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तीन हफ्ते बाद मॉनसून ने फिर पकड़ी रफ्तार, मौसम की मेहरबानी देख ग्रामीणों के चेहरे खिले, शुरू हो गयी धनरोपनी

रांची : करीब-करीब तीन सप्ताह के ड्राइ स्पेल (सूखे जैसी स्थिति) के बाद मॉनसून ने फिर रफ्तार पकड़ ली है. बंगाल की खाड़ी में निम्न दबाव बना हुआ है. झारखंड पर भी इसका असर दिख रहा है. राजधानी पिछले तीन दिनों के मॉनसून का मजा ले रही है. शहरी इलाकों में कुछ परेशानी है, तो […]

रांची : करीब-करीब तीन सप्ताह के ड्राइ स्पेल (सूखे जैसी स्थिति) के बाद मॉनसून ने फिर रफ्तार पकड़ ली है. बंगाल की खाड़ी में निम्न दबाव बना हुआ है. झारखंड पर भी इसका असर दिख रहा है. राजधानी पिछले तीन दिनों के मॉनसून का मजा ले रही है.
शहरी इलाकों में कुछ परेशानी है, तो ग्रामीणों के चेहरे मौसम
देख खिल उठे हैं. ऐसी ही स्थिति रही, तो अगले एक सप्ताह में खेतों में धान दिखने लगेगा. बिचड़ा खेतों में लगाया जायेगा. मौसम की बेहतर स्थिति को देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों ने भी सलाह जारी की है. इधर, बारिश होने से शहरों में भी भू-जलस्तर बढ़ेगा. इसके अलावा डैमों और तालाबों का जलस्तर भी बढ़ेगा. नदियों के जलस्तर में भी कुछ सुधार आने की उम्मीद है. मौसम विभाग का अनुमान है कि अगले एक सप्ताह तो मॉनसून सामान्य रहेगा. कहीं-कहीं बारिश हो सकती है. एक अगस्त के बाद फिर मॉनसून के ज्यादा सक्रिय होने का अनुमान है.
राजधानी में अब तक 312 मिमी बारिश
केवल राजधानी में पिछले एक जून से 28 जुलाई तक 312 मिमी बारिश हो चुकी है. जमशेदपुर में करीब 481 मिमी बारिश हुई है. पूरे राज्य में औसतन करीब 310 मिमी बारिश हो गयी है. मौसम विभाग से जारी आकड़ों के मुताबिक खूंटी, गढ़वा और गोड्डा में ही सामान्य से 50 फीसदी से कम बारिश हुई है. स्थिति धीरे-धीरे सुधर रही है.
तापमान गिरा, गर्मी से राहत
पिछले तीन-चार दिनों से हो रही रुक-रुक कर बारिश के कारण लोगों को गर्मी से भी राहत मिली है. राज्य के करीब-करीब सभी शहरों का अधिकतम तापमान 30 से 31 डिग्री सेल्सियस के बीच रिकाॅर्ड किया जा रहा है. राजधानी का अधिकतम तापमान 29 डिग्री सेल्सियस रिकाॅर्ड किया गया. न्यूनतम तापमान 23 डिग्री सेल्सियस रिकाॅर्ड किया गया है.
खेतों में पानी हो, तो निचली जमीन पर रोपा करें किसान
रांची : राज्य के विभिन्न जिलों में तीन सप्ताह बाद अच्छी बारिश की स्थिति और संभावनाओं को देखते हुए बीएयू के कृषि परामर्शी दल के वैज्ञानिकों ने निचली जमीन पर धान रोपा शुरू करने की सलाह दी है. वैज्ञानिकों ने खेतों में जुताई की आवश्यकता होने पर खेत को जोतकर मिट्टी को खुला छोड़ देने तथा खेत के मेढ़ को दुरुस्त करने को कहा है. खेतों में जल जमाव सुनिश्चित करने और खरपतवार सड़ने देने का आग्रह किया है.
कृषि वैज्ञानिकों ने बिचड़ा तैयार नहीं होने की स्थिति में बीजस्थली (नर्सरी) में बीज को क्रमशः दो-तीन किस्तों में बोने तथा बीजस्थली को जमीन की सतह से ऊपर नहीं रखने को कहा है. एक एकड़ में रोपा के लिए से 16 से 18 किलोग्राम बीज तथा जितनी जमीन में रोपा करना है, उसके दसवें भाग में बिचड़ा लगाने का परामर्श दिया. धान का बिचड़ा 10 से 12 दिनों का होने पर दोन-2 खेत में श्रीविधि से रोपा शुरू की जा सकती है.
जो किसान श्री विधि से धान का रोपा नहीं करना चाहते हैं, वे 10 से 12 दिनों के धान के बिचड़े में यूरिया का भुरकाव दो किलोग्राम प्रति 100 वर्ग मीटर क्षेत्रफल की दर से करें. धान का बिचड़ा 20 दिनों का हो गया हो तथा खेतों में कादो करने लायक पानी जमा नहीं हो पाया हो, तो आगामी दिनों में होने वाली वर्षा के पानी के साथ–साथ ऊपरी जमीन से पानी का बहाव रोपा वाले खेतों में कर पानी जमाकर रोपा शुरू करें.

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