रांची :एचइसी का लेनिन हॉल विधानसभा के रूप में झारखंड के संसदीय इतिहास का अतीत बनने की ओर है. वर्ष 2000 में झारखंड राज्य गठन के बाद यह भवन लोकतंत्र की आस्था का मंदिर बना. नयी उम्मीदों से भरे झारखंडियों का भविष्य गढ़ने जनप्रतिनिधि इसी हॉल में बैठने लगे.इस हॉल ने कई सरकार को बनते व बिगड़ते देखा.
झारखंडी मानस के सपनों को ऊंचाई दी, तो राजनीतिक मान्यताएं और परंपरा भी इस छोटे से हॉल में ध्वस्त हुईं. राजनीति के उतार-चढ़ाव के साथ राजनीतिक रोमांच की पटकथा भी इसी हॉल में लिखी गयी़ इस हॉल में पहली बैठक 21 नवंबर 2000 को हुई़ मॉनसून सत्र का समापन 27 जुलाई 2019 को इस हॉल में हुआ.
अब इन परेशानियों से मिलेगी मुक्ति
विधानसभा सत्र के दौरान हर बार बिरसा चौक व उसके आस-पास सुरक्षा के मद्देनजर बैरिकेडिंग कर दी जाती है़ रास्ता बंद होने के कारण लोगों को पूरे सत्र के दौरान आने-जाने में काफी परेशानी होती है़ कई बार लोग जान जोखिम में डालकर कर गंतव्य तक पहुंचते हैं़ अब विधानसभा के नये भवन में शिफ्ट होने से इससे मुक्ति मिलेगी़
23 नवंबर 2016 : झारखंड विधानसभा का शर्मनाक दिन
रांची. 23 नवंबर 2016 झारखंड विधानसभा के लिए शर्मनाक दिन था. इस दिन भूमि संशोधन बिल पर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया था. मर्यादा तार-तार हुई़ स्पीकर पर जूते, पेपर पिन व कुर्सियां फेंकी गयीं. झामुमो विधायकों ने सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के खिलाफ विरोध की सारी सीमाएं लांघ दी. बिल की कॉपी फाड़ दी गयी़ कांग्रेस विधायक सदन के अंदर स्प्रे लेकर पहुंच गये थे़
कांग्रेस-झामुमो के रिपोर्टर टेबल पर चढ़ गये़ खूब हंगामा किया़ इस मामले में स्पीकर ने चार विधायकों को आगे की कार्यवाही से सस्पेंड कर दिया था. पक्ष-विपक्ष के बीच तकरार होता रहा. मार्शल भी कुछ नहीं कर पाये. विधायकों के इस कृत्य से विधानसभा पर दाग लगा. लेनिन हॉल इस दृश्य का गवाह बना.