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रांची : कैसे सुधरेगी रिम्स की व्यवस्था

हाइकोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव, रिम्स निदेशक व वादी से मांगा सुझाव रांची : झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में मंगलवार को लातेहार की दुष्कर्म पीड़िता के बेहतर इलाज को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत ने सुनवाई करते हुए रिम्स की व्यवस्था को दुरुस्त करने का निर्देश दिया. अदालत ने […]

हाइकोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव, रिम्स निदेशक व वादी से मांगा सुझाव
रांची : झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में मंगलवार को लातेहार की दुष्कर्म पीड़िता के बेहतर इलाज को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई.
अदालत ने सुनवाई करते हुए रिम्स की व्यवस्था को दुरुस्त करने का निर्देश दिया. अदालत ने जानना चाहा कि रिम्स को कैसे उत्कृष्ट बनाया जा सकता है. उसकी व्यवस्था में कैसे सुधार लाया जा सकता है. अदालत ने स्वास्थ्य सचिव, रिम्स निदेशक व प्रार्थी को रिम्स की व्यवस्था में सुधार लाने के लिए सुझाव देने को कहा. सुझाव शपथ पत्र के जरिये देने को कहा गया.
अदालत ने माैखिक रूप से कहा कि रिम्स के चिकित्सकों में समर्पण की कमी है. चिकित्सकों में आत्मीयता नहीं रह गयी है. चिकित्सक प्रोफेशनल की तरह काम करते हैं. रिम्स के चिकित्सक बेहतर हैं. वे निजी अस्पतालों के चिकित्सकों से सभी मायनों में बेहतर हैं, लेकिन मरीजों पर पूरा ध्यान नहीं दे रहे हैं.
नतीजतन परिजन रिम्स के बजाय निजी अस्पतालों का चक्कर लगाते हैं. निजी अस्पताल पहले दिन से ही बड़ा बिल बनाने में जुट जाते हैं. रिम्स के चिकित्सकों की प्राइवेट प्रैक्टिस पर नजर रखने के लिए स्वतंत्र व्यक्तियों की समिति बनायी जानी चाहिए. समिति में चिकित्सकों के रहने से प्राइवेट प्रैक्टिस करनेवालों पर नकेल नहीं कसा जा सकता है. रिम्स के चिकित्सकों की प्राइवेट प्रैक्टिस बंद की जानी चाहिए. मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह के बाद होगी.
वहीं रिम्स की अोर से अधिवक्ता डॉ अशोक कुमार सिंह ने अदालत को बताया कि रिम्स प्रबंधन रिम्स को एम्स की तरह बनाने का प्रयास कर रहा है. रिम्स के चिकित्सक अपनी पूरी ऊर्जा लगा कर मरीजों का इलाज करने के लिए कृतसंकल्पित हैं.
उन्होंने कहा कि रिम्स के वर्तमान निदेशक को छोड़कर पूर्व के निदेशक भी अन्य चिकित्सकों की तरह प्राइवेट प्रैक्टिस में लिप्त रहते थे. रिम्स के चिकित्सकों की प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक लगाने के लिए समिति बनायी गयी है. रिम्स में उपलब्ध बेड से तीन गुणा अधिक मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं.
मरीजों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराने के लिए प्रबंधन प्रयासरत है. सुनवाई के दाैरान सरकार की अोर से महाधिवक्ता अजीत कुमार व अधिवक्ता अपराजिता ने अदालत को बताया कि दुष्कर्म पीड़िता के इलाज में किसी प्रकार की कोताही नहीं बरती गयी है. रिम्स द्वारा गठित जांच समिति की रिपोर्ट से प्रतीत होता है कि पीड़िता का इलाज हुआ. लापरवाही या कोताही बरतने जैसे साक्ष्य उपलब्ध नहीं हैं.
इलाज के दाैरान ही पीड़िता की माैत हो गयी. महाधिवक्ता ने कहा कि रिम्स राज्य का एकमात्र ऐसा हॉस्पिटल है, जहां गंभीर प्रवृत्ति के मरीज इलाज के लिए आते हैं तथा उनका इलाज भी होता है. रिम्स की व्यवस्था को समय-समय पर एमसीआइ की टीम भी जांच करती है. चिकत्सिकों के निजी प्रैक्टिस को रोकने के लिए उड़न दस्ता व एक समिति बनायी गयी है.
चिकित्सकों के प्राइवेट प्रैक्टिस को रोकने के लिए सरकार गंभीर है. उल्लेखनीय है कि लातेहार गैंगरेप की शिकार पीड़िता के पति की अोर से बेहतर इलाज को लेकर याचिका दायर की है. पूर्व में अदालत ने मामले को गंभीरता से लेते हुए पीड़िता का बेहतर इलाज सुनिश्चित करने तथा इलाज में लापरवाही बरतने के मामले की जांच का आदेश दिया था.

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