सुनील चौधरी
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झारखंड का सियासी हाल: निर्दलीय मुख्यमंत्री, 10 दिन का सीएम से लेकर पिता-पुत्र सीएम तक का रिकार्ड
सुनील चौधरी रांची: 15 नवंबर 2000 को झारखंड राज्य का गठन हुआ. तब से लेकर अबतक झारखंड राजनीतिक कीर्तिमान बनाने आगे रहा है. कई राजनीतिक घटनाएं ऐसी हुई, जो पहले किसी राज्य में नहीं हुई, बल्कि झारखंड में ही संभव हो सका. चाहे निर्दलीय मुख्यमंत्री और मंत्री की बातें हो या नौ दिन की सरकार […]
रांची: 15 नवंबर 2000 को झारखंड राज्य का गठन हुआ. तब से लेकर अबतक झारखंड राजनीतिक कीर्तिमान बनाने आगे रहा है. कई राजनीतिक घटनाएं ऐसी हुई, जो पहले किसी राज्य में नहीं हुई, बल्कि झारखंड में ही संभव हो सका. चाहे निर्दलीय मुख्यमंत्री और मंत्री की बातें हो या नौ दिन की सरकार की. झारखंड हमेशा सुर्खियों में रहा है.
कभी किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला : झारखंड ही एक ऐसा राज्य में जहां तीन चुनाव हुए पर तीनों चुनाव में कभी भी किसी एक पार्टी को बहुमत नहीं मिला है. वर्ष 2005 में झारखंड अलग राज्य गठन के बाद पहला चुनाव हुआ था. उस समय भाजपा को 30, कांग्रेस को नौ, एनसीपी को एक, जदयू को छह, झामुमो को 17, राजद को सात, एआइएफबी को दो, सीपीआइएमएल को एक और यूजीडीपी को दो सीट मिली थी. तब भाजपा, जदयू और छोटे दलों के साथ सरकार बना पायी थी. इसी तरह वर्ष 2009 में भाजपा को 18, आजसू पार्टी को पांच, सीपीआइएमएल को एक, निर्दलीय दो, कांग्रेस को 14, जय भारत समानता पार्टी को एक, जदयू को दो, झारखंड जनाधिकार मंच को एक, झामुमो को 18, झापा को एक, झाविमो को 11, एमसीसी को एक, राजद को पांच और राष्ट्रीय कल्याण पक्ष को एक सीट मिली थी. जिसमें कुछ दिन राष्ट्रपति शासन तो कुछ दिन भाजपा-झामुमो की सरकार बनी. वर्ष 2014 में आजसू पार्टी को पांच,बसपा को एक, भाजपा को 35, सीपीआइएमएल को एक, कांग्रेस को छह, जय भारत समानता पार्टी को एक, झामुमो को 17, झापा को एक, झाविमो को आठ, एमसीसी को एक और नौजवान संघर्ष मोर्चा को एक-एक सीट मिली थी. झाविमो के छह विधायक भाजपा के साथ हो गये, जिसके कारण यह सरकार बन सकी थी.
निर्दलीय से लेकर 10 दिन के मुख्यमंत्री का कार्यकाल : झारखंड में मुख्यमंत्री रघुवर दास ही ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा किया है. इसके पूर्व नौ बार मुख्यमंत्री बने पर किसी ने भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया. सबसे पहला मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी बने थे, उनका कार्यकाल 15 नवंबर से 18 मार्च 2003 तक था. वह दो साल चार महीना तीन दिन तक मुख्यमंत्री रहे. फिर 18 मार्च 2003 से दो मार्च 2005 तक अर्जुन मुंडा मुख्यमंत्री बने. इनका कार्यकाल एक साल 11 माह और 12 दिन का था. दो मार्च 2005 से 12 मार्च 2005 तक मुख्यमंत्री शिबू सोरेन बने. केवल 10 दिनों का मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड इनके नाम है. फिर 12 मार्च 2005 से 19 सितंबर 2006 तक अर्जुन मुंडा का एक साल छह माह सात दिन तक कार्यकाल रहा. इसके बाद निर्दलीय मुख्यमंत्री मधु कोड़ा बने. वह 19 सितंबर 2006 से 27 अगस्त 2008 तक मुख्यमंत्री रहे. निर्दलीय मुख्यमंत्री के रूप में एक साल 11 माह और आठ दिनों का कार्यकाल लिम्का बुक अॉफ रिकार्ड में दर्ज है. इनके बाद 27 अगस्त 2008 से 19 जनवरी 2009 तक चार माह 23 दिनों तक मुख्यमंत्री शिबू सोरेन रहे. 19 जनवरी 2009 से 30 दिसंबर 2009 तक राज्य में राष्ट्रपति शासन रहा. फिर 30 दिसंबर 2009 से एक जून 2010 तक पांच माह दो दिनों तक मुख्यमंत्री शिबू सोरेन रहे. एक जून 2010 से 11 सितंबर 2010 तक राष्ट्रपति शासन लगा. 11 सितंबर 2010 से 18 जनवरी 2013 तक दो साल चार माह और सात दिनों तक मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा रहे. फिर 18 जनवरी 2013 से 13 जुलाई 2013 तक राष्ट्रपति शासन लग गया. 13 जुलाई 2013 से 28 दिसंबर 2014 तक एक साल पांच माह और 15 दिनों तक मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन रहे. यानी वर्ष 2009 से 2014 के विधानसभा कार्यकाल में पहली बार पिता शिबू सोरेन मुख्यमंत्री बने. फिर उनके पुत्र हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बने. एक ही विधानसभा कार्यकाल में पिता-पुत्र के मुख्यमंत्री बनने का भी कीर्तिमान झारखंड के नाम है. 28 दिसंबर 2014 से अब तक सबसे अधिक दिनों का कार्यकाल मुख्यमंत्री रघुवर दास के नाम है. जो झारखंड में एक रिकॉर्ड बना कि किसी मुख्यमंत्री ने अपना कार्यकाल पूरा किया.
-एक टर्म में सबसे अधिक समय तक सीएम रहने का रिकॉर्ड रघुवर के नाम
-किसी भी पार्टी को कभी भी बहुमत न मिलने का रिकॉर्ड भी बना है झारखंड में
-रात 12 बजे हुआ था शपथ ग्रहण: 15 नवंबर 2000 को झारखंड अलग राज्य का गठन हुआ था. 14 और 15 की मध्यरात्रि रात 12 बजे झारखंड के पहले मुख्यमंत्री के रूप में भाजपा के बाबूलाल मरांडी ने शपथ ली थी.
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