ओरमांझी : भगवान बिरसा जैविक उद्यान, ओरमांझी में कार्यरत पशुपालक सह स्वीपर महेंद्र सिंह (50) की उद्यान परिसर में ही रामू नामक हाथी के कुचलने से मौत हो गयी. महेंद्र सिंह अन्य दिनों की तरह रामू को उद्यान परिसर में टहला रहे थे.
उसे टहला कर लौटने के बाद जैसे ही केज की बाउंड्री के अंदर घुसे, हाथी ने उनको पटक कर जमीन पर गिरा दिया. यह देख दो अन्य पशुपालक बैजनाथ महतो और चुन्नीलाल महतो महेंद्र सिंह को बचाने गये, तो हाथी ने उन दोनों को भी खदेड़ा.
दोनों ने दीवार फांद कर अपनी जान बचायी. इसके बाद हाथी पीछे लौट गया और महेंद्र सिंह को उठा कर झाड़ी में ले गया और उन्हें कुचल दिया. मौके पर ही महेंद्र की मौत हो गयी.
मधुबनी के रहने वाले थे महेंद्र सिंह
महेंद्र सिंह ग्राम सुखी, थाना खजौली, मधुबनी (बिहार) के निवासी थे. वे 1991 में बिरसा जैविक उद्यान आये थे. वह इससे पहले संजय गांधी जूलोजिकल पार्क, पटना में पांच वर्षों तक कार्यरत थे. महेंद्र सिंह को तत्कालीन बिहार सरकार के वन विभाग द्वारा भगवान बिरसा जैविक उद्यान में हाथी की देखरेख के लिए विशेष रूप से नियुक्त किया गया था. महेंद्र सिंह का स्थायीकरण नौकरी (समायोजन ) 05-05-2016 को किया गया था. इसके पहले वे दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी के रूप में कार्यरत थे.
महेंद्र सिंह के दो पुत्र हैं. बड़ा पुत्र दिनेश कुमार सिंह सेना में है, जबकि छोटा पुत्र रामकुमार सिंह आइडीबीआइ बैंक मांडा, मध्यप्रदेश में मैनेजर है. रामकुमार की पत्नी कमला कुमारी रांची स्थित पीएनबी कांटाटोली ब्रांच में मैनेजर के पद पर कार्यरत है. सूचना मिलने पर महेंद्र सिंह की पत्नी ललिया देवी और बहू कमला कुमारी मेदांता अस्पताल पहुंचीं व घटना की जानकारी ली. इसके बाद महेंद्र सिंह के शव को मेदांता स्थित मॉर्चरी में रख दिया गया.
सरायकेला जंगल से 2006 में मिला था रामू
जानकारी के अनुसार रामू नामक हाथी को सरायकेला जंगल से 2006 में लावारिस हालत में मिला था. वहां से उसे भगवान बिरसा जैविक उद्यान लाया गया गया था. उस समय वह बच्चा था और झुंड से बिछड़ गया था. महेंद्र सिंह ने उद्यान में लगातार सेवा कर उसकी जान बचायी थी. महेंद्र सिंह ने हाथी को रामू नाम दिया था.
शोक में उद्यान बंद रहा
महेंद्र सिंह की हाथी द्वारा कुचल कर हुई मौत की खबर सुनते ही उद्यान परिसर में शोक की लहर दौड़ गयी. घटना की खबर मिलते ही उद्यान के निदेशक सुनील कुमार गुप्ता मौके पर पहुंचे और महेंद्र सिंह को इलाज के लिए मेदांता पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. महेंद्र की मौत के बाद शोक में उद्यान बंद रहा.