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अब तक राज्य के लोगों को दिन में तारे नहीं दिखा सकी सरकार

छह जिलों में विज्ञान केंद्र व तीन जिलों में तारामंडल लंबित लोहरदगा व गुमला में विज्ञान केंद्र की स्थिति ठीक नहीं रांची में विज्ञान केंद्र 12.22 करोड़ से बनकर तैयार हुआ रांची : उच्च व तकनीकी शिक्षा तथा कौशल विकास विभाग (पूर्व में विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग) छह जिलों में विज्ञान केंद्र तथा तीन जिलों […]

छह जिलों में विज्ञान केंद्र व तीन जिलों में तारामंडल लंबित
लोहरदगा व गुमला में विज्ञान केंद्र की स्थिति ठीक नहीं
रांची में विज्ञान केंद्र 12.22 करोड़ से बनकर तैयार हुआ
रांची : उच्च व तकनीकी शिक्षा तथा कौशल विकास विभाग (पूर्व में विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग) छह जिलों में विज्ञान केंद्र तथा तीन जिलों में तारामंडल का निर्माण अब तक नहीं कर सका है. झारखंड के लोगों के लिए तारामंडल सपना हो गया है़ यहां के लोगों को सरकार अब तक दिन में तारे नहीं दिखा सकी है.
रांची में क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र संचालित है, वहीं लोहरदगा व गुमला में खुले जिला विज्ञान केंद्र को मजाक बना दिया गया है. वहां विज्ञान छोड़कर दूसरी गतिविधि चल रही है.
विज्ञान केंद्र, गुमला के भवन में ही समाज कल्याण विभाग से संबद्ध चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) तथा महिलाअों के लिए वन स्टॉप सेंटर का कार्यालय है. जिलास्तरीय कुछ बैठकें भी इसी भवन के सभागार में होती हैं. पहले यहां स्कूली बच्चों को लेकर जाया जाता था, लेकिन अब यह केंद्र बर्बाद हो रहा है. उधर हजारीबाग, डालटनगंज, देवघर, दुमका, धनबाद और बोकारो जिले के विज्ञान केंद्र पिछले 10 वर्षों में भी नहीं बन सके हैं.
इनमें से सबसे पुरानी योजना रांची में क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र (रीजनल साइंस सेंटर) सह तारामंडल निर्माण की थी. दरअसल विभाग ने राज्य के सभी जिलों में विज्ञान केंद्र बनाने का नीतिगत निर्णय लिया था. यहां लाइब्रेरी भी बननी थी. आम लोगों में वैज्ञानिक सोच-समझ (साइंटिफिक टेंपरामेंट) बढ़ाने के लिए इसे महत्वपूर्ण माना गया था. करीब 13 एकड़ परिसरवाला क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र, रांची 12.22 करोड़ रुपये में बनकर तैयार हुआ है. वहीं शेष जिलों में औसतन आठ करोड़ की लागत से इसे बनना था.
झारखंड के लोगों के लिए तारामंडल सपना हो गया है. विभागीय प्रगति रिपोर्ट में वर्ष 2003-04 से ही लगातार यह कहा जाता रहा है कि तारामंडल का निर्माण कराया जा रहा है. तब रांची (चिरौंदी) के तारामंडल की ही बात होती थी. विधानसभा में भी यह बात लगातार कही गयी. इसके बाद इसका शिलान्यास मार्च-2007 में हुआ. बाद में देवघर व दुमका में भी तारामंडल बनाने का निर्णय हुआ. इधर 10 साल से प्रस्तावित राज्य के तीन तारामंडल में से अब तक कोई शुरू नहीं हो सका है.
रांची के मोरहाबादी (चिरौंदी) में क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र सह तारामंडल का शिलान्यास 20 मार्च 2007 को हुआ था. विज्ञान केंद्र तो नवंबर-2010 में शुरू हो गया, पर दिन में भी तारे व ग्रह दिखानेवाला तारामंडल अभी तक शुरू नहीं हो सका है. अब इसी माह इसके शुरू हो जाने की बात कही जा रही है, जबकि तत्कालीन विभागीय मंत्री व सचिव की घोषणा के अनुसार इसे मार्च-2012 तक बन कर तैयार हो जाना चाहिए था. लेकिन झारखंड के लोगों के लिए तारामंडल सपना हो गया है.
लंबित विज्ञान केंद्र : हजारीबाग, डालटनगंज, देवघर, दुमका, धनबाद व बोकारो.
लंबित तारामंडल : रांची, दुमका व देवघर का तारामंडलन लंबित है.
रांची का तारामंडल इसी माह शुरू हो जायेगा
विभाग रांेची सहित गुमला व लोहरदगा में विज्ञान केंद्र का संचालन कर रहा है. रांची का तारामंडल इसी माह शुरू हो जायेगा. देवघर का अगले छह माह में. दुमका का तारामंडल शुरू होने में अभी देर है.
जीएसपी गुप्ता, कार्यकारी निदेशक (झारखंड साइंस एंड टेक्नोलॉजी काउंसिल)

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