. मरीजों की सुविधा के लिए रिम्स परिसर में निजी जांच एजेंसी मेडाॅल है, जिसकी जांच का दर सरकार ने तय कर रखी है.यह दर रिम्स की दर के जितनी ही है.
378 करोड़ रुपये का फंड हर साल मिलता है राज्य सरकार से रिम्स को
1500 करोड़ देने का आग्रह किया है प्रबंधन ने सरकार से चार साल के अंतराल में
ऐसे समझें रिम्स में इमरजेंसी, ओपीडी और इनडोर में इलाज की व्यवस्था
1 मरीजों की सहूलियत के लिए रिम्स के प्रवेश द्वारा पर ही इमरजेंसी वार्ड बनाया गया है. यहां गंभीर मरीजों को भर्ती कर उनका इलाज कियाजाता है.
2 इमरजेंसी वार्ड के सामने ही आयुष्मान भारत योजना का काउंटर है. यहीं ओपीडी कॉम्प्लेक्स शुरू हो जाता है. जहां सामान्य मरीजों को परामर्शमिलता है.
रिम्स में मौजूद हैं ये विभाग
1. एनाटोमी
2. बॉयोकेमेस्ट्री
3. फॉरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सीलॉजी
4. टीबी एंड चेस्ट
5. ऑफ्टेट्रक्सि एंड गायनोकॉलोजी
6. रेडियालॉजी
7. स्किन-एसटीडी एंड लेप्रोसी,
8. न्यूरो सर्जरी
9. यूरोलॉजी
10. ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन एंड ब्लड बैंक
11. कार्डियोथोरेसिक
12. फिजियोलॉजी
13. माइक्रोबॉयोलॉजी
14. प्रीवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन
15. मेडिसिन
16. पीडियेट्रक्सि
17. आर्थोपेडक्सि
18. साइकेट्रिक
19. पीडियेट्रिक्स सर्जरी
20. सेंट्रल इमरजेंसी
21. पैथोलॉजी
22. फार्माकोलॉजी
23. इएनटी
24. सर्जरी
25. एनेस्थिसियोलॉजी
26. फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिटेशन
27. डेंटिसरी
28. कार्डियोलॉजी
29. लेबोरेट्री मेडिसिन
30. आइ ओपीडी
ओपीडी कॉम्प्लेक्स मे भूतल और प्रथम तल पर विभिन्न रोगों के इलाज के लिए अगल-अगल कमरे बने हैं, जहां मरीज पारमर्श लेते हैं.
पंजीयन काउंटर
2200 से ज्यादा मरीज रोजाना इलाज कराने आते हैं ओपीडी में
1500 मरीज भर्ती रहते हैं रिम्स के विभिन्न विभागों के इनडोर में हर वक्त
परेशानी में इनसे मिलें
निदेशक : डॉ डीके सिंह
अधीक्षक : डॉ विवेक कश्यप
पांच तल पर कौन-कौन से विभाग
रिम्स में इनडोर (मरीजों को भर्ती करने के लिए) मरीजों को भर्ती कर इलाज करने के लिए पांच फ्लोर वाले बिल्डिंग में विभागों को बांटा गयाहै. इसके अलावा ऑपरेशन थियेटर भी है, जो मॉड्यूलर हैं.
जांच घर
ओपीडी कॉप्लेक्स में आगे बढ़ने पर दायीं ओर मेडॉल की पैथोलॉजी है, उसके ठीक सामने ही रिम्स की अपनी सेंट्रल पैथोलॉजी है.
कम दर पर होती है जांच
ब्लड के लिए नहीं देना होता है स्क्रीनिंग चार्ज
रिम्स में राज्य कामॉडल ब्लड बैंक है. यहां होल ब्लड, प्लेटलेट्स आदि दिया जाता है. यहां खून की स्क्रीनिंग के लिए कोई पैसा नहीं लिया जाता है. जबकि, पहले मरीजों से350 रुपये लिये जाते थे. यहां आरडीपी के लिए 9500 रुपये देने पड़ते हैं. यह पैसा किट के लिए लिया जाता है. अन्य सभी प्रक्रिया मुफ्त है.
मरीजों को मिलता है तीन वक्त का मुफ्त खाना
रिम्स में भर्ती मरीजों को खाने मुहैया कराने के लिए आउटसोर्सिंग पर एजेंसी है, जो मरीजों को तीन वक्त का खाना मुहैया कराती है. सुबहका नाश्ता, दोपहर का खाना व रात का खाना दिया जाता है. मरीजों की बीमारी के हिसाब से खाना मिलता है. यह डायटीशियन द्वारा तय किया जाता है.
सभी तरह की रेडियोलॉजी जांच किफायती दर पर
रिम्स में अोपीडी व भर्ती मरीजों की रेडियोलाॅजिकल जांच जैसे: एक्स-रे, सीटी स्कैन, एमआरआइ, अल्ट्रासाउंड की सुविधा है. सरकार नेन्यूनतम दर पर जांच की सुविधा दी है. वहीं, निजी जांच एजेंसी हेल्थ मैप से सरकार ने अनुबंध किया है. यहां पर न्यूनतम दर पर जांच की सुविधा है.
