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बच्चा देने के लिए गर्भवती युवतियों को ब्लैकमेल करने की जांच करेगा सीआइडी
रांची : मिशनरीज ऑफ चैरिटी द्वारा संचालित निर्मल हृदय से बच्चा बेचने के आरोप में पूर्व में गिरफ्तार सिस्टर कोंसिलिया और अनिमा इंदवार गर्भवती युवतियों को अपना बच्चा देने के लिए ब्लैकमेल करती थी या नहीं, इस बात की जांच सीआइडी के अधिकारी करेंगे. शुक्रवार को सीआइडी को मामले से संबंधित केस ट्रांसफर कर दिया […]
रांची : मिशनरीज ऑफ चैरिटी द्वारा संचालित निर्मल हृदय से बच्चा बेचने के आरोप में पूर्व में गिरफ्तार सिस्टर कोंसिलिया और अनिमा इंदवार गर्भवती युवतियों को अपना बच्चा देने के लिए ब्लैकमेल करती थी या नहीं, इस बात की जांच सीआइडी के अधिकारी करेंगे. शुक्रवार को सीआइडी को मामले से संबंधित केस ट्रांसफर कर दिया गया.
हालांकि शनिवार तक सीआइडी ने केस हैंडओवर नहीं लिया है. उल्लेखनीय है कि सिस्टर व अनिमा पूर्व में पुलिस को यह बता चुकी है कि अविवाहित गर्भवती युवतियों को वे ब्लैकमेलिंग करती थी. गर्भवती युवतियों को इसी शर्त पर रखा जाता था कि वे बच्चा पैदा करने के बाद उसे संस्थान को सौंप देंगे.
इंकार करनेवाली गर्भवती को आश्रम में इंट्री नहीं दी जाती थी. दोनों ने रिमांड के दौरान पुलिस को यह भी बताया था कि निर्मल हृदय में जन्मे किसी भी बच्चे को उनकी मां नहीं लेकर जाती थी. जबकि रजिस्टर में लिखा होता था कि वे स्वेच्छा से अपने बच्चों को ले जा रही है. पूर्व की पूछताछ में यह भी बात सामने आ चुकी है कि सिस्टर कोंसिलिया ने जेल में ही अनिमा पर जुर्म अपने सिर लेने के लिए दबाव बनाया था.
इसके लिए उसने अनिमा के परिवार का भरण-पोषण करने का भी आश्वासन दिया था. जेल में मिलने गये संस्था के कुछ लोगों ने कोंसिलिया को अपना जुर्म स्वीकार नहीं करने के लिए कहा था. इसके पीछे कितनी सच्चाई है, इस बात का भी सत्यापन भी सीआइडी के अधिकारी करेंगे.
दो दिनों में नहीं सौंपे गये बच्चे, तो कोर्ट जायेंगे
रांची : हिनू स्थित शिशु भवन से छह जुलाई को बाल कल्याण समिति 22 बच्चों को लेकर आयी. उन बच्चों की उम्र दो वर्ष से भी कम है. उन बच्चों को अलग-अलग शेल्टर में रखा गया है. इस संबंध में अभिभावकों को भी सूचना दे दी गयी है. अभिभावकों ने शनिवार को पत्रकारों को बताया कि शिशु भवन में वैसे बच्चों को रखा जाता है, जिनके माता-पिता की मृत्यु हो जाती है.
इसके अलावा वैसे अभिभावक जो अपने बच्चों को छोटे समय में पालने में सक्षम नहीं होते हैं या गरीब परिवार से होते हैं, वे ही शिशु भवन में बच्चों को रखते हैं. दो वर्ष बाद उन बच्चों को अभिभावकों को सौंप दिया जाता है. पर, बाल कल्याण समिति द्वारा बच्चों को नहीं सौंपा जा रहा है. जबकि, इस संबंध में कई अभिभावकों द्वारा आवेदन भी दिया गया था.
अभिभावकों का कहना है कि दो दिनों के अंदर बच्चों को अभिभावकों नहीं सौंपा गया, तो वे उच्च न्यायालय जायेंगे. अभिभावकों ने मांग की है कि बाल कल्याण समिति सभी बच्चों का जहां से लायी है वहां भेज दें. दो बच्चों को बगैर डीएनए जांच के ही सौंप दिया गया, तो हमारे साथ भेदभाव क्यों हो रहा है? हमारे बच्चे की देखभाल शिशु भवन में अच्छी तरह से हो रही थी.
बेवजह काम में अड़चन डालनेवालों पर कार्रवाई हो
रांची. झारखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष आरती कुजूर ने बेवजह काम में अड़चन डालने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया है. इस संबंध में श्रीमती कुजूर ने डीसी व एसएसपी को पत्र भी लिखा है. पत्र के माध्यम से उन्होंने कहा है कि बाल कल्याण समिति बच्चों के मामले में बेहतर कार्य करने का प्रयास कर रही है. लेकिन, आये दिन कार्यालय में आकर लोग हंगामा करते हैं. इस वजह से वादों के निपटारे में परेशानी हो रही है.
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