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रांची : घंटी आधारित संविदा शिक्षकों ने किया विवि संशोधित नियमावली का विरोध

रांची : झारखंड के विवि व महाविद्यालयों में घंटी आधारित संविदा पर नियुक्त शिक्षकों ने एक अक्तूबर को राज्य कैबिनेट से पास विवि संशोधित नियमावली का विरोध किया है. शिक्षकों ने इसे काला कानून बताया है. संघ के सदस्यों ने कहा कि इस नियमावली में कहा गया है कि झारखंड के सभी विवि अौर अंगीभूत […]

रांची : झारखंड के विवि व महाविद्यालयों में घंटी आधारित संविदा पर नियुक्त शिक्षकों ने एक अक्तूबर को राज्य कैबिनेट से पास विवि संशोधित नियमावली का विरोध किया है. शिक्षकों ने इसे काला कानून बताया है.
संघ के सदस्यों ने कहा कि इस नियमावली में कहा गया है कि झारखंड के सभी विवि अौर अंगीभूत कॉलेजों में घंटी आधारित संविदा शिक्षक नियमित या स्थायी होने का भविष्य में दावा नहीं कर सकते हैं, जबकि दूसरी अोर हिमाचल प्रदेश में सरकार ने ऐसे शिक्षकों को स्थायी और नियमित किया है.
इसी प्रकार मध्य प्रदेश सरकार ने भी ऐसे शिक्षकों को 20 प्रतिशत का अधिभार देते हुए मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग से स्थायी भी किया है, लेकिन झारखंड सरकार ने इस संदर्भ में काला कानून बनाया है.
उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत सभी शिक्षकों ने इसका भरपूर विरोध किया है और मांग की है कि पहले से कार्यरत घंटी आधारित शिक्षकों का अविलंब एक निश्चित मासिक मानदेय यूजीसी नियमावली 2018 के अनुसार तय किया जाये. इस बाबत राज्यपाल सह कुलाधिपति के द्वारा निश्चित मानदेय के बारे में सरकार को निर्देशित भी किया जाये.
संघ ने कहा कि सरकार इन शिक्षकों को नियमित करे, क्योंकि पिछले 11 वर्षों से राज्य में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति नहीं हुई है. सभी शिक्षकों की उम्र नियुक्ति की आस में बढ़ती जा रही है.

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