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साक्षर भारत मिशन बंद करने के विरोध में चरणबद्ध आंदोलन करेगा साक्षरता कर्मचारी संघ

रांची : सरकार द्वारा साक्षर भारत मिशन को बंद करने के विरोध में और इससे प्रभावित 10 हजार कर्मचारियों की दयनीय आर्थिक स्थिति को लेकर झारखंड राज्य साक्षरता कर्मचारी संघ ने चरणबद्ध आंदोलन करने का निर्णय किया है. संघ का कहना है कि सरकार द्वारा मिशन को ताला लगाने के कारण इन कर्मचारियों और उनके […]

रांची : सरकार द्वारा साक्षर भारत मिशन को बंद करने के विरोध में और इससे प्रभावित 10 हजार कर्मचारियों की दयनीय आर्थिक स्थिति को लेकर झारखंड राज्य साक्षरता कर्मचारी संघ ने चरणबद्ध आंदोलन करने का निर्णय किया है. संघ का कहना है कि सरकार द्वारा मिशन को ताला लगाने के कारण इन कर्मचारियों और उनके परिवार के समक्ष भूखमरी की नौबत उत्‍पन्‍न हो गयी है.

अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के प्रदेश महामंत्री अनिल कुमार वर्मा ने कहा कि 2012 से साक्षर भारत मिशन के तहत पंचायत स्तर पर एक महिला व एक पुरुष 2000 रुपये, प्रखंड स्तर पर एक बीपीएम 6000 रुपये, जिला स्तर पर एक लेखापाल, एक डीपीसी, एक डीपीएम 8000 रुपये के न्यूनतम मानदेय पर निःस्वार्थ भाव से असाक्षरों को साक्षर करने का काम कर रहे हैं.

लेकिन 31 मार्च 2018 से सरकार द्वारा इसे स्थगित कर दिया गया. इसके बाद प्रदेश के लगभग 10 हजार साक्षरता कर्मी के सामने भूखमरी के हालात पैदा हो गये हैं. सरकार ने इन साक्षरता कर्मियों से सरकारी योजनाओं जैसे प्लस पोलियो, कुष्ठ उन्मूलन, पीडीएस सुपरवाइजर, मतदान कार्य, बीएलओ, योजना बनाओ अभियान, स्वच्छ भारत, आर्थिक गणना, प्रधानमंत्री धन-जन खाता खुलवाना, स्कूल चलें अभियान सहित पारा शिक्षकों के हड़ताल के अवधि में विद्यालयों में पठन-पाठन जैसे कार्य भी करवाये गये.

इन्होंने अपनी मांग को लेकर डीसी से मुख्यमंत्री तक गुहार लगायी है, लेकिन अब तक कुछ नहीं किया गया. इनका कहना है कि यदि हमारी मांगों को पूरा नहीं किया जाता है, तो चरणबद्ध तरीके से आंदोलन करेंगे. इनकी मुख्य मांगों में साक्षरता कर्मचारियों के बकाये मानदेय का भुगतान अविलंब करना, इन्हें सरकार की किसी अन्य कार्यक्रमों में समायोजन करने, न्यूनतम मजदूरी के आधार पर मानदेय भत्ता निर्धारण करना, नयी शिक्षा नीति 2019 के नाम पर सेवा समाप्ति की साजिश बंद करना, शिक्षा विभाग में रिक्त पड़े पदों पर वरीयता के आधार पर नियुक्ति करना शामिल है.

संघ ने कहा है कि यदि मांगे पूरी नहीं की जाती हैं, तो ये 26 जुलाई को राज्यभर में उपायुक्त कार्यालय के समक्ष, 12 अगस्त को सत्ताधारी विधायकों के आवास के सामने, 19 अगस्त को सीएम आवास के सामने, 10 सितंबर को शिक्षा मंत्री के आवास के सामने, 18 अक्तूबर को पुनः मुख्यमंत्री आवास के सामने और सात नवंबर को दोबारा शिक्षा मंत्री के आवास के समक्ष धरना देंगे.

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