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रांची : पलामू टाइगर रिजर्व को छह माह से आवंटन नहीं
रांची : पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) को देश के पहले नौ अधिसूचित (नोटिफाइड) वन क्षेत्रों में शामिल होने का गौरव प्राप्त है. वर्तमान में पीटीआर अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. पीटीआर को गत छह माह से आवंटन नहीं मिल रहा है. वन विभाग ने आवंटन जारी कर दिया है, लेकिन महालेखाकार को इसकी […]
रांची : पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) को देश के पहले नौ अधिसूचित (नोटिफाइड) वन क्षेत्रों में शामिल होने का गौरव प्राप्त है. वर्तमान में पीटीआर अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. पीटीआर को गत छह माह से आवंटन नहीं मिल रहा है. वन विभाग ने आवंटन जारी कर दिया है, लेकिन महालेखाकार को इसकी सूचना नहीं दिये जाने के कारण पीटीआर को राशि नहीं मिल रही है.
पूर्व में पीटीआर को पैसा नहीं मिलने पर झारखंड हाइकोर्ट ने नाराजगी जतायी थी. राशि आवंटन प्रक्रिया में विलंब पर कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि या तो सरकार टाइगर बचा सकती है या पैसा. आदेश का अनुपालन 30 सितंबर 2017 तक नहीं किये जाने पर एक अक्तूबर से अपर मुख्य सचिव और क्षेत्र निदेशक का वेतन एक अक्तूबर 2017 से रोकने का आदेश दिया था.
एमअोयू का पालन नहीं : राज्य सरकार और राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण के बीच पीटीआर के बेहतर संचालन के लिए एमओयू हुआ है. इसमें स्वीकृत योजना की राशि 15 दिनों के अंदर टाइगर रिजर्व को देने का प्रावधान किया गया है. 2018-19 में योजना राशि समय पर जारी नहीं की गयी है.
इसमें कटौती भी कर दी गयी है. वित्त विभाग के माध्यम से अब तक महालेखाकार को पत्र नहीं भेजा गया है. इस कारण अब तक पीटीआर को राशि निर्गत नहीं हुई है. एमओयू में स्पष्ट है कि क्षेत्र निदेशक का तबादला तीन साल तक नहीं होगा. इस कारण तत्कालीन क्षेत्र निदेशक को प्रोन्नति दिये जाने के बाद भी पद पर रखा गया था. अब अचानक विदेश जाने के नाम पर उनका तबादला कर दिया गया है.
पेट्रोलिंग भी प्रभावित
यहां करीब चारों रेंज में 500 ट्रैकर हैं. इनको मानदेय दिया जाता है. छह माह से इनका मानदेय भी नहीं मिल पा रहा है. पैसा नहीं रहने का असर पेट्रोलिंग पर भी पड़ रहा है.
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