हार्ट मरीजों के लिए एंजियोग्राफी व एंजियोप्लास्टी
रिम्स में हृदय रोग से पीड़ित मरीजों की जांच और इलाज किया जाता है. यहां एंजियोग्राफी व एंजियोप्लास्टी की सुविधा उपलब्ध है. हार्ट कीस्क्रीनिंग करने के लिए इसीजी, इको, टीएमटी और हॉल्टर जांच की व्यवस्था है. यह जांच भी निजी अस्पतालों
से काफी कम दर परकी जाती है.
यह है ओपीडी में डॉक्टरों की टीम
मेडिसिन : डॉ जेके मित्रा, डॉ उमेश प्रसाद, डॉ वद्यिापति, डॉ सीबी शर्मा, डॉ बी कुमार व डॉ सत्येंद्र सिंह
सर्जरी : डॉ आरजी बाखला, डॉ शीतल मलुिआ, डॉ विनय प्रताप, डॉ आरएस शर्मा, डॉ मृत्युंजय सरावगी, डॉ विनोद कुमार
हड्डी : डॉ एलबी मांझी, डॉ विनय कुमार, डॉ जीके गुप्ता
न्यूरो सर्जरी : डॉ अनिल कुमार व डॉ सीबी सहाय
स्त्री एवं प्रसूति : डॉ अनुभा वद्यिार्थी, डॉ एस तर्किी, डॉ एसबी सिंह, डॉ बी मोइत्रा, डॉ ए भारती व डॉ एम मेहता
शिशु : डॉ एके चौधरी, डॉ अमर वर्मा, डॉ एके शर्मा, डॉ राजीव मिश्रा, डॉ मिन्नी रानी अखौरी
शिशु सर्जरी : डॉ हीरेंद्र बिरुआ व डॉ अभिषेक रंजन
स्किन : डॉ एसएस चौधरी, डॉ डीके मिश्रा, डॉ डीके शर्मा
मनोचिकित्सा : डॉ अशोक कुमार, डॉ अजय कुमार बाखला
नेत्र : डॉ वीवी सिन्हा, डॉ आर गुप्ता, डॉ एमके दीपक लकड़ा, डॉ राहुल प्रसाद व डॉ सुनील कुमार
नाक-कान-गला : डॉ पीके सिन्हा, डॉ आरके पांडेय, डॉ चंद्रकांति बिरुआ
यूरोलॉजी : डॉ अरशद जमाल, डाॅ राणा
अंकोलॉजी : डॉ अनूप कुमार , डॉ रोहित झा
कार्डियोलॉजी : डॉ हेमंत नारायण, डॉ प्रकाश कुमार, डॉ प्रवीण श्रीवास्तव व डॉ प्रशांत कुमार
अत्याधुनिक सुविधाएं भी हैं
कैंसर के इलाज के लिए है अलग विंग विशेषज्ञ भी हैं
रिम्स में कैंसर के इलाज के लिए अलग ब्लॉक है. यहां मेडिसिन, सर्जरी व रेडियोथेरेपी तीनों पद्धति से इलाज के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर मौजूदहै. रेडियोथेरेपी के लिए मरीजों को पैसे नहीं देने पड़ते हैं. वहीं, किमोथैरेपी के लिए न्यूनतम दर ली जाती है. बीपीएल की सभी जांच व इलाज मुफ्त है.
काउंटर के अलावा ऑनलाइन पंजीयन की सुविधा भी है
रिम्स में काउंटर से ओपीडी की पर्ची कटाने के अलावा ऑनलाइन ओपीडी पंजीयन की भी सुविधा मौजूद है. मरीज अगर ओपीडी में आकरपंजीयन कराने व जांच पर्ची कटाने से बचना चाहता है, तो ऑनलाइन से पंजीयन करा सकता है. ऑनलाइन से पांच रुपये का भुगतान भी किया जा सकता है.
बच्चों के इलाज के लिए विशेष वार्ड और सुविधाएं हैं
बच्चों को बेहतर इलाज व शिशु मृत्यु को कम करने के लिए रिम्स में पीआइसीयू व न्यू बार्न स्पेशल केयर यूनिट (एसएनसीयू) है. यहां नवजात बच्चों के इलाज की वे सभी विशेष सुविधाएं मौजूद हैं, जिसके लिए निजी अस्पतालों में काफी पैसे खर्च करने पड़ते हैं. यहां शिशु ओपीडी के बगल मेंबच्चों का टीकारण केंद्र भी मौजूद है.
मरीजों को मिलता है आयुष्मान भारत योजना का लाभ
रिम्स में आयुष्मान भारत योजना का लाभ भी मरीजों को दिया जाता है. इमरजेंसी के सामने आयुष्मान भारत योजना का काउंटर है. यहां
गोल्डेन कार्ड बनाया जाता है. इस योजना के तहत मरीजों का भर्ती कर इलाज किया जाता है. उपरकण व दवा के लिए गरीब मरीजों को पैसे नहीं देने पड़ते
हैं.

